रेवाड़ी: जिले के एक मात्र ट्रॉमा सेंटर से अब मरीजों को रेफर करना आसान नहीं होगा. यहां आने वाले मरीजों को हायर सेंटर में रेफर करने से पहले ऑन काल ड्यूटी विशेषज्ञ डॉक्टर को मरीज का निरीक्षण और उपचार भी करना होगा. विशेष परिस्थितियों में मरीज को रेफर करने वाले डॉक्टर को रेफर करने का वाजिब कारण बताना होगा.
ऐसा होने से सरकार की ट्रॉमा सेंटर खोलने की योजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सकेगा. जिला नागरिक अस्पताल में पीएमओ का कार्यभार संभालने के बाद डॉ. सुशील कुमार इसे अपनी पहली प्राथमिकता करार दिया है.
उन्होंने कहा मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार भारी भरकम राशि खर्च करती है. ऐसे में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की जिम्मेदारी बनती है कि मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक से अधिक लाभ मिल सके.
पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में जांच सुविधाओं का विस्तार होने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार देखने को मिला है. इसके बावजूद सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान आज रेफरल केंद्र के रूप में ही बनी हुई है.
मेरा प्रयास ट्रॉमा सेंटर में आने वाले गम्भीर मरीजों और डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के तत्काल रेफर करने की प्रथा पर अंकुश लगाना है. सरकार ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित किए थे ताकि जरूरतमंद मरीजों को तत्काल उपचार महैया करवाया जा सके, परंतु रेफर करने की प्रथा के कारण ट्रॉमा सेंटरों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है.