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बड़ा भाई बनना चाहता था वेटलिफ्टर एक्सीडेंट में हो गई मौत तो छोटा भाई कुश्ती छोड़कर बन गया वेटलिफ्टर

पानीपत में नारा गांव के वेटलिफ्टर खिलाड़ी गुरमीत ने अपने भाई के सपनों को पूरा करने के लिए अपने सपने की कुर्बानी दे दी. लेकिन, भाई के सपनों को शानदार सफलता के साथ पूरा कर रहा है गुरमीत जिसमें पिता ने भी अपने बेटे का भरपूर साथ दिया है. (Weightlifter Gurmeet in Panipat)

Weightlifter Gurmeet in Panipat
बड़े भाई के लिए छोटा भाई बना वेटलिफ्टर
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Published : May 29, 2023, 11:01 PM IST

बड़े भाई के लिए छोटा भाई बना वेटलिफ्टर

पानीपत: हर एक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह अपना, अपने शहर,गांव और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करें. लेकिन कई बार ऐसी अनहोनी हो जाती है, जिससे सपने अधर में ही दम तोड़ देते हैं. ऐसा ही एक सपना था पानीपत में नारा गांव के रहने वाले वेटलिफ्टर खिलाड़ी प्रदीप का. प्रदीप ओलंपिक में अपने देश को रिप्रजेंट कर मेडल लाना चाहता था. पर साल 2015 में खिलाड़ी प्रदीप की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. लेकिन उसके बाद भी उसका सपना जिंदा रहा. जी हां, उस सपने को अब प्रदीप के छोटे भाई गुरमीत ने पूरा करने की ठान ली थी.

भाई के सपनों को पूरा करने की शुरुआत: गुरमीत जोकि गांव में ही कुश्ती का एक अच्छा प्लेयर था. उसने भाई का सपना पूरा करने के लिए कुश्ती छोड़कर वेटलिफ्टिंग करना शुरू कर दिया. गुरमीत ने भाई प्रदीप के सपनों को पूरा करने के लिए अपने सपनों की कुर्बानी दे दी. भाई का सपना पूरा करने के लिए सन 2016 में गुरमीत ने वेटलिफ्टिंग करना शुरू कर दिया.

शानदार सफर में शानदार सफलता: कड़ी मेहनत और परिश्रम के बाद 2017 में स्कूल नेशनल चैंपियनशिप के पहले ही अटेंप में गोल्ड मेडल हासिल किया. 2018 में गुरमीत ने स्टेट लेवल पर सिल्वर मेडल हासिल किया. 2018 में गुरमीत का सिलेक्शन जूनियर नेशनल में हो गया. जूनियर नेशनल में 89 किलो बॉडिवेट में गुरमीत ने स्नैच कर 135 किलो वजन उठाकर रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल हासिल किया. 2019 में 96 किलोग्राम बॉडीवेट में 137 किलोग्राम भार उठाकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया और नया रिकॉर्ड कायम कर दिया.

Weightlifter Gurmeet in Panipat
वेटलिफ्टर गुरमीत शर्मा.

लॉकडाउन में लगी ब्रेक: 2020 में लॉकडाउन लगने के कारण कोई प्रतियोगिता नहीं हुई. लॉकडाउन में बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए पिता राममेहर ने भी पूरा साथ दिया. पिता ने बेटे के प्रैक्टिस करने के लिए घर पर ही एक हॉल बना दिया. जिसमें गुरमीत रात दिन मेहनत कर प्रैक्टिस करता था. सन 2021 में गुरमीत का सिलेक्शन सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में हुआ.

अब वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी: सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में 96 किलोग्राम बॉडी वेट में फिर गुरमीत ने गोल्ड मेडल हासिल किया. 96 वे किलोग्राम बॉडिवेट भार में इंडिया चैंपियन का खिताब गुरमीत के नाम है. गुरमीत अब दिन-रात प्रैक्टिस कर भाई के सपनों को पूरा करने के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहा है. गुरमीत ने बताया कि उसका सपना एक अच्छा पहलवान बनने का था. पर वह भाई के सपनों को भी टूटता नहीं देख सकता था. इसलिए उसने वेटलिफ्टिंग को चुन लिया और वह इस सपने के लिए जी जान से मेहनत कर एक दिन ओलंपिक में मेडल लाकर देश का नाम भी रोशन करेगा.

ये भी पढ़ें: हादसे में कट गए दोनों हाथ पर हौसला नहीं टूटा, पैरालंपिक में गोल्ड लाना इस दिव्यांग खिलाड़ी का है सपना

एक सलाम पिता के नाम: गुरमीत ने बताया कि पानीपत में कोई भी वेटलिफ्टिंग के लिए एकेडमी नहीं है. वह पहले वेटलिफ्टिंग के लिए मधुबन, यमुनानगर दूसरे शहरों में जाकर कोचिंग ले रहा था. पर अब पिता ने घर में ही उसे वेटलिफ्टिंग का हॉल बनाकर दिया है. जिसमें वह सुबह शाम प्रैक्टिस कर रहा है. वहीं, साथ में शाम को उसका बॉडीबिल्डर दोस्त बेदी गुर्जर भी उसकी मदद करता है. गुरमीत ने बताया कि उसके पिता राममेहर एक किसान हैं और वह भी भाई के सपने को पूरा करने के लिए आर्थिक स्थिति ठीक ना होते हुए भी उन्हें किसी चीज की कमी नहीं आने देते.

बड़े भाई के लिए छोटा भाई बना वेटलिफ्टर

पानीपत: हर एक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह अपना, अपने शहर,गांव और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करें. लेकिन कई बार ऐसी अनहोनी हो जाती है, जिससे सपने अधर में ही दम तोड़ देते हैं. ऐसा ही एक सपना था पानीपत में नारा गांव के रहने वाले वेटलिफ्टर खिलाड़ी प्रदीप का. प्रदीप ओलंपिक में अपने देश को रिप्रजेंट कर मेडल लाना चाहता था. पर साल 2015 में खिलाड़ी प्रदीप की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. लेकिन उसके बाद भी उसका सपना जिंदा रहा. जी हां, उस सपने को अब प्रदीप के छोटे भाई गुरमीत ने पूरा करने की ठान ली थी.

भाई के सपनों को पूरा करने की शुरुआत: गुरमीत जोकि गांव में ही कुश्ती का एक अच्छा प्लेयर था. उसने भाई का सपना पूरा करने के लिए कुश्ती छोड़कर वेटलिफ्टिंग करना शुरू कर दिया. गुरमीत ने भाई प्रदीप के सपनों को पूरा करने के लिए अपने सपनों की कुर्बानी दे दी. भाई का सपना पूरा करने के लिए सन 2016 में गुरमीत ने वेटलिफ्टिंग करना शुरू कर दिया.

शानदार सफर में शानदार सफलता: कड़ी मेहनत और परिश्रम के बाद 2017 में स्कूल नेशनल चैंपियनशिप के पहले ही अटेंप में गोल्ड मेडल हासिल किया. 2018 में गुरमीत ने स्टेट लेवल पर सिल्वर मेडल हासिल किया. 2018 में गुरमीत का सिलेक्शन जूनियर नेशनल में हो गया. जूनियर नेशनल में 89 किलो बॉडिवेट में गुरमीत ने स्नैच कर 135 किलो वजन उठाकर रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल हासिल किया. 2019 में 96 किलोग्राम बॉडीवेट में 137 किलोग्राम भार उठाकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया और नया रिकॉर्ड कायम कर दिया.

Weightlifter Gurmeet in Panipat
वेटलिफ्टर गुरमीत शर्मा.

लॉकडाउन में लगी ब्रेक: 2020 में लॉकडाउन लगने के कारण कोई प्रतियोगिता नहीं हुई. लॉकडाउन में बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए पिता राममेहर ने भी पूरा साथ दिया. पिता ने बेटे के प्रैक्टिस करने के लिए घर पर ही एक हॉल बना दिया. जिसमें गुरमीत रात दिन मेहनत कर प्रैक्टिस करता था. सन 2021 में गुरमीत का सिलेक्शन सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में हुआ.

अब वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी: सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में 96 किलोग्राम बॉडी वेट में फिर गुरमीत ने गोल्ड मेडल हासिल किया. 96 वे किलोग्राम बॉडिवेट भार में इंडिया चैंपियन का खिताब गुरमीत के नाम है. गुरमीत अब दिन-रात प्रैक्टिस कर भाई के सपनों को पूरा करने के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहा है. गुरमीत ने बताया कि उसका सपना एक अच्छा पहलवान बनने का था. पर वह भाई के सपनों को भी टूटता नहीं देख सकता था. इसलिए उसने वेटलिफ्टिंग को चुन लिया और वह इस सपने के लिए जी जान से मेहनत कर एक दिन ओलंपिक में मेडल लाकर देश का नाम भी रोशन करेगा.

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एक सलाम पिता के नाम: गुरमीत ने बताया कि पानीपत में कोई भी वेटलिफ्टिंग के लिए एकेडमी नहीं है. वह पहले वेटलिफ्टिंग के लिए मधुबन, यमुनानगर दूसरे शहरों में जाकर कोचिंग ले रहा था. पर अब पिता ने घर में ही उसे वेटलिफ्टिंग का हॉल बनाकर दिया है. जिसमें वह सुबह शाम प्रैक्टिस कर रहा है. वहीं, साथ में शाम को उसका बॉडीबिल्डर दोस्त बेदी गुर्जर भी उसकी मदद करता है. गुरमीत ने बताया कि उसके पिता राममेहर एक किसान हैं और वह भी भाई के सपने को पूरा करने के लिए आर्थिक स्थिति ठीक ना होते हुए भी उन्हें किसी चीज की कमी नहीं आने देते.

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