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सुपर-30 की तर्ज पर हरियाणा में 'सुपर-100' की शुरूआत, इस साल 48 में से 43 छात्र IIT-JEE में सेलेक्ट

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Published : Jan 21, 2020, 10:40 AM IST

Updated : Jan 24, 2020, 9:53 AM IST

सुपर-30 की तर्ज पर हरियाणा में अब 'सुपर-100' की शुरूआत हो चुकी है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब घरों के छात्रों को मुफ्त में तैयारी कराकर देश की सम्मानित परीक्षाओं के लिए तैयार किया जा रहा है. इस साल 48 में 43 छात्र IIT-JEE में सेलेक्ट भी हो चुके हैं.

Super 100
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रेवाड़ीः बिहार के सुपर-30 की तर्ज पर हरियाणा में भी सुपर-100 के जरिए प्रतिभाओं को तराशने की मुहिम शुरू हो चुकी है. इसके तहत विकल्प नाम का एक निजी संस्थान सरकार के सहयोग से सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को IIT और NEET जैसे बड़े कॉम्पटीशन की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग देता है. इस पहल के तहत दो संस्थान एक पंचकूला और एक रेवाड़ी में चलाए जा रहे हैं. इस बार रेवाड़ी के 48 छात्रों ने IIT-JEE मेन्स की परीक्षा में हिस्सा लिया और उनमें से 43 छात्र सेलेक्ट हो गए.

क्या है सुपर-100 प्रोग्राम?
आईआईटी छात्र रहे नवीन कुमार मिश्रा ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 2013 में विकल्प संस्थान की शुरूआत की. जिसके जरिए सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को प्रतिष्ठित परीक्षाओं के लिए तैयार करने का बीड़ा उठाया गया. उसके बाद 2015 तक चले संस्थान के पहले बैच के 18 छात्र-छात्राओं में से 15 का चयन आईआईटी में हुआ, वहीं एक छात्रा का सेलेक्शन दिल्ली एम्स में पढ़ाई के लिए हुआ.

सुपर-30 की तर्ज पर हरियाणा में 'सुपर-100' की शुरूआत, इस साल 48 में से 43 छात्र IIT-JEE में सेलेक्ट.

सुपर-100 प्रोग्राम की शुरूआत
साल 2017 में विकल्प संस्थान के प्रमुख नवीन कुमार मिश्रा की मुलाकात नारनौल के तत्कालीन उपायुक्त राजनारायण कौशिक से हुई. जिन्होंने इस मुहिम की सराहना की. कुछ समय बाद राजनारायण कौशिक एजुकेशन विभाग के डायरेक्टर बना दिए गए. डायरेक्टर बनने के बाद राजनारायण ने विकल्प संस्थान की पहल को सरकारी स्तर पर चलाने की योजना बनाई और निर्णय लिया गया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब छात्र-छात्राओं के लिए सुपर-100 नाम से एक कार्यक्रम चलाया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- जल्द लागू होगा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, समन्वय समिति की बैठक में 33 बिंदुओं पर बनी सहमति

2018 में शुरू हुआ सुपर-100 का पहला बैच
सुपर-100 प्रोग्राम के तहत छात्रों के चयन के लिए 2018 में पहली बार प्रदेश के सभी जिलों में परीक्षा का आयोजन हुआ. जिसमें कोचिंग के लिए 200 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ. उसके बाद 2019 में दूसरे और अब 2020 में इस प्रोग्राम के तीसरे बैच के लिए छात्र-छात्राओं का चयन होगा.

कैसे होता है छात्रों का चयन ?
सुपर-100 प्रोग्राम के तहत पढ़ाई के लिए छात्र या छात्रा के 10वीं में कम से कम 80 फीसदी अंक होने चाहिए. इसके लिए उन्हें एक टेस्ट भी देना पड़ता है. ये टेस्ट सरकारी स्तर पर आयोजित किया जाता है. जो छात्रों के गृह जिले में ही होता है. इसकी जानकारी स्कूल और विज्ञापन के जरिए बच्चों और उनके परिजनों को दी जाती है. जिला स्तर पर होने वाले टेस्ट में सेलेक्ट होने के बाद छात्र चार दिन रेवाड़ी और पंचकूला के विकल्प संस्थान में पढ़ाई करते हैं, उसके बाद उनका एक और टेस्ट लिया जाता है. दूसरे टेस्ट में पास होने के बाद ही छात्र का चयन विकल्प संस्थान के सुपर-100 बैच में पढ़ने के लिए होता है.

सरकार उठाती है छात्रों का खर्च
सुपर-100 प्रोग्राम के तहत छात्रों के रहने, खाने-पीने, हॉस्टल और किताबों की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है. छात्रों को पढ़ाने की व्यवस्था विकल्प संस्थान अपने खर्च पर करता है. इस प्रोग्राम के तहत सरकार की ओर से विकल्प संस्थान को कोई रकम नहीं दी जाती है.

सुपर-100 प्रोग्राम गरीब परिवारों के छात्रों के हौसलों की उड़ान को पंख लगाने का काम कर रहा है. अगर ये कार्यक्रम व्यापक स्तर पर चलाया जाए तो निश्चित रूप से आर्थिक तंगी से जूझ रहे ज्यादा से ज्यादा परिवारों के बच्चों के सपने साकार हो पाएंगे.

ये भी पढ़ेंः- फरीदाबाद: बच्चों ने परफ्यूम समझकर क्लास में छिड़का पेपर स्प्रे, कई बच्चों की हालत बिगड़ी

रेवाड़ीः बिहार के सुपर-30 की तर्ज पर हरियाणा में भी सुपर-100 के जरिए प्रतिभाओं को तराशने की मुहिम शुरू हो चुकी है. इसके तहत विकल्प नाम का एक निजी संस्थान सरकार के सहयोग से सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को IIT और NEET जैसे बड़े कॉम्पटीशन की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग देता है. इस पहल के तहत दो संस्थान एक पंचकूला और एक रेवाड़ी में चलाए जा रहे हैं. इस बार रेवाड़ी के 48 छात्रों ने IIT-JEE मेन्स की परीक्षा में हिस्सा लिया और उनमें से 43 छात्र सेलेक्ट हो गए.

क्या है सुपर-100 प्रोग्राम?
आईआईटी छात्र रहे नवीन कुमार मिश्रा ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 2013 में विकल्प संस्थान की शुरूआत की. जिसके जरिए सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को प्रतिष्ठित परीक्षाओं के लिए तैयार करने का बीड़ा उठाया गया. उसके बाद 2015 तक चले संस्थान के पहले बैच के 18 छात्र-छात्राओं में से 15 का चयन आईआईटी में हुआ, वहीं एक छात्रा का सेलेक्शन दिल्ली एम्स में पढ़ाई के लिए हुआ.

सुपर-30 की तर्ज पर हरियाणा में 'सुपर-100' की शुरूआत, इस साल 48 में से 43 छात्र IIT-JEE में सेलेक्ट.

सुपर-100 प्रोग्राम की शुरूआत
साल 2017 में विकल्प संस्थान के प्रमुख नवीन कुमार मिश्रा की मुलाकात नारनौल के तत्कालीन उपायुक्त राजनारायण कौशिक से हुई. जिन्होंने इस मुहिम की सराहना की. कुछ समय बाद राजनारायण कौशिक एजुकेशन विभाग के डायरेक्टर बना दिए गए. डायरेक्टर बनने के बाद राजनारायण ने विकल्प संस्थान की पहल को सरकारी स्तर पर चलाने की योजना बनाई और निर्णय लिया गया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब छात्र-छात्राओं के लिए सुपर-100 नाम से एक कार्यक्रम चलाया जाएगा.

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2018 में शुरू हुआ सुपर-100 का पहला बैच
सुपर-100 प्रोग्राम के तहत छात्रों के चयन के लिए 2018 में पहली बार प्रदेश के सभी जिलों में परीक्षा का आयोजन हुआ. जिसमें कोचिंग के लिए 200 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ. उसके बाद 2019 में दूसरे और अब 2020 में इस प्रोग्राम के तीसरे बैच के लिए छात्र-छात्राओं का चयन होगा.

कैसे होता है छात्रों का चयन ?
सुपर-100 प्रोग्राम के तहत पढ़ाई के लिए छात्र या छात्रा के 10वीं में कम से कम 80 फीसदी अंक होने चाहिए. इसके लिए उन्हें एक टेस्ट भी देना पड़ता है. ये टेस्ट सरकारी स्तर पर आयोजित किया जाता है. जो छात्रों के गृह जिले में ही होता है. इसकी जानकारी स्कूल और विज्ञापन के जरिए बच्चों और उनके परिजनों को दी जाती है. जिला स्तर पर होने वाले टेस्ट में सेलेक्ट होने के बाद छात्र चार दिन रेवाड़ी और पंचकूला के विकल्प संस्थान में पढ़ाई करते हैं, उसके बाद उनका एक और टेस्ट लिया जाता है. दूसरे टेस्ट में पास होने के बाद ही छात्र का चयन विकल्प संस्थान के सुपर-100 बैच में पढ़ने के लिए होता है.

सरकार उठाती है छात्रों का खर्च
सुपर-100 प्रोग्राम के तहत छात्रों के रहने, खाने-पीने, हॉस्टल और किताबों की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है. छात्रों को पढ़ाने की व्यवस्था विकल्प संस्थान अपने खर्च पर करता है. इस प्रोग्राम के तहत सरकार की ओर से विकल्प संस्थान को कोई रकम नहीं दी जाती है.

सुपर-100 प्रोग्राम गरीब परिवारों के छात्रों के हौसलों की उड़ान को पंख लगाने का काम कर रहा है. अगर ये कार्यक्रम व्यापक स्तर पर चलाया जाए तो निश्चित रूप से आर्थिक तंगी से जूझ रहे ज्यादा से ज्यादा परिवारों के बच्चों के सपने साकार हो पाएंगे.

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Intro:रेवाडी, 20 जनवरी।
आईआईटीज के कुछ दोस्तों द्वारा बनाई गई योजना अब सरकारी स्कूल के ग़रीब छात्र-छात्राओं के सपनों को साकार कर उनकी उड़ान को पंख लगा रही है।


Body:आईआईटीज के कुछ दोस्तों द्वारा 2013 में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले ग़रीब परिवारों के होनहार बच्चों के लिए एक ऐसी योजना बनाई जिसको सरकार ने सिरे चढ़ाया।
विकल्प संस्था के संस्थापक नवीन कुमार मिश्रा ने रेवाड़ी के तत्कालीन उपायुक्त सीजी रजनी कांथन के सहयोग से शुरू की गई एक पहल से 18 छात्रों में से 15 बच्चों का चयन IIT में हुआ और एक बच्ची का सेलेक्शन एम्स में हुआ। 2013 से 15 तक यह बेंच चला। संस्था प्रमुख नवीन कुमार मिश्रा की मुलाकात वर्ष 2017 में नारनौल के तत्कालीन उपायुक्त राजनारायण कौशिक से हुई। लेकिन कुछ समय बाद ही उनका ट्रांसफर एजुकेशन डिपार्टमेंट में डायरेक्टर के पद पर चंडीगढ में हो गई। चंडीगढ़ में डायरेक्टर राजनारायन कौशिक से मुलाकात होने पर निर्णय लिया गया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ग़रीब छात्र-छात्राओं के लिए एक योजना सुपर-100 के नाम से चलाई जाएगी। जिसमें 80 फ़ीसदी अंक लेने वाले छात्र-छात्राओं को एक मौका दिया जाएगा। सुपर-100 में शामिल होने के लिए परीक्षा बच्चों के गृह जिले में ही कराई जाने का निर्णय लिया। परीक्षा के बाद 200 बच्चों का चयन किया गया जिसके लिए दो सेंटर रेवाड़ी और पंचकूला में बनाए गए। डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद सरकार की सुपर-100 योजना के बच्चों का परिणाम अच्छा रहा।
इस योजना के लिए साल में एक बार सरकारी स्कूलों के होनहार बच्चों का चयन किया जाता है। जिसमें बच्चों के अंक दसवीं कक्षा में 80 फीट दी होना अनिवार्य है। सरकारी स्कूलों के 80 फ़ीसदी अंक प्राप्त छात्रों का उनके ही गृह जिले में एक टेक्स्ट परीक्षा करवाई जाती है इसकी जानकारी स्कूल व इश्तिहार के जरिए बच्चों व उनके परिजनों को दी जाती है।
विकल्प संस्था के संचालक नवीन कुमार मिश्रा ने बताया कि हमारी संस्था को इसके लिए कोई सरकारी राशि नहीं दी जाती सरकार की तरफ से बच्चों को रहने व खाने-पीने के लिए एक हॉस्टल वह किताबों की व्यवस्था की जाती है बाकी बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था संस्था अपने निजी खर्चे करती है।
संचालक नवीन कुमार मिश्रा ने बताया कि गरीब परिवार व सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सोच मात्र हरियाणा पुलिस, नेवी या बीएसएफ तक ही सीमित रहती है। लेकिन अब बच्चों के सपनों को सरकार की सुपर-100 योजना विकल्प संस्था के सहयोग से साकार कर बच्चों के सपनों की उड़ान को पंख लगाने का काम कर रही है।
सरकारी स्कूल के बच्चों ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी की उसके ज़रिए वह अपने सपनों को साकार कर सकें लेकिन सरकार की सुपर-100 योजना अब हमारे लिए वरदान साबित हो रही है। जिसमें विकल्प संस्थान की ओर से हमें पूरा सहयोग मिल रहा है। हम सरकार की सुपर-100 योजना व विकल्प संस्था का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमारी भावनाओं को समझा और हमें हमारे सपनों को साकार करने का अवसर प्रदान किया।
बाइट--1 से 4 सभी छात्राएं।
बाइट--नवीन कुमार मिश्रा, संचालक, विकल्प संस्था।


Conclusion:सरकार द्वारा चलाई गई सुपर-100 योजना बच्चों के हौसलों की उड़ान को पंख लगाने का काम कर रही है। अब देखना होगा कि इस योजना में 100 से ज्यादा और कितने बच्चों को शामिल कर पाएगी ताकि सभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों के बच्चे अपने सपने को साकार कर सके।
Last Updated : Jan 24, 2020, 9:53 AM IST
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