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किसान को नहीं मिला ट्यूबवेल का कनेक्शन, बिजली विभाग पर चला कंज्यूमर फोरम का डंडा - फतेहपुरी पीपा रेवाड़ी

रेवाड़ी में किसान को ट्यूबवेल का कनेक्शन नहीं देने पर बिजली आयोग ने लगा दिया एक लाख का जुर्माना. दरअसल किसान को ट्यूबवेल का 3 साल तक पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया जिसके बाद किसान की गुहार पर उपभोक्ता अदालत ने सख्त एक्शन लिया. किसान से विभाग ने 2 लाख 6 हजार रुपए भी जमा करवा लिए थे, लेकिन लगातार किसान की अपील के बावजूद उसे ट्यूबवेल नहीं दिया गया, ऐसे में हैरान परेशान किसान मदद मांगने कंज्यूमर फोरम पहुंचा और अदालत ने 1 लाख रुपए का जुर्माना बिजली विभाग पर लगा दिया

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रेवाड़ी कंज्यूमर फोरम ने लगाया जुर्माना
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 11, 2023, 3:46 PM IST

रेवाड़ी : फतेहपुरी पीपा के रहने वाले किसान सुभाष को खेत में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल की दरकार थी, ऐसे में उसने ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए साल 2019 में धारूहेड़ा के बिजली वितरण निगम में एप्लीकेशन दी. विभाग ने कनेक्शन देने के लिए 2 लाख 6 हजार 21 रुपए एस्टीमेट बनाया. सुभाष ने पूरी राशि भी जमा कर दी. इसके बावजूद बिजली निगम ने 10 खंभे लगा दिए, लेकिन किसान को ट्यूबवेल का कनेक्शन नहीं दिया. विभाग ने निगम के बड़े अधिकारियों तक इस मामले को लेकर शिकायत की, लेकिन ना सुनवाई हुई और ना कोई कार्रवाई हुई.

ये भी पढ़े - Haryana Junior Coach Molestation Case: हरियाणा जूनियर महिला कोच यौन शोषण मामला, पीड़िता के वकील ने कोर्ट में लगाई 5 याचिकाएं

कंज्यूमर फोरम पहुंचा किसान : परेशान होकर सुभाष ने 9 जनवरी 2023 को अपने वकील के जरिए इसी साल 9 जनवरी को कंज्यूमर फोरम में मामले की याचिका लगाई. इसके बाद उपभोक्ता अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई शुरू की. जिला उपभोक्ता अदालत के चेयरमैन संजय खंडूजा ने मामले की सुनवाई करते हुए दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के अधिकारियों को भी तलब किया.

कोर्ट की फटकार : आयोग पहुंचे निगम के अफसरों ने नियमों का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि पहले जो एस्टीमेट बनाया गया था, उसकी राशि काफी कम थी. ऐसे में कंज्यूमर फोरम ने अफसरों को जमकर फटकार लगाई. आयोग ने कहा कि किसान के लिए पानी की एक-एक बूंद उसके खून की एक-एक बूंद के बराबर है और आखिर में ट्यूबवेल देने में ऐसी घोर लापरवाही क्यों की गई. नाराज़ उपभोक्ता अदालत ने फौरन बिजली विभाग पर जुर्माना ठोंक दिया. अब विभाग को एक लाख रुपए के साथ कोर्ट में खर्च की गई 11 हजार रुपए की राशि भी किसान को देनी होगी.

किसान का खिला चेहरा : अदालत के फैसले से आखिरकार किसान सुभाष को बड़ी राहत मिली है.किसान सुभाष का चेहरा खिल गया और उसने फैसले के लिए कंज्यूमर फोरम को शुक्रिया कहा है.अदालत का ये फैसला ऐसे सरकारी विभागों के लिए नज़ीर है जो बिना किसी वजह के लोगों के कामों में देरी करते हैं और लोगों को हैरान परेशान होना पड़ता है

" किसान के लिए पानी की एक-एक बूंद उसके खून की एक-एक बूंद के बराबर है." - कंज्यूमर फोरम

ये भी पढ़ें: Amit Shah Visit Haryana: आज हरियाणा दौरे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, चांदनाथ योगी की मूर्ति का करेंगे अनावरण, धार्मिक-राजनीतिक दृष्टि से अहम

रेवाड़ी : फतेहपुरी पीपा के रहने वाले किसान सुभाष को खेत में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल की दरकार थी, ऐसे में उसने ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए साल 2019 में धारूहेड़ा के बिजली वितरण निगम में एप्लीकेशन दी. विभाग ने कनेक्शन देने के लिए 2 लाख 6 हजार 21 रुपए एस्टीमेट बनाया. सुभाष ने पूरी राशि भी जमा कर दी. इसके बावजूद बिजली निगम ने 10 खंभे लगा दिए, लेकिन किसान को ट्यूबवेल का कनेक्शन नहीं दिया. विभाग ने निगम के बड़े अधिकारियों तक इस मामले को लेकर शिकायत की, लेकिन ना सुनवाई हुई और ना कोई कार्रवाई हुई.

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कंज्यूमर फोरम पहुंचा किसान : परेशान होकर सुभाष ने 9 जनवरी 2023 को अपने वकील के जरिए इसी साल 9 जनवरी को कंज्यूमर फोरम में मामले की याचिका लगाई. इसके बाद उपभोक्ता अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई शुरू की. जिला उपभोक्ता अदालत के चेयरमैन संजय खंडूजा ने मामले की सुनवाई करते हुए दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के अधिकारियों को भी तलब किया.

कोर्ट की फटकार : आयोग पहुंचे निगम के अफसरों ने नियमों का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि पहले जो एस्टीमेट बनाया गया था, उसकी राशि काफी कम थी. ऐसे में कंज्यूमर फोरम ने अफसरों को जमकर फटकार लगाई. आयोग ने कहा कि किसान के लिए पानी की एक-एक बूंद उसके खून की एक-एक बूंद के बराबर है और आखिर में ट्यूबवेल देने में ऐसी घोर लापरवाही क्यों की गई. नाराज़ उपभोक्ता अदालत ने फौरन बिजली विभाग पर जुर्माना ठोंक दिया. अब विभाग को एक लाख रुपए के साथ कोर्ट में खर्च की गई 11 हजार रुपए की राशि भी किसान को देनी होगी.

किसान का खिला चेहरा : अदालत के फैसले से आखिरकार किसान सुभाष को बड़ी राहत मिली है.किसान सुभाष का चेहरा खिल गया और उसने फैसले के लिए कंज्यूमर फोरम को शुक्रिया कहा है.अदालत का ये फैसला ऐसे सरकारी विभागों के लिए नज़ीर है जो बिना किसी वजह के लोगों के कामों में देरी करते हैं और लोगों को हैरान परेशान होना पड़ता है

" किसान के लिए पानी की एक-एक बूंद उसके खून की एक-एक बूंद के बराबर है." - कंज्यूमर फोरम

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