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स्पेशल रिपोर्ट: आजादी से अब तक पानी को तरस रहा ये गांव, वोट लेकर भूले नेता - special report

हरियाणा में एक खोरी नाम का गांव है जहां आजादी के 70 साल बाद भी लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. लोगों का आरोप है कि आज तक की सरकारें बस वोट हथियाने के लिए पानी पहुंचाने का झूठा आश्वासन ही देती रही हैं, लेकिन वोट लेने के बाद भी आज तक पानी नहीं पहुंचाया गया.

हरियाणा बोल्या
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Published : May 5, 2019, 12:30 PM IST

Updated : May 6, 2019, 12:25 PM IST

रेवाड़ीः आजादी के 70 साल बाद भी हरियाणा में एक खोरी के लोग पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सरकारे बनती रहीं, नेता बदलते रहे लेकिन ग्रामीणों की पानी की समस्या का कोी समाधान नहीं हुआ. हर बार नेता आते हैं और पानी का झूठा आश्वासन देकर वोट ले जाते हैं.

आपको बता दें कि इस गांव की आबादी करीब साढ़े 7 हजार है. जहां लगभग 8 सौ परिवार रहते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक आज तक वो खारा पानी पीने को मजबूर है. उनका कहना है कि उन लोगों ने सरकार के सामने कई बार इसकी मांग उठाई है. मगर नेता आपनी रोटियां सेंक कर गायब हो जाते हैं.

रिपोर्ट

गांव के ही एक आरटीआई कार्यकर्ता ने जब संबंधित विभाग से पानी को लेकर सूचना मांगी तो उन्होंने बताया कि साल 2000 से लेकर 2018 तक गांव पर पानी के लिए एक करोड़ 33 लाख रूपये हरियाणा सरकार खर्च कर चुकी है. उसके बावजूद उन्हें जो पानी दिया जाता है वो तो इंसान के पीने लायक बिल्कुल नहीं है.

जानकारी के मुताबिक पिछले दो सालों में हरियाणा सरकार ने यहां एक NGO नंदी से मिलकर आरो प्लांट भी लगवाया. जिसकी छमता दस हजार लीटर पानी रोज फिल्टर कर ग्रामीणों को उपलब्ध करवाना है. ग्रामीणों ने बताया कि फिल्टर प्लांट लगाने के दो महीनों तक तो पानी निःशुल्क दिया जाता था, लेकिन दो महीने बाद ही ये पानी ग्रामीणों को खरीदकर पीना पड़ रहा है. NGO द्वारा 200 रूपये कीमत की एक केन जिसमें 20 लीटर पानी आता है और एक प्री-पेड कार्ड भी दिया गया है. जिसमें 150 रूपये में 30 केन पानी दिया जाने लगे हैं. जिसका बिल भी उन्हें नहीं दिया जाता.

रेवाड़ीः आजादी के 70 साल बाद भी हरियाणा में एक खोरी के लोग पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सरकारे बनती रहीं, नेता बदलते रहे लेकिन ग्रामीणों की पानी की समस्या का कोी समाधान नहीं हुआ. हर बार नेता आते हैं और पानी का झूठा आश्वासन देकर वोट ले जाते हैं.

आपको बता दें कि इस गांव की आबादी करीब साढ़े 7 हजार है. जहां लगभग 8 सौ परिवार रहते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक आज तक वो खारा पानी पीने को मजबूर है. उनका कहना है कि उन लोगों ने सरकार के सामने कई बार इसकी मांग उठाई है. मगर नेता आपनी रोटियां सेंक कर गायब हो जाते हैं.

रिपोर्ट

गांव के ही एक आरटीआई कार्यकर्ता ने जब संबंधित विभाग से पानी को लेकर सूचना मांगी तो उन्होंने बताया कि साल 2000 से लेकर 2018 तक गांव पर पानी के लिए एक करोड़ 33 लाख रूपये हरियाणा सरकार खर्च कर चुकी है. उसके बावजूद उन्हें जो पानी दिया जाता है वो तो इंसान के पीने लायक बिल्कुल नहीं है.

जानकारी के मुताबिक पिछले दो सालों में हरियाणा सरकार ने यहां एक NGO नंदी से मिलकर आरो प्लांट भी लगवाया. जिसकी छमता दस हजार लीटर पानी रोज फिल्टर कर ग्रामीणों को उपलब्ध करवाना है. ग्रामीणों ने बताया कि फिल्टर प्लांट लगाने के दो महीनों तक तो पानी निःशुल्क दिया जाता था, लेकिन दो महीने बाद ही ये पानी ग्रामीणों को खरीदकर पीना पड़ रहा है. NGO द्वारा 200 रूपये कीमत की एक केन जिसमें 20 लीटर पानी आता है और एक प्री-पेड कार्ड भी दिया गया है. जिसमें 150 रूपये में 30 केन पानी दिया जाने लगे हैं. जिसका बिल भी उन्हें नहीं दिया जाता.

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Last Updated : May 6, 2019, 12:25 PM IST
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