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रेवाड़ी: बागवानी किसानों पर बरपा ठंड का कहर, फसलें बर्बाद, सरकारी योजनाएं भी फ्लॉप!

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Published : Feb 11, 2020, 12:05 PM IST

खेती छोड़ किसान बागवानी कर मुनाफा कमाने में जुटे हुए हैं लेकिन कई बार बागवानी भी उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं दे पाती. ऐसा ही कुछ देखने को मिला है रेवाड़ी के खेतियावास गांव में जहां के किसान जगदीश को ठंड के चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.

horticulture farmer jagdish of rewari
बागवानी किसानों पर बरपा ठंड का कहर, फसलें बर्बाद, सरकारी योजनाएं भी फ्लॉप!

रेवाड़ीः खेतियावास गांव निवासी 70 वर्षीय बागवानी किसान जगदीश ने अपनी 35 एकड़ जमीन पर पिछले 12 सालों से बागवानी कर मुनाफा कमा रहे हैं. घरेलू खेती छोड़ बागवानी कर रहे किसान जगदीश को इस खेती से जहां मुनाफा हो रहा है.

वहीं दूसरी ओर उन्हें काफी नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. बागवानी में लग रही नई-नई बीमारियों के चलते किसान काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि सरकारी योजनाएं केवल कागजी बनकर रह गई हैं. किसानों को इन योजनाओं का कोई फायदा नहीं मिल रहा.

बागवानी किसानों पर बरपा ठंड का कहर

35 एकड़ जमीन पर बागवानी
खेतियावास गांव निवासी 70 वर्षीय बागवानी किसान जगदीश ने अपनी कुल 35 जमीन में से 10 एकड़ पर अमरूद, 5 एकड़ पर मौसमी, 2 एकड़ पर माल्टा, 18 एकड़ पर कीनू और 1 एकड़ जमीन पर नींबू लगाए हुए हैं.

साल 2007 से लगातार बागवानी कर रहे किसान जगदीश ने बताया कि बागवानी की पंजाब में 20 से 25 साल और हरियाणा में 10 से 12 साल की मियाद फसलों की होती है. पंजाब में नहरी पानी होने से बागवानी की मियाद ज्यादा है अगर हरियाणा में भी नहरी पानी मिले तो यहां भी मौसम फसल के अनुकूल रहेगा और फसलों को पर्याप्त और मीठा पानी उपलब्ध होगा. जिससे यहां की बागवानी की भी मियाद पंजाब के बराबर हो सकेगी.

हर साल इतना होता है खर्चा
किसान जगदीश की मानें तो हर साल प्रति एकड़ पर उन्हें 30 हजार खर्च करने पड़ते हैं जिसकी एवज में वो हर साल प्रति एकड़ से 1 लाख तक की आमदनी कर लेते हैं. किसान जगदीश ने बताया कि वो अपनी फसलों को बीमारी से बचाने के लिए गोमूत्र का स्प्रे ज्यादातर करता है.

ये भी पढ़ेंः 34वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला: लोगों ने जमकर उठाया जादू के खेल का लुत्फ

गोमूत्र से फसलों की सुरक्षा
वहीं अधिक पैदावार लेने के लिए जगदीश जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए उसने अपने फार्म हाउस पर 25 गाय रखी हुई है. उन्होंने बताया कि इन गायों ने उन्हें दूध के साथ-साथ गोबर की खाद व गोमूत्र फसलों पर छिड़काव के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है. जिसके चलते वो अपनी फसलों को ज्यादातर बीमारियों से छुटकारा दिलाने में सफल भी रहते हैं.

ये बीमारियां करती हैं फसलों को नष्ट
किसान जगदीश ने बताया कि ज्यादातर बागवानी में जड़ गलत नीमा टोड व्हाइटफ्लाई यानी सफेद मक्खी रेडलाइट यानी मोटी मक्खी बीमारियां लग जाती है. जिससे फसल के साथ-साथ पेड़ भी नष्ट हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि फसलों के बचाव के लिए वो ज्यादातर गोमूत्र का स्प्रे कर अपनी फसल को सुरक्षित रखता है लेकिन उसके बावजूद कुछ फसलें ऐसी भी है जो बर्बाद हो जाती है.

'कागजों तक सिमटी सरकारी योजनाएं'
बागवानी से तैयार फसल को किसान रेवाड़ी, पटौदी, भिवाड़ी, धारूहेड़ा और गुरुग्राम की मंडियों में अपने वाहनों द्वारा ही सप्लाई करता है. किसान जगदीश ने बताया कि हर साल की तरह इस साल सर्दी का प्रकोप फसलों पर हावी रहा. जिससे मुनाफा कम हुआ है.

किसान ने बताया कि भावांतर भरपाई फसल योजना का उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि किसान फसल बर्बाद होने पर आत्महत्या कर रहा है और सरकार कागजों में ही खानापूर्ति कर किसान की आमदनी डेढ़ गुना करने की बात कह रही है. जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है.

रेवाड़ीः खेतियावास गांव निवासी 70 वर्षीय बागवानी किसान जगदीश ने अपनी 35 एकड़ जमीन पर पिछले 12 सालों से बागवानी कर मुनाफा कमा रहे हैं. घरेलू खेती छोड़ बागवानी कर रहे किसान जगदीश को इस खेती से जहां मुनाफा हो रहा है.

वहीं दूसरी ओर उन्हें काफी नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. बागवानी में लग रही नई-नई बीमारियों के चलते किसान काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि सरकारी योजनाएं केवल कागजी बनकर रह गई हैं. किसानों को इन योजनाओं का कोई फायदा नहीं मिल रहा.

बागवानी किसानों पर बरपा ठंड का कहर

35 एकड़ जमीन पर बागवानी
खेतियावास गांव निवासी 70 वर्षीय बागवानी किसान जगदीश ने अपनी कुल 35 जमीन में से 10 एकड़ पर अमरूद, 5 एकड़ पर मौसमी, 2 एकड़ पर माल्टा, 18 एकड़ पर कीनू और 1 एकड़ जमीन पर नींबू लगाए हुए हैं.

साल 2007 से लगातार बागवानी कर रहे किसान जगदीश ने बताया कि बागवानी की पंजाब में 20 से 25 साल और हरियाणा में 10 से 12 साल की मियाद फसलों की होती है. पंजाब में नहरी पानी होने से बागवानी की मियाद ज्यादा है अगर हरियाणा में भी नहरी पानी मिले तो यहां भी मौसम फसल के अनुकूल रहेगा और फसलों को पर्याप्त और मीठा पानी उपलब्ध होगा. जिससे यहां की बागवानी की भी मियाद पंजाब के बराबर हो सकेगी.

हर साल इतना होता है खर्चा
किसान जगदीश की मानें तो हर साल प्रति एकड़ पर उन्हें 30 हजार खर्च करने पड़ते हैं जिसकी एवज में वो हर साल प्रति एकड़ से 1 लाख तक की आमदनी कर लेते हैं. किसान जगदीश ने बताया कि वो अपनी फसलों को बीमारी से बचाने के लिए गोमूत्र का स्प्रे ज्यादातर करता है.

ये भी पढ़ेंः 34वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला: लोगों ने जमकर उठाया जादू के खेल का लुत्फ

गोमूत्र से फसलों की सुरक्षा
वहीं अधिक पैदावार लेने के लिए जगदीश जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए उसने अपने फार्म हाउस पर 25 गाय रखी हुई है. उन्होंने बताया कि इन गायों ने उन्हें दूध के साथ-साथ गोबर की खाद व गोमूत्र फसलों पर छिड़काव के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है. जिसके चलते वो अपनी फसलों को ज्यादातर बीमारियों से छुटकारा दिलाने में सफल भी रहते हैं.

ये बीमारियां करती हैं फसलों को नष्ट
किसान जगदीश ने बताया कि ज्यादातर बागवानी में जड़ गलत नीमा टोड व्हाइटफ्लाई यानी सफेद मक्खी रेडलाइट यानी मोटी मक्खी बीमारियां लग जाती है. जिससे फसल के साथ-साथ पेड़ भी नष्ट हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि फसलों के बचाव के लिए वो ज्यादातर गोमूत्र का स्प्रे कर अपनी फसल को सुरक्षित रखता है लेकिन उसके बावजूद कुछ फसलें ऐसी भी है जो बर्बाद हो जाती है.

'कागजों तक सिमटी सरकारी योजनाएं'
बागवानी से तैयार फसल को किसान रेवाड़ी, पटौदी, भिवाड़ी, धारूहेड़ा और गुरुग्राम की मंडियों में अपने वाहनों द्वारा ही सप्लाई करता है. किसान जगदीश ने बताया कि हर साल की तरह इस साल सर्दी का प्रकोप फसलों पर हावी रहा. जिससे मुनाफा कम हुआ है.

किसान ने बताया कि भावांतर भरपाई फसल योजना का उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि किसान फसल बर्बाद होने पर आत्महत्या कर रहा है और सरकार कागजों में ही खानापूर्ति कर किसान की आमदनी डेढ़ गुना करने की बात कह रही है. जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है.

Intro:रेवाड़ी 10 फरवरी।
खेती छोड़ किसान बागवानी कर मुनाफा कमाने में जुटे हुए हैं लेकिन कई बार बागवानी भी उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं दे पाती जो इस बार सर्दी के चलते किसानों की अमरूद की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है।


Body:रेवाड़ी के गांव खेतलावास निवासी 70 वर्षीय बागवानी किसान जगदीश ने अपनी 35 एकड़ भूमि पर पिछले 12 वर्षों से बागवानी कर मुनाफा कमा रहे हैं।
इतनी भूमि पर कि यह बागवानी:
गांव खेतियावास निवासी 70 वर्षीय बागवानी किसान जगदीश ने अपनी कुल 35 एकड़ भूमि में से 10 एकड़ भूमि पर अमरूद, 5 एकड़ भूमि पर मौसमी, 2 एकड़ भूमि पर माल्टा, 18 एकड़ भूमि पर कीनू, 1 एकड़ भूमि पर नींबू लगाए हुए हैं।
प्रतिवर्ष इतना होता है खर्चा:
किसान जगदीश की मानें तो प्रति वर्ष प्रति एकड़ पर उन्हें ₹30, 000 खर्च करने पड़ते हैं जिसकी एवज में वह प्रति वर्ष प्रति एकड़ से ₹1,00,000 की आमदनी कर लेता है।
अधिक पैदावार वह फसल सुरक्षा के लिए इनका करता है प्रयोग: किसान जगदीश ने बताया कि वह अपनी फसलों को बीमारी से बचाने के लिए गोमूत्र का स्प्रे ज्यादातर करता है वही वह अधिक पैदावार लेने के लिए जैविक खाद का ही इस्तेमाल कर रहा है जिसके लिए उसने अपने फार्म हाउस पर 25 गाय रखी हुई है जिनसे उसे दूध के साथ साथ गोबर की खाद व गोमूत्र फसलों पर छिड़काव के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है जिसके चलते वह अपनी फसलों को ज्यादातर बीमारियों से छुटकारा दिलाने में सफल भी रहता है।
यह बीमारियां करती हैं फसल को नष्ट:
किसान जगदीश ने बताया कि ज्यादातर बागवानी में जड़ गलत नीमा टोड व्हाइटफ्लाई यानी सफेद मक्खी रेडलाइट यानी मोटी मक्खी बीमारियां लग जाती है जिससे फसल के साथ-साथ पेड़ भी नष्ट हो जाते हैं। जिनके बचाव के लिए वह ज्यादातर गोमूत्र का स्प्रे कर अपनी फसल को सुरक्षित रखता है।
इन मंडियों में होती है सप्लाई:
बागवानी से तैयार फसल को किसान रेवाड़ी पटौदी भिवाड़ी धारूहेड़ा वह गुरुग्राम की मंडियों में अपने वाहनों द्वारा ही सप्लाई करता है। गांव खेती आवास का रहने वाला 70 वर्षीय किसान वर्ष 2007 से लगातार बागवानी कर रहा है। किसान ने बताया कि बागवानी की पंजाब में 20 से 25 साल वह हरियाणा में 10 से 12 साल की मियाद फ़सलों की होती है। पंजाब में नेहरी पानी होने से बागवानी की मियाद ज्यादा है अगर हरियाणा में भी लहरी पानी मिले तो यहां भी मौसम फसल के अनुकूल रहेगा और फसलों को पर्याप्त वह मीठा पानी उपलब्ध होगा जिससे यहां की बागवानी की भी मियाद पंजाब के बराबर हो सकेगी।
किसान जगदीश ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष सर्दी का प्रकोप फसलों पर हावी रहा जिससे वर्ष मुनाफा कम हुआ। किसान ने बताया कि भावांतर भरपाई फसल योजना का उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। किसान फसल बर्बाद होने पर आत्महत्या कर रहा है और सरकार कागजों में ही खानापूर्ति कर किसान की आमदनी डेढ़ गुना करने की बात कह रही है। जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है किसान को सरकार से कोई भी सहायता नहीं मिलती जिसके चलते मजबूर होकर किसान आत्महत्या करने पर विवश हो जाता है।
बाइट--जगदीश, बाग़वानी किसान।


Conclusion:अब देखना होगा कि किसानों को लाभ पहुंचाने की बात करने वाली सरकार क्या इस हालत में किसान की सहायता कर पाएगी या फिर किसान यूं ही मजबूर होकर आत्महत्याएं करने के लिए विवश रहेंगे।
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