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शादी का सेहरा बांधकर डीसी ऑफिस पहुंचे बुजुर्ग के केस में आया नया मोड़, जांच में खुल गई सच्चाई - रेवाड़ी नया गांव

रेवाड़ी में परिवार पहचान पत्र बनावाने के लिए दूल्हा बनकर आए बुजुर्ग की शिकायत पर डीसी ने जांच करवाने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद मामले में जांच करते हुए क्रीड के नोडल अधिकारी ने कई खुलासे किए हैं.

Unique Protest in Rewari DC Office
रेवाड़ी में परिवार पहचान पत्र
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Published : Jun 30, 2023, 11:22 PM IST

रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी में गुरुवार को सिर पर सेहरा बांधे और हाथ में शिकायत पत्र लेकर एक बुजुर्ग डीसी ऑफिस पहुंचा था. 72 वर्षीय बुजुर्ग की शिकायत थी कि काफी समय से उसका परिवार पहचान पत्र नहीं बन पा रहा है. मामला संज्ञान में आते ही रेवाड़ी के डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने इस मामले की जांच कराई. अब इस मामले में कई खुलासे किए गये हैं.

ये भी पढ़ें: सेहरा बांधकर डीसी ऑफिस पहुंचा 72 वर्षीय बुजुर्ग, बोला- या तो मेरी शादी करवाओ या फैमिली आईडी बनवाओ

इस मामले की जांच क्रीड के नोडल अधिकारी व एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने की. उन्होंने बताया कि 29 जून 2023 को क्रीड टीम रेवाड़ी ने सतबीर के पास उसके गांव जाकर जांच की. मामले में तथ्यपूर्ण ढंग से जांच की गई. जांच में सामने आया कि सतबीर सिंह उर्फ सतबीर शर्मा ने आज तक परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए विभाग से कभी सम्पर्क ही नहीं किया.

सतबीर ने ना तो किसी सीएससी सेंटर से परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए कोई आवेदन किया. जिसके आधार पर क्रीड उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई कर पाए. एडीसी पाटिल ने बताया कि सतबीर सिंह उर्फ सतबीर शर्मा के परिवार में 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा गुरदयाल सीआरपीएफ में नौकरी करता है और वर्तमान में हैदराबाद में रहता है. जबकि छोटा बेटा विनोद नजफगढ़ में झुरझुरी गांव में रहकर अपना पैतृक व्यवसाय (लकड़ी के फर्नीचर का काम) चला रहा है.

सतबीर सिंह के पड़ोसियों के अनुसार, यह लगभग 1 महीने से ही अपने बेटे के घर से अपने पैतृक गांव में आया है. जांच के दौरान बताया कि सतबीर पिछले 20 सालों से अपने छोटे बेटे के साथ नजफगढ़ में रह रहा था. कभी-कभी 10-15 दिन के लिए गांव में आता रहा है और तब उनका खाना पीना उनके भाई बुध सिंह के घर ही होता है. वर्तमान में भी सतबीर सिंह खाने के लिए अपने भाई बुध सिंह पर ही निर्भर है.

एडीसी ने बताया कि जांच में सामने आया है कि सतबीर सिंह अपनी पेंशन या कोई अन्य लाभ सरकार से लेने के लिए जद्दोजहद नहीं कर रहा. जांच में ये भी सामने आया कि सतबीर मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह के काम करता रहता है. इस बार भी उसने इसीलिए ये प्लान बनाया. 72 वर्षीय सतबीर सिंह इससे पहले भी एक बार अपने बेटे के साथ नजफगढ़ में रहते हुए रेवाड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ा था. उसके बाद वो अपने गांव में सरपंच का भी चुनाव लड़ चुका है. जिसमें उनकी जमानत भी जब्त हुई थी. उक्त चुनावों के बाद सतबीर सिंह चर्चा में रहने के लिए ऐसे काम करता रहता है.

ये भी पढ़ें: कागजों में मरा बताकर सरकार ने बंद कर दी पेंशन, 102 साल के बुजुर्ग ने बैंड बाजे के साथ निकाली बारात

एडीसी ने दी जानकारी: एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने बताया कि सिंगल मेंबर की परिवार पहचान पत्र में एंट्री निर्धारित नियमों अनुसार होती है. उन्होंने बताया कि प्रार्थी को नागरिक लॉगिन या सीएससी केंद्र द्वारा अपने आधार कार्ड के जरिए मेरा परिवार हरियाणा पोर्टल पर आवेदन करना आवश्यक है. जिसके बाद विभाग द्वारा एक ई-परिवार पहचान आईडी बनती है. जो कुछ समय बाद जोनल स्तर पर काम कर रहे कर्मचारी के लॉगिन में सत्यापन के लिए जाती है. वो उसको फील्ड में जाकर वेरीफाई करता है. यदि प्रार्थी वास्तव में अकेला रहता है, तो कर्मचारी द्वारा उसका सत्यापन हां में कर दिया जाता है और प्रार्थी का परिवार पहचान पत्र विभाग द्वारा जारी कर दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: सोनीपत लघु सचिवालय पर ग्रामीणों का अनोखा प्रदर्शन, ढोल-नगाड़े और थाली बजाकर प्रशासन को जगाया, जानें पूरा मामला

रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी में गुरुवार को सिर पर सेहरा बांधे और हाथ में शिकायत पत्र लेकर एक बुजुर्ग डीसी ऑफिस पहुंचा था. 72 वर्षीय बुजुर्ग की शिकायत थी कि काफी समय से उसका परिवार पहचान पत्र नहीं बन पा रहा है. मामला संज्ञान में आते ही रेवाड़ी के डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने इस मामले की जांच कराई. अब इस मामले में कई खुलासे किए गये हैं.

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इस मामले की जांच क्रीड के नोडल अधिकारी व एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने की. उन्होंने बताया कि 29 जून 2023 को क्रीड टीम रेवाड़ी ने सतबीर के पास उसके गांव जाकर जांच की. मामले में तथ्यपूर्ण ढंग से जांच की गई. जांच में सामने आया कि सतबीर सिंह उर्फ सतबीर शर्मा ने आज तक परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए विभाग से कभी सम्पर्क ही नहीं किया.

सतबीर ने ना तो किसी सीएससी सेंटर से परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए कोई आवेदन किया. जिसके आधार पर क्रीड उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई कर पाए. एडीसी पाटिल ने बताया कि सतबीर सिंह उर्फ सतबीर शर्मा के परिवार में 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा गुरदयाल सीआरपीएफ में नौकरी करता है और वर्तमान में हैदराबाद में रहता है. जबकि छोटा बेटा विनोद नजफगढ़ में झुरझुरी गांव में रहकर अपना पैतृक व्यवसाय (लकड़ी के फर्नीचर का काम) चला रहा है.

सतबीर सिंह के पड़ोसियों के अनुसार, यह लगभग 1 महीने से ही अपने बेटे के घर से अपने पैतृक गांव में आया है. जांच के दौरान बताया कि सतबीर पिछले 20 सालों से अपने छोटे बेटे के साथ नजफगढ़ में रह रहा था. कभी-कभी 10-15 दिन के लिए गांव में आता रहा है और तब उनका खाना पीना उनके भाई बुध सिंह के घर ही होता है. वर्तमान में भी सतबीर सिंह खाने के लिए अपने भाई बुध सिंह पर ही निर्भर है.

एडीसी ने बताया कि जांच में सामने आया है कि सतबीर सिंह अपनी पेंशन या कोई अन्य लाभ सरकार से लेने के लिए जद्दोजहद नहीं कर रहा. जांच में ये भी सामने आया कि सतबीर मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह के काम करता रहता है. इस बार भी उसने इसीलिए ये प्लान बनाया. 72 वर्षीय सतबीर सिंह इससे पहले भी एक बार अपने बेटे के साथ नजफगढ़ में रहते हुए रेवाड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ा था. उसके बाद वो अपने गांव में सरपंच का भी चुनाव लड़ चुका है. जिसमें उनकी जमानत भी जब्त हुई थी. उक्त चुनावों के बाद सतबीर सिंह चर्चा में रहने के लिए ऐसे काम करता रहता है.

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एडीसी ने दी जानकारी: एडीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने बताया कि सिंगल मेंबर की परिवार पहचान पत्र में एंट्री निर्धारित नियमों अनुसार होती है. उन्होंने बताया कि प्रार्थी को नागरिक लॉगिन या सीएससी केंद्र द्वारा अपने आधार कार्ड के जरिए मेरा परिवार हरियाणा पोर्टल पर आवेदन करना आवश्यक है. जिसके बाद विभाग द्वारा एक ई-परिवार पहचान आईडी बनती है. जो कुछ समय बाद जोनल स्तर पर काम कर रहे कर्मचारी के लॉगिन में सत्यापन के लिए जाती है. वो उसको फील्ड में जाकर वेरीफाई करता है. यदि प्रार्थी वास्तव में अकेला रहता है, तो कर्मचारी द्वारा उसका सत्यापन हां में कर दिया जाता है और प्रार्थी का परिवार पहचान पत्र विभाग द्वारा जारी कर दिया जाता है.

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