रेवाड़ी: पीतल नगरी रेवाड़ी शहर वैसे तो कागजों में कैटल फ्री है, लेकिन यहां आवारा पशुओं की भरमार है. सैकड़ों की संख्या में आवारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आते हैं. आवारा पशुओं के चलते आए दिन हादसे होते रहते हैं और लोग इनका शिकार हो रहे हैं. इन आवारा पशुओं के चलते सड़कों पर जाम की स्थिति भी बनी रहती है.
बुधवार को दो सांडों की लड़ाई में एक युवक संजय उर्फ डॉली की जान चली गई. जिससे गुस्सा होकर स्थानीय लोग गुरुवार को जिला सचिवालय पहुंचे और एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर आवारा पशुओं को हटाने की मांग की. साथ ही मृतक संजय उर्फ डॉली के परिवार को आर्थिक सहायता और पत्नी को नौकरी देनी की मांग की.
समाजसेवी अधिवक्ता सुधीर भार्गव ने बताया कि आवारा पशुओं को लेकर नगर परिषद को बार-बार कोर्ट के माध्यम से चेताया गया है, लेकिन नगर परिषद की कार्यप्रणाली ढाक के तीन पात वाली है. एक सप्ताह पहले नगर के गुर्जरवाडा मोहल्ले में दो मासूम बच्चों पर बेसहारा पशुओं ने जानलेवा हमला कर दिया. गनीमत रही कि स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें समय रहते उनके चुंगुल से छुड़ा लिया गया वरना जान से हाथ धोना पड़ता. इतना ही नहीं बुधवार के दिन दो सांडों की लड़ाई में एक युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी.
स्थानीय लोगों ने कहा कि पहले अगर लोग जागरूक होते तो युवक को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती. लोग इन बेसहारा पशुओं को सड़कों पर घूमते हुए नहीं देखना चाहते हैं. जिला प्रशासन और नगर परिषद को चाहिए कि अब इन बेसहारा पशुओं को सड़कों से हटाया जाए. ताकि लोगों को इनके आतंक से मुक्ति मिल सके.
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बता दें कि, नगर परिषद द्वारा बेसहारा पशुओं को सड़कों से हटाने के लिए टेंडर भी छोड़ा जाता है, लेकिन ये सब कागजों तक सीमित रह जाता है. जिसकी वजह से कैटल फ्री नगरी रेवाड़ी की सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में बेसहारा पशुओं को घूमते हुए देखा जा सकता है.