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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर नाराज वकील, सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

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Published : Feb 18, 2020, 9:02 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की पदोन्नति के मामले में गई टिप्पणी पर रेवाड़ी में वकीलों ने जिला सचिवालय पर पहुंचकर प्रदर्शन किया. इसके साथ ही राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा.

advocate protest against court comments
advocate protest against court comments

रेवाड़ी: अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्गों के लिए पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के विरोध में अनुसूचित जाति से संबंधित अधिवक्ताओं ने रेवाड़ी में जिला सचिवालय पहुंच कर देश को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा.

प्रमोशन में आरक्षण पर रार

इस मौके पर अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को संविधान पर प्रहार बताया और कहा कि बाबा साहेब ने जो संविधान लिखा था. उसमें गरीब और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण और प्रमोशन दिया गया था, लेकिन सरकार आरक्षण को खत्म करना चाहती है जो वे किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे?

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर नाराज वकील, सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

नाराज अनुसूचित जाति के लोगों को सौंपा ज्ञापन

उन्होंने कहा कि इस फैसले से समस्त अनुसूचित जाति समाज के लोगों में भारी रोष है. अनुसूचित जाति समाज के लोगों का उचित प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में नहीं है और हजारों साल से ये समाज शिक्षा और नौकरियों से वंचित रहा है.

ये भी पढ़िए: हरियाणा बजट 2020: जानिए सरकार से क्या है सिरसा की जनता की उम्मीदें ?

वैसे भी इस तरह के फैसले से समाज के लिए हितकारी नहीं है. जिससे समाज के लोग आहत हैं. सरकार को चाहिए कि इस पर पुनर्विचार याचिका दायर कर इस फैसले को बदला जाए ताकि उनके अधिकारों से छेड़छाड़ ना की जाए. अब देखना होगा कि अनुसूचित जाति के विरोध के चलते क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर हस्तक्षेप करेगी या नहीं.

रेवाड़ी: अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्गों के लिए पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के विरोध में अनुसूचित जाति से संबंधित अधिवक्ताओं ने रेवाड़ी में जिला सचिवालय पहुंच कर देश को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा.

प्रमोशन में आरक्षण पर रार

इस मौके पर अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को संविधान पर प्रहार बताया और कहा कि बाबा साहेब ने जो संविधान लिखा था. उसमें गरीब और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण और प्रमोशन दिया गया था, लेकिन सरकार आरक्षण को खत्म करना चाहती है जो वे किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे?

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नाराज अनुसूचित जाति के लोगों को सौंपा ज्ञापन

उन्होंने कहा कि इस फैसले से समस्त अनुसूचित जाति समाज के लोगों में भारी रोष है. अनुसूचित जाति समाज के लोगों का उचित प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में नहीं है और हजारों साल से ये समाज शिक्षा और नौकरियों से वंचित रहा है.

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वैसे भी इस तरह के फैसले से समाज के लिए हितकारी नहीं है. जिससे समाज के लोग आहत हैं. सरकार को चाहिए कि इस पर पुनर्विचार याचिका दायर कर इस फैसले को बदला जाए ताकि उनके अधिकारों से छेड़छाड़ ना की जाए. अब देखना होगा कि अनुसूचित जाति के विरोध के चलते क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर हस्तक्षेप करेगी या नहीं.

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