रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बावल क्षेत्र में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां 70 साल का एक बुजुर्ग 13 साल बाद एक फिर से जिंदा मिला है. जी हां, दरअसल बुजुर्ग व्यक्ति तो जिंदा ही था, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उसे मृत घोषित कर दिया गया था. आखिरकार गुरुवार, 30 नवंबर को बुजुर्ग व्यक्ति के जिंदा होने का सबूत सामने आया. यह सबूत तब सामने आया जब गांव में सहकारिता मंत्री डॉक्टर बनवारी लाल सहित जिला प्रशासन के सभी अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान गांव में पहुंचे थे.
13 साल से जिंदा होने का सबूत पेश कर रहा था बुजुर्ग: सरकारी रिकॉर्ड में बुजुर्ग व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया था. जिसके चलते वह पिछले 13 सालों से परेशान था. जिंदा होने का सबूत पेश करने के लिए लगातार सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहा था. सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित होने के कारण वर सरकारी योजनाओं से भी वंचित था. जिसके चलते बुजुर्ग व्यक्ति काफी परेशान रहता था उसका कोई सुनने वाला नहीं था.
कैबिनेट मंत्री ने बुजुर्ग के जिंदा होने का किया ऐलान: जानकारी के अनुसार गुरुवार को खेड़ा मुरार गांव में पहुंची विकसित भारत संकल्प यात्रा में उसे जिंदा होने का सबूत मिला. यात्रा का शुभारंभ करने पहुंचे प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने उन्हें मंच पर बुलाया और अनाउंसमेंट किया कि वह आज से जिंदा हो गए हैं, क्योंकि उन्हें रिकॉर्ड में मृत घोषित दिखाया हुआ था.
ये है पूरा मामला: दाताराम ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाई तो पता चला कि 13 साल पहले उनके ही गांव के जिस दाताराम पुत्र बिहारी लाल की मृत्यु हुई थी उसकी जगह पर उसे रिकॉर्ड में मृत दिखा दिया गया है. दरअसल दूसरे दाताराम आर्मी में सर्विस करते थे, जबकि ये दाताराम खेतीबाड़ी का काम करते हैं. ऐसे में सबूत एकत्रित कर दाताराम फिर से सरकारी कार्यालय में चक्कर काटने लगे, लेकिन कोई उन्हें जिंदा मानने को तैयार ही नहीं हुआ. दाताराम ने अपनी शिकायतें चंडीगढ़ मुख्यालय तक भेजी. इन शिकायतों का जवाब तो जरूर आया, लेकिन रिकॉर्ड में उन्हें मृत दर्शाए रखा.
13 साल से सरकारी योजना से वंचित हैं दाताराम: रेवाड़ी जिले के कस्बा बावल के अधीन आने वाले गांव खेड़ा मुरार निवासी दाताराम पुत्र बिहारी की जिंदगी में 58 साल की उम्र तक सबकुछ ठीक ठाक चलता रहा. लेकिन उसके बाद 13 साल पहले अचानक उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया. इसका पता उन्हें तब चला जब वह पेंशन जैसी सुविधाओं के लिए सरकारी कार्यालय में जाने लगे. वे पेंशन बनवाने के दस्तावेज लेकर कार्यालय में पहुंचे तो कर्मचारी ने रिकॉर्ड चेक कर बताया कि वो तो सरकारी दस्तावेज के अनुसार मर चुके हैं. ये सुनकर दाताराम भी चौंक गए. दाताराम अपनी फाइल को लेकर दूसरे अधिकारियों के पास गए, लेकिन वहां भी हाथ खड़े कर दिए गए.
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