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रेवाड़ीः गाय मरी पड़ी थी और कुत्ते नोंच रहे थे, 80 साल की बुजुर्ग ने घंटो की रखवाली

रेवाड़ी में ट्रेन की चपेट में आने से गाय की मौत हो गई. रविवार होने के कारण कोई भी कर्मचारी गाय को ऊठाने नहीं आया.

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Published : Jun 23, 2019, 7:07 PM IST

रेवाड़ी: देश में गाय के नाम पर राजनीति बहुत होती है, लेकिन गायों के हाल पर किसी को तरस नहीं आता. रेवाड़ी रेलवे स्टेशन के पास देर रात ट्रेन की चपेट में आने से एक गाय की दर्दनाक मौत हो गई. मृत गाय को ऊठाने कोई नहीं आया.

सुबह जब 80 वर्षीय भगवानी देवी सोकर उठीं तो उन्होंने देखा कि गाय रेलगाड़ी की चपेट में आकर मर गई है और उसे आवारा कुत्ते नोच रहे हैं. तब उनसे देखा नहीं गया और घर के बाहर ही हाथ में एक छड़ी लेकर गईं और कुत्तों से गाय को बचाती रही. ये सब सुबह 7 बजे से शुरू हुआ और दोपहर डेढ़ बजे तक चलता रहा.

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80 वर्षीय भगवानी देवी ने बताया कि उन्होंने सुबह गाय को देखा कि कुत्ते उसे नोंच रहे हैं इसलिए वो यहां बैठ कर गाय को कुत्तों से बचा रही है.
दोपहर तक बुजुर्ग गाय को कुत्तों से बचाती रही लेकिन गाय को ऊठाने न तो कोई गौरक्षक आया न कोई कर्मचारी.

आखिरकार जब स्थानीय निवासी ने गौ रक्षक दल को सूचना दी जब जाकर गौ रक्षक दल से टिंकू नाम का युवक आया. उसने जानकारी दी कि मैंने इस सम्बंध में नगर परिषद के अधिकारियों को अवगत भी कराया था लेकिन रविवार होने की वजह से साहब छुट्टी में व्यस्त थे तो वो यहां इसको उठाने के लिए नहीं पहुंच सके. टिंकू ने बताया कि आज इस गाय को हम हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार दफनायेंगे.

रेवाड़ी: देश में गाय के नाम पर राजनीति बहुत होती है, लेकिन गायों के हाल पर किसी को तरस नहीं आता. रेवाड़ी रेलवे स्टेशन के पास देर रात ट्रेन की चपेट में आने से एक गाय की दर्दनाक मौत हो गई. मृत गाय को ऊठाने कोई नहीं आया.

सुबह जब 80 वर्षीय भगवानी देवी सोकर उठीं तो उन्होंने देखा कि गाय रेलगाड़ी की चपेट में आकर मर गई है और उसे आवारा कुत्ते नोच रहे हैं. तब उनसे देखा नहीं गया और घर के बाहर ही हाथ में एक छड़ी लेकर गईं और कुत्तों से गाय को बचाती रही. ये सब सुबह 7 बजे से शुरू हुआ और दोपहर डेढ़ बजे तक चलता रहा.

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80 वर्षीय भगवानी देवी ने बताया कि उन्होंने सुबह गाय को देखा कि कुत्ते उसे नोंच रहे हैं इसलिए वो यहां बैठ कर गाय को कुत्तों से बचा रही है.
दोपहर तक बुजुर्ग गाय को कुत्तों से बचाती रही लेकिन गाय को ऊठाने न तो कोई गौरक्षक आया न कोई कर्मचारी.

आखिरकार जब स्थानीय निवासी ने गौ रक्षक दल को सूचना दी जब जाकर गौ रक्षक दल से टिंकू नाम का युवक आया. उसने जानकारी दी कि मैंने इस सम्बंध में नगर परिषद के अधिकारियों को अवगत भी कराया था लेकिन रविवार होने की वजह से साहब छुट्टी में व्यस्त थे तो वो यहां इसको उठाने के लिए नहीं पहुंच सके. टिंकू ने बताया कि आज इस गाय को हम हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार दफनायेंगे.

Intro:रेवाड़ी, 23 जून।
बुजुर्गों में आज भी गाय माता के प्रति कितना मान-सम्मान है यह उस वक्त देखने को मिला जब एक गाय ने ट्रेन की चपेट में आकर दम तोड़ दिया।


Body:रेवाड़ी जंक्शन रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर बने रेलवे के पुलिया नंबर-1 के समीप देर रात एक गाय किसी ट्रेन की चपेट में आ गई। ट्रेन की चपेट में आने से गाय की दर्दनाक मौत हो गई।
सुबह जब 80 वर्षीय भगवानी देवी सोकर उठी तो उसने देखा कि गाय रेलगाड़ी की चपेट में आकर मर गई है और उसे आवारा कुत्ते नौच रहे है। तब उससे देखा नही गया और घर के बाहर ही हाथ में एक छड़ी लेकर गई। और कुत्तों से गाय को बचाती रही। यह सब सुबह 7 बजे से शुरू हुआ और दोपहर डेढ़ भेज तक चलता रहा। गाय में मरने की सूचना पर वहां पहुंचे एक गौ भगत टिंकू ने बताया कि मुझे इसकी जानकारी की परिचित ने दी है और मैने इस सम्बंध में नगर परिषद के अधिकारियों को अवगत भी कराया था। लेकिन रविवार होने की वजह से साहब छुट्टी में व्यस्त थे तो वह यहां इसको उठाने के लिए नही पहुंच सकें।
टिंकू ने बताया कि वह अपनी टीम के साथ मृतक गायों का संस्कार पिछले कई वर्षों से कर रहे है और आज इस गाय को भी हम हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार ही दफ़नायेंगे।
इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों ने बताया कि सरकार वैसे तो लाखों रुपये गायों पर खर्च करती है। लेकिन अधिकारी इसे बीच में ही हड़प लेते है। जिसके चलते गायों की यह दसा हो गई है।



Conclusion:अब देखना होगा कि आख़िर सरकार गायों के हकों पर डाका मारने वाले अधिकारी की गिरेबान तक पहुंच सकेगी या फिर इन बेजुबानों को यूं ही मौत की नींद सोना पड़ेगा।
बाइट--सचिन, स्थानीय।
बाइट---भगवानी देवी, बुजुर्ग महिला।
बाइट---टिंकू, गौ भगत।
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