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रेवाड़ीः लॉकडाउन में खत्म हुआ घर का राशन, महिलाओं ने डीसी से लगाई गुहार

मजदूर और दिहाड़ी करके अपना घर चलाने वाले लोगों पर लॉकडाउन की जबरदस्त मार पड़ रही है. ऐसे परिवारों के सामने खाने पीने का संकट खड़ा हो गया है. पढ़िए पूरी खबर...

Rewari
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Published : Apr 28, 2020, 12:55 PM IST

रेवाड़ीः पूरे देश में करीब 1 महीने से लॉकडाउन जारी है. ऐसे में गरीब परिवारों पर इसकी जबरदस्त मार पड़ रही है. चारों ओर काम बंद होने से दिहाड़ी करके अपना पेट पालने वाले लोगों पर आफत आ गई है.

ऐसी ही हालत रेवाड़ी की नई आबादी इलाके में रहने वाले 16 परिवारों की भी हो गई है. जिसके बाद परिवारों की महिलाएं अपनी फरीयाद लेकर डीसी ऑफिस पहुंची. महिलाओं का कहना है कि उनके घर में राशन खत्म हो गया है और बच्चे भूखे हैं.

रेवाड़ीः लॉकडाउन में खत्म हुआ घर का राशन, महिलाओं ने डीसी से लगाई गुहार

कार्ड के सर्वे में गड़बड़ी का आरोप

महिलाओं का कहना है कि लॉकडाउन में उनके घर में खाने के लिए कुछ नहीं हैं. पात्रता वो BPL यानी गरीबी रेखा से नीचे के कार्ड की रखती हैं, लेकिन उन्हें APL यानी गरीबी रेखा से ऊपर का कार्ड जारी किया गया है. जिस पर सरकार की ओर से राशन नहीं मिलता है, जिसके चलते अब लॉकडाउन के दौरान उनके घर में भूखों मरने की नौबत आ गई है.

महिलाओं का कहना है कि अगर सर्वे ठीक से होता तो उनका परिवार बीपीएल श्रेणी में शामिल होता और आज उनके सामने भूखों मरने की नौबत नहीं आती. उनका कहना है कि जो लोग BPL के पात्र नहीं होने चाहिए, उन्हें प्रशासन की ओर से राशन दिया जा रहा है और उनका परिवार भूखों मर रहा है.

खाद्य आपूर्ति अधिकारी ने दिया मदद का भरोसा

महिलाओं की समस्या सुनने आए खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी नरेश यादव ने सभी 16 महिलाओं की लिस्ट बनाकर उनकी समस्या हल करने का भरोसा दिया है. नरेश यादव ने कहा कि वह अपने उच्चाधिकारियों से बात कर के महिलाओं की मदद करेंगे. क्योंकि APL कार्ड पर राशन देने का प्रावधान नहीं है. नरेश यादव ने महिलाओं की मदद करने के लिए कोई समय सीमा भी नहीं बताई और महिलाओं के घर में राशन नहीं है.

ऐसे में बड़ा सवाल तो ये हैं कि इनके घर में लोगों को कितने दिन भूखा रहना पड़ेगा और क्या उन लोगों पर भी कार्रवाई होगी. जिन्होंने सर्वे में गड़बड़ी करके गरीबों के हक का निवाला किसी और के भाग्य में लिख दिया है.

वहीं सवाल ये भी खड़ा होता है कि जब सरकार का ये कहना है कि लॉकडाउन के दौरान किसी को भी भूखा नहीं रहने दिया जाएगा. तो फिर इन महिलाओं की मदद करने के बजाय सिर्फ आश्वासन देकर काम क्यों चलाया जा रहा है. क्या सिर्फ आश्वासनों से इनके परिवार का पेट भर जाएगा.

ये भी पढ़ेः- हरियाणा की फुटवियर इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

रेवाड़ीः पूरे देश में करीब 1 महीने से लॉकडाउन जारी है. ऐसे में गरीब परिवारों पर इसकी जबरदस्त मार पड़ रही है. चारों ओर काम बंद होने से दिहाड़ी करके अपना पेट पालने वाले लोगों पर आफत आ गई है.

ऐसी ही हालत रेवाड़ी की नई आबादी इलाके में रहने वाले 16 परिवारों की भी हो गई है. जिसके बाद परिवारों की महिलाएं अपनी फरीयाद लेकर डीसी ऑफिस पहुंची. महिलाओं का कहना है कि उनके घर में राशन खत्म हो गया है और बच्चे भूखे हैं.

रेवाड़ीः लॉकडाउन में खत्म हुआ घर का राशन, महिलाओं ने डीसी से लगाई गुहार

कार्ड के सर्वे में गड़बड़ी का आरोप

महिलाओं का कहना है कि लॉकडाउन में उनके घर में खाने के लिए कुछ नहीं हैं. पात्रता वो BPL यानी गरीबी रेखा से नीचे के कार्ड की रखती हैं, लेकिन उन्हें APL यानी गरीबी रेखा से ऊपर का कार्ड जारी किया गया है. जिस पर सरकार की ओर से राशन नहीं मिलता है, जिसके चलते अब लॉकडाउन के दौरान उनके घर में भूखों मरने की नौबत आ गई है.

महिलाओं का कहना है कि अगर सर्वे ठीक से होता तो उनका परिवार बीपीएल श्रेणी में शामिल होता और आज उनके सामने भूखों मरने की नौबत नहीं आती. उनका कहना है कि जो लोग BPL के पात्र नहीं होने चाहिए, उन्हें प्रशासन की ओर से राशन दिया जा रहा है और उनका परिवार भूखों मर रहा है.

खाद्य आपूर्ति अधिकारी ने दिया मदद का भरोसा

महिलाओं की समस्या सुनने आए खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी नरेश यादव ने सभी 16 महिलाओं की लिस्ट बनाकर उनकी समस्या हल करने का भरोसा दिया है. नरेश यादव ने कहा कि वह अपने उच्चाधिकारियों से बात कर के महिलाओं की मदद करेंगे. क्योंकि APL कार्ड पर राशन देने का प्रावधान नहीं है. नरेश यादव ने महिलाओं की मदद करने के लिए कोई समय सीमा भी नहीं बताई और महिलाओं के घर में राशन नहीं है.

ऐसे में बड़ा सवाल तो ये हैं कि इनके घर में लोगों को कितने दिन भूखा रहना पड़ेगा और क्या उन लोगों पर भी कार्रवाई होगी. जिन्होंने सर्वे में गड़बड़ी करके गरीबों के हक का निवाला किसी और के भाग्य में लिख दिया है.

वहीं सवाल ये भी खड़ा होता है कि जब सरकार का ये कहना है कि लॉकडाउन के दौरान किसी को भी भूखा नहीं रहने दिया जाएगा. तो फिर इन महिलाओं की मदद करने के बजाय सिर्फ आश्वासन देकर काम क्यों चलाया जा रहा है. क्या सिर्फ आश्वासनों से इनके परिवार का पेट भर जाएगा.

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