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रेवाड़ी के रैन बसेरों पर लटके मिले ताले, यात्री पूछे- बिना छत कैसे कटेगी रैना? - रेवाड़ी में रैन बसेरों पर लटके ताले

रेवाड़ी के बस स्टैंड पर रात्रि ठहराव के लिए रैन बसेरा बनाया गया है. एक और जहां सर्दी ने अपना सितम लोगों पर ढहाना शुरू कर दिया है. उधर दूसरी तरफ इन रैन बसेरों पर ताले लटके हुए हैं.

shelter home problem in rewari
रेवाड़ी के रैन बसेरों पर लटके ताले
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Published : Dec 6, 2019, 8:41 PM IST

रेवाड़ी: गरीब और बेघर लोगों को कड़कड़ाती ठंड से बचाने के लिए निगम की ओर से रैन बसेरे बनाए गए हैं, ताकि कड़कड़ाती ठंड में बेघर लोगों को छत का सहारा मिल सके, लेकिन रेवाड़ी में रैन बसेरा सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है.

रेवाड़ी में बंद मिले रैन बसेरे
रेवाड़ी के बस स्टैंड पर रात्रि ठहराव के लिए रैन बसेरा बनाया गया है. एक और जहां सर्दी ने अपना सितम लोगों पर ढहाना शुरू कर दिया है. उधर दूसरी तरफ इन रैन बसेरों पर ताले लटके हुए हैं. यात्रियों की माने तो प्रशासन की ओर से रात्रि ठहराव का इंतजाम करना चाहिए, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है.

रेवाड़ी के रैन बसेरों पर लटके ताले

सड़कों पर सोने को मजबूर लोग
लोग सड़क के बीच बने डिवाइडर पर और फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं और निगम इतनी गहरी नींद में सो रहा है कि इन गरीबों की कोई चिंता ही नहीं है. यात्रियों और बाहर सोने वाले लोगों ने बताया कि निगम की ओर से अभी तक ताले खोले नहीं गए हैं. पिछली ठंड में बहुत पहले ताले खोल दिये थे. अब लोग इतनी ठंड में सड़कों पर सो रहे हैं. कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है.

ये भी पढ़िए: यमुनानगर में रैन बसेरों पर लटके हैं ताले, ठंड में सड़कों पर सोने को मजबूर बेघर लोग

यात्री होते हैं परेशान

रैन बसेरों पर लगे तालों से यहां आने वाले यात्रियों को सस्ती दरों पर रात में रुकने से वंचित हो पड़ रहा है. सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई सुविधाओं का लोग फायदा भी नहीं उठा पा रहे और महंगे होटलों में अपनी जेब कटवाने पर मजबूर हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने नगर परिषद को इसका जिम्मा सौंपा था. लेकिन नगर परिषद अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित होते नजर आ रहे हैं.

रेवाड़ी: गरीब और बेघर लोगों को कड़कड़ाती ठंड से बचाने के लिए निगम की ओर से रैन बसेरे बनाए गए हैं, ताकि कड़कड़ाती ठंड में बेघर लोगों को छत का सहारा मिल सके, लेकिन रेवाड़ी में रैन बसेरा सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है.

रेवाड़ी में बंद मिले रैन बसेरे
रेवाड़ी के बस स्टैंड पर रात्रि ठहराव के लिए रैन बसेरा बनाया गया है. एक और जहां सर्दी ने अपना सितम लोगों पर ढहाना शुरू कर दिया है. उधर दूसरी तरफ इन रैन बसेरों पर ताले लटके हुए हैं. यात्रियों की माने तो प्रशासन की ओर से रात्रि ठहराव का इंतजाम करना चाहिए, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है.

रेवाड़ी के रैन बसेरों पर लटके ताले

सड़कों पर सोने को मजबूर लोग
लोग सड़क के बीच बने डिवाइडर पर और फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं और निगम इतनी गहरी नींद में सो रहा है कि इन गरीबों की कोई चिंता ही नहीं है. यात्रियों और बाहर सोने वाले लोगों ने बताया कि निगम की ओर से अभी तक ताले खोले नहीं गए हैं. पिछली ठंड में बहुत पहले ताले खोल दिये थे. अब लोग इतनी ठंड में सड़कों पर सो रहे हैं. कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है.

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यात्री होते हैं परेशान

रैन बसेरों पर लगे तालों से यहां आने वाले यात्रियों को सस्ती दरों पर रात में रुकने से वंचित हो पड़ रहा है. सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई सुविधाओं का लोग फायदा भी नहीं उठा पा रहे और महंगे होटलों में अपनी जेब कटवाने पर मजबूर हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने नगर परिषद को इसका जिम्मा सौंपा था. लेकिन नगर परिषद अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित होते नजर आ रहे हैं.

Intro:रेवाड़ी, 5 दिसंबर।
सर्दी का सितम अब लोगों को सताने लगा है। ऐसे में रात्रि यात्रियों की सुविधा के लिए बस अड्डों पर जिला रेड क्रॉस द्वारा बनाएं गए रैन बसेरों का सहारा लेते है।


Body:रेवाड़ी जिले के बस स्टैंड पर बने रात्रि ठहराव के लिए रैन बसेरा मात्र दिखावा बनकर रह गया है। क्योंकि एक और जहां सर्दी ने अपना सितम लोगों पर ढहाना शुरू कर दिया है, उसके बावजूद भी जिला रेड क्रॉस द्वारा इन पर लटके तालों को खोलने में असमर्थ दिखाई पड़ रहा है। यात्रियों की माने तो प्रशासन द्वारा अब रात्रि ठहराव का इंतजाम कर यात्रियों को सुविधा करनी चाहिए लेकिन अभी तक उन्हें रैन बसेरों का फ़ायदा नही होने की वजह से कड़कड़ाती सर्दी में बाहर खुले में सोना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन इन यात्रियों की मांग पर गौर फ़रमाती है या फ़िर लोगों को सर्दी से दो चार होना ही पड़ेगा।
बाइट--1 व 2 दोनों यात्री।


Conclusion:जब इस सम्बंध में अधिकारियों से जानना चाहा तो वह उपलब्ध नही हुए।
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