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बीमा कंपनी पर कंज्यूमर कोर्ट का चला डंडा, 50 हजार रुपये का लगाया जुर्माना, जानें पूरा मामला

Insurance Company in Rewari: रेवाड़ी में बीमा कंपनी को बीमा धारक की मृत्यु के बाद हाउसिंग लोन की बकाया राशि न देना महंगा पड़ गया. जब जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया. साथ ही बकाया लोन की राशि 10 लाख रुपये की अदायगी का भी आदेश दिया है.

Insurance Company in Rewari
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 6, 2024, 10:15 PM IST

रेवाड़ी: हरियाणा के जिला रेवाड़ी में मृत्यु के बाद बीमा कंपनी द्वारा हाउसिंग लोन की बकाया राशि न देने पर जिला कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा, बीमा कंपनी फाइनेंस कंपनी को भी 10 लाख रुपये देगी. यह फैसला जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने आज सुनाया है.

मिली जानकारी के मुताबिक, डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह फाइनेंस कंपनी की बकाया राशि बीमा धारक की मृत्यु के बाद अदा करेगी. मामले में धारूहेड़ा के आजाद नगर निवासी सुगना देवी के पति ने अपने जीवनकाल में आवास फाइनेंशियल लिमिटेड कंपनी से घर बनाने के लिए 28 अप्रैल 2022 को 10 लाख रुपये का लोन लिया था. इस लोन को एक बीमा कंपनी से इंश्योर्ड कराया गया था. जिसमें साफ तौर पर तय किया गया था कि यदि बीमा धारक की मौत हो जाती है, तो उस स्थिति में लोन का बकाया बिल बीमा कंपनी द्वारा दिया जाएगा.

सुगना देवी के पति द्वारा लोन की रकम फाइनेंस कंपनी को दी जा रही थी. लेकिन दुर्भाग्य से 14 अप्रैल 2023 को भंवर सिंह की मौत हो गई. इसके बाद सुगना देवी ने बीमा कंपनी को सूचित कर दिया था कि बकाया लोन की राशि फाइनेंस कंपनी को बीमा कंपनी द्वारा दी जानी है. इसके लिए सुगना देवी ने सारी फॉर्मेलिटी को पूरा किया गया. लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम रद्द कर दिया. जिसमे आरोपी लगाया गया कि शिकायतकर्ता के पति को डायबिटीज थी और बीमा क्लेम करते समय इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई.

एडवोकेट रजवंत डहीनवाल की मदद से जिला उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की गई. जिस पर कार्रवाई करते हुए जिला कंज्यूमर कोर्ट के अध्यक्ष संजय कुमार खंडूजा ने अपने निर्णय में स्पष्ट लिखा है कि मृत्यु की वजह शरीर के कई अंगों का काम न करना है. मेडिकल रिपोर्ट में इस वजह को स्पष्ट भी किया गया है. इसलिए यह कहना कि डायबिटीज की वजह से मौत हुई है. उचित नहीं है. अपने आदेश में आयोग ने साफ किया है कि बीमा कंपनी क्लेम देने से नहीं बच सकती.

जिला कंज्यूमर कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि बीमा कंपनी फाइनेंस कंपनी को लोन की बकाया राशि अदा करेगी और जो लोन की अतिरिक्त राशि आवेदन कर्ता की मौत के बाद वसूली गई है, वह भी वापस करनी होगी. इतना ही नहीं, इंश्योरेंस कंपनी पर 50 हजार रुपये मुआवजा देने के भी आदेश दिए गए हैं. जबकि 11 हजार रुपये वाद खर्च के रूप में भी अतिरिक्त शिकायतकर्ता को दिए जाने के आदेश आयोग की ओर से दिए गए हैं.

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मिली जानकारी के मुताबिक, डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह फाइनेंस कंपनी की बकाया राशि बीमा धारक की मृत्यु के बाद अदा करेगी. मामले में धारूहेड़ा के आजाद नगर निवासी सुगना देवी के पति ने अपने जीवनकाल में आवास फाइनेंशियल लिमिटेड कंपनी से घर बनाने के लिए 28 अप्रैल 2022 को 10 लाख रुपये का लोन लिया था. इस लोन को एक बीमा कंपनी से इंश्योर्ड कराया गया था. जिसमें साफ तौर पर तय किया गया था कि यदि बीमा धारक की मौत हो जाती है, तो उस स्थिति में लोन का बकाया बिल बीमा कंपनी द्वारा दिया जाएगा.

सुगना देवी के पति द्वारा लोन की रकम फाइनेंस कंपनी को दी जा रही थी. लेकिन दुर्भाग्य से 14 अप्रैल 2023 को भंवर सिंह की मौत हो गई. इसके बाद सुगना देवी ने बीमा कंपनी को सूचित कर दिया था कि बकाया लोन की राशि फाइनेंस कंपनी को बीमा कंपनी द्वारा दी जानी है. इसके लिए सुगना देवी ने सारी फॉर्मेलिटी को पूरा किया गया. लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम रद्द कर दिया. जिसमे आरोपी लगाया गया कि शिकायतकर्ता के पति को डायबिटीज थी और बीमा क्लेम करते समय इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई.

एडवोकेट रजवंत डहीनवाल की मदद से जिला उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की गई. जिस पर कार्रवाई करते हुए जिला कंज्यूमर कोर्ट के अध्यक्ष संजय कुमार खंडूजा ने अपने निर्णय में स्पष्ट लिखा है कि मृत्यु की वजह शरीर के कई अंगों का काम न करना है. मेडिकल रिपोर्ट में इस वजह को स्पष्ट भी किया गया है. इसलिए यह कहना कि डायबिटीज की वजह से मौत हुई है. उचित नहीं है. अपने आदेश में आयोग ने साफ किया है कि बीमा कंपनी क्लेम देने से नहीं बच सकती.

जिला कंज्यूमर कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि बीमा कंपनी फाइनेंस कंपनी को लोन की बकाया राशि अदा करेगी और जो लोन की अतिरिक्त राशि आवेदन कर्ता की मौत के बाद वसूली गई है, वह भी वापस करनी होगी. इतना ही नहीं, इंश्योरेंस कंपनी पर 50 हजार रुपये मुआवजा देने के भी आदेश दिए गए हैं. जबकि 11 हजार रुपये वाद खर्च के रूप में भी अतिरिक्त शिकायतकर्ता को दिए जाने के आदेश आयोग की ओर से दिए गए हैं.

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