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रेवाड़ीः ट्रॉमा सेंटर से हटेगा रेफरल का टैग, पीएमओ ने जारी किए निर्देश

अब सरकारी अस्पतालों में भी निजी अस्पतालों जैसी सुविधाएं होने का लाभ उन गरीब मरीजों को मिल पाएगा. नए पीएमओ ने डॉक्टरों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. किसी भी मरीज को रेफर करने पर डॉक्टर को वाजिब कारण बताने होंगे.

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Published : Jun 30, 2019, 10:47 PM IST

ट्रॉमा सेंटर से हटेगा रेफरल का टैग

रेवाड़ी: जिले के एक मात्र ट्रॉमा सेंटर से अब मरीजों को रेफर करना आसान नहीं होगा. यहां आने वाले मरीजों को हायर सेंटर में रेफर करने से पहले ऑन काल ड्यूटी विशेषज्ञ डॉक्टर को मरीज का निरीक्षण और उपचार भी करना होगा. विशेष परिस्थितियों में मरीज को रेफर करने वाले डॉक्टर को रेफर करने का वाजिब कारण बताना होगा.

पीएमओ ने जारी किए निर्देश

ऐसा होने से सरकार की ट्रॉमा सेंटर खोलने की योजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सकेगा. जिला नागरिक अस्पताल में पीएमओ का कार्यभार संभालने के बाद डॉ. सुशील कुमार इसे अपनी पहली प्राथमिकता करार दिया है.

उन्होंने कहा मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार भारी भरकम राशि खर्च करती है. ऐसे में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की जिम्मेदारी बनती है कि मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक से अधिक लाभ मिल सके.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में जांच सुविधाओं का विस्तार होने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार देखने को मिला है. इसके बावजूद सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान आज रेफरल केंद्र के रूप में ही बनी हुई है.

मेरा प्रयास ट्रॉमा सेंटर में आने वाले गम्भीर मरीजों और डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के तत्काल रेफर करने की प्रथा पर अंकुश लगाना है. सरकार ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित किए थे ताकि जरूरतमंद मरीजों को तत्काल उपचार महैया करवाया जा सके, परंतु रेफर करने की प्रथा के कारण ट्रॉमा सेंटरों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है.

रेवाड़ी: जिले के एक मात्र ट्रॉमा सेंटर से अब मरीजों को रेफर करना आसान नहीं होगा. यहां आने वाले मरीजों को हायर सेंटर में रेफर करने से पहले ऑन काल ड्यूटी विशेषज्ञ डॉक्टर को मरीज का निरीक्षण और उपचार भी करना होगा. विशेष परिस्थितियों में मरीज को रेफर करने वाले डॉक्टर को रेफर करने का वाजिब कारण बताना होगा.

पीएमओ ने जारी किए निर्देश

ऐसा होने से सरकार की ट्रॉमा सेंटर खोलने की योजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सकेगा. जिला नागरिक अस्पताल में पीएमओ का कार्यभार संभालने के बाद डॉ. सुशील कुमार इसे अपनी पहली प्राथमिकता करार दिया है.

उन्होंने कहा मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार भारी भरकम राशि खर्च करती है. ऐसे में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की जिम्मेदारी बनती है कि मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक से अधिक लाभ मिल सके.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में जांच सुविधाओं का विस्तार होने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार देखने को मिला है. इसके बावजूद सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान आज रेफरल केंद्र के रूप में ही बनी हुई है.

मेरा प्रयास ट्रॉमा सेंटर में आने वाले गम्भीर मरीजों और डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के तत्काल रेफर करने की प्रथा पर अंकुश लगाना है. सरकार ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित किए थे ताकि जरूरतमंद मरीजों को तत्काल उपचार महैया करवाया जा सके, परंतु रेफर करने की प्रथा के कारण ट्रॉमा सेंटरों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है.

Intro:रेवाड़ी, 30 जून।
जिला के एक मात्र ट्रॉमा सेंटर से अब मरीज़ों को रेफ़र करना आसान नही होगा। यहां आने वाले मरीज़ को हायर सेंटर में रेफ़र करने से पहले ऑन काल ड्यूटी विशेषज्ञ डॉक्टर कक ना केवल मरीज़ का निरीक्षण करना होगा, बल्कि जहां तक संभव हो उसका उपचार भी करना होगा।
विशेष परिस्थितियों में मरीज को रेफ़र करने वाले डॉक्टर को रेफर करने का वाज़िब कारण बताना पड़ेगा तथा मरीज़ रेफ़र होने पर सम्बंधित डॉक्टर की जवाबदेही होगी।


Body:ऐसा होने से ही सरकार की ट्रॉमा सेंटर खोलने की योजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सकेगा। जिला नागरिक अस्पताल का में पीएमओ का कार्यभार संभालने के बाद डॉ सुशील कुमार माही ने इसे अपनी पहली प्राथमिकता करार दिया है। उन्होंने कहा मरीजों को बेहतर दुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार भारी भरकम राशि खर्च करती है। ऐसे में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ़ की भी जिम्मेदारी बनती है कि मरीज़ों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में महंगी जांच सुविधाओं का विस्तार होने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार देखने को मिला है। इसके बावजूद सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान आज भी रैफरल केंद्र के रूप में ही बनी हुई है, तथा मेरा प्रयास ट्रॉमा सेंटर में आने वाले गम्भीर मरीजों व डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं के तत्काल रेफ़र करने की प्रथा पर अंकुश लगाना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित किए थे ताकि जरूरतमंद मरीज़ों को तत्काल उपचार महैया करवाया जा सके, परंतु रेफ़र करने की बढ़ती प्रथा के कारण ट्रॉमा सेंटरों का सही उपयोग नही हो पा रहा है। मैने इस पर अंकुश लगाने के लिए ओपीडी टाइम के बाद ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीज़ों का ऑन काल ड्यूटी विशेषज्ञ डॉक्टरों से निरीक्षण करवाने तथा जहां तक संभव हो मरीज़ को उपचार देने की व्यवस्था करने की योजना बनाई है। ज़्यादा जरूरी होने पर ही मरीज़ को रेफ़र करना सुनिश्चित करने के लिए रेफ़र होने वाले मरीज़ों के लिए एमएलसी काटकर बेड मिलने से पहले ही रेफ़र का पर्चा थमा दिया जाता है। रेफ़र होने वाले अधिकतर मरीज़ हायर सेंटर पहुचने के बजाय आसपास के प्राइवेट अस्पतालों में पहुँच जाते है तथा अज्ञात एवं ग़रीब मरीज़ ही पीजीआई तक पहुँच पाते है। ट्रॉमा सेंटर से रेफ़र होने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस चालक व स्टाफ़ सदस्य दलाल की भूमिका निभाते है।
बाइट--डॉ सुशील कुमार माही, प्रिंसिपल मेडिकल अधिकारी रेवाड़ी।


Conclusion:अब सरकारी अस्पतालों में भी निजी अस्पतालों जैसी सुविधाएं होने का लाभ उन ग़रीब मरीज़ों को मिल ही जाएगा अगर नए पीएमओ ने जो दिशा-निर्देश चिकित्सकों के लिए जारी किए गए है। अब देखना होगा कि सरकारी डॉक्टर आदेशों की पालना कर मरीज़ों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचा सकेंगे या नही यह तो वक्त ही बताएगा।
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