ETV Bharat / state

हादसे में कट गए दोनों हाथ पर हौसला नहीं टूटा, पैरालंपिक में गोल्ड लाना इस दिव्यांग खिलाड़ी का है सपना - Manish Struggle for Gold in Paralympic

जिंदगी के हर पड़ाव पर बस परीक्षा और नतीजा केवल दुख और नाकामी, लेकिन फिर भी हौसला एकदम पहाड़ जैसे. जिसे कोई भी मुश्किल परिस्थिति तोड़ नहीं सकती. आज हम आपको ऐसे ही खिलाड़ी की दास्तां सुनाएंगे जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं और पाने के लिए पूरा आसमान बाकी है. हम बात कर रहे हैं शिवाजी स्टेडियम पानीपत में अभ्यास कर रहे मनीष की.

Shivaji Stadium Panipat Disabled player Manish
पानीपत में दिव्यांग खिलाड़ी मनीष का सपना पैरालंपिक में गोल्ड लाना
author img

By

Published : May 25, 2023, 6:52 PM IST

पैरालंपिक की तैयारी में जुटे दिव्यांग खिलाड़ी मनीष.

पानीपत: आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए पंखों की नहीं, बल्कि हौसले की जरूरत होती है. यह पंक्तियां नोखा गांव पानीपत के रहने वाले मनीष पर सटीक बैठती है. 3 साल पहले हादसे में दोनों हाथ गंवा चुका मनीष इन दिनों पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पैरालंपिक की तैयारी कर रहा है. साल 2023 में मनीष नेशनल प्रतियोगिताओं के लिए अपना ट्रायल दे चुका है. जिसमें उसने चौथा स्थान हासिल किया है. अब मनीष साल 2024 में होने वाले नेशनल ट्रायल के लिए जी जान लगाकर मेहनत कर रहा है.

गरीबी में देखा था अमीरी का सपना: पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में इन दिनों दिव्यांग खिलाड़ी मनीष सबके लिए मोटिवेशनल खिलाड़ी बन चुका है. मनीष का जन्म एक गरीब परिवार में साल 1998 में हुआ. मनीष को पढ़ाई लिखाई का काफी शौक था. मनीष ने B.COM की है. छोटी उम्र में ही मनीष के सिर से पिता का साया उठ गया. जिसके बाद उसके परिवार में एक के बाद एक मुसीबत आई. पिता का जाना एक बड़ा दुख था, लेकिन उसके बाद आर्थिक तंगी ने पूरे परिवार को परेशान कर दिया. जिसके बाद मनीष ने काम करना शुरू कर दिया.

मजबूरी ने छीन लिए हाथ: मनीष घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक फैक्ट्री में मैकेनिक का काम करने लगा. नौकरी के एक साल बाद मनीष साल 2019 में 11 हजार वोल्टेज की चपेट में आ गया. जिसके बाद उसके दोनों हाथ काटने पड़े. जिसके बाद मनीष ने अपने जीवन में और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना किया. हादसे के करीब 9 महीने बीत जाने के बाद मनीष ने दोबारा चलना शुरू किया. मनीष ने हाथ तो हादसे में खो गए, लेकिन हौसला और ज्यादा मजबूत हो गया. मनीष आज भी वही सपने देखता है जो वो पहले देखा करता था. वो सपना है शोहरत का पैसे कमाने का.

Shivaji Stadium Panipat Disabled player Manish
पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पैरालंपिक की तैयारी कर रहे दिव्यांग खिलाड़ी मनीष.

हौसले ने दौड़ना सिखाया: जिंदगी ने मनीष की बहुत सी परीक्षाएं लीं, लेकिन उसने भी ठान लिया है कि वो हाथ कट जाने के बाद भी अपने हौसलों को नहीं टूटने देगा और न ही उसकी आंखें सपना देखना छोड़ेंगी. मनीष का कहना है कि अभी हाथ ही कटे हैं, पैर तो सलामत है. बस फिर क्या था मनीष ने भी अपने इसी हौसले के साथ दौड़ना शुरू कर दिया. उसने 1500 मीटर की दौड़ लगानी शुरू कर दी है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. मनीष साल 2020 से ही पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में लगातार मेहनत का पसीना बहा रहा है.

पैरालंपिक में गोल्ड लाना सपना: वहीं, एथलीट कोच महिपाल भी पूरी मेहनत से मनीष की तैयारियां करवा रहे हैं. इसी साल मनीष ने नेशनल प्रतियोगिता के लिए अपना ट्रायल भी दिया है जिसमें उसने चौथा स्थान हासिल किया है. आने वाली नेशनल प्रतियोगिताओं के ट्रायल में 2024 में मनीष फिर से पार्टिसिपेट करेगा. मनीष का कहना है कि वह इस बार प्रथम आकर अपने आपको नेशनल लेवल पर जरूर काबीज करेगा. एक दिन वह पैरालंपिक में 15 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर इंडिया को रिप्रेजेंट करेगा और गोल्ड के लिए कड़ी मेहनत करेगा.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के 113 हाई स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अपग्रेड, CM ने बजट अभिभाषण में की थी घोषणा, जानें अपने जिले की स्थिति

सफर जरा मुश्किल है: मनीष ने बताया कि उसके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. उसे शिवाजी स्टेडियम में आने के लिए भी रोजाना 50 से ₹60 का किराया भर कर आना पड़ता है. दूसरा महंगी डाइट की भी उसे जरूरत होती है. जिसके लिए वह असमर्थ है. मनीष के हौसले को देखते हुए कोच भी उसकी संभव मदद करते हैं. कोई ऐसा शख्स या कोई समाजसेवी इस खिलाड़ी की मदद जरूर करें. क्योंकि बड़े सपने ऐसे ही नहीं पूरे होते इस खिलाड़ी को मदद की दरकार है.

पैरालंपिक की तैयारी में जुटे दिव्यांग खिलाड़ी मनीष.

पानीपत: आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए पंखों की नहीं, बल्कि हौसले की जरूरत होती है. यह पंक्तियां नोखा गांव पानीपत के रहने वाले मनीष पर सटीक बैठती है. 3 साल पहले हादसे में दोनों हाथ गंवा चुका मनीष इन दिनों पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पैरालंपिक की तैयारी कर रहा है. साल 2023 में मनीष नेशनल प्रतियोगिताओं के लिए अपना ट्रायल दे चुका है. जिसमें उसने चौथा स्थान हासिल किया है. अब मनीष साल 2024 में होने वाले नेशनल ट्रायल के लिए जी जान लगाकर मेहनत कर रहा है.

गरीबी में देखा था अमीरी का सपना: पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में इन दिनों दिव्यांग खिलाड़ी मनीष सबके लिए मोटिवेशनल खिलाड़ी बन चुका है. मनीष का जन्म एक गरीब परिवार में साल 1998 में हुआ. मनीष को पढ़ाई लिखाई का काफी शौक था. मनीष ने B.COM की है. छोटी उम्र में ही मनीष के सिर से पिता का साया उठ गया. जिसके बाद उसके परिवार में एक के बाद एक मुसीबत आई. पिता का जाना एक बड़ा दुख था, लेकिन उसके बाद आर्थिक तंगी ने पूरे परिवार को परेशान कर दिया. जिसके बाद मनीष ने काम करना शुरू कर दिया.

मजबूरी ने छीन लिए हाथ: मनीष घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक फैक्ट्री में मैकेनिक का काम करने लगा. नौकरी के एक साल बाद मनीष साल 2019 में 11 हजार वोल्टेज की चपेट में आ गया. जिसके बाद उसके दोनों हाथ काटने पड़े. जिसके बाद मनीष ने अपने जीवन में और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना किया. हादसे के करीब 9 महीने बीत जाने के बाद मनीष ने दोबारा चलना शुरू किया. मनीष ने हाथ तो हादसे में खो गए, लेकिन हौसला और ज्यादा मजबूत हो गया. मनीष आज भी वही सपने देखता है जो वो पहले देखा करता था. वो सपना है शोहरत का पैसे कमाने का.

Shivaji Stadium Panipat Disabled player Manish
पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पैरालंपिक की तैयारी कर रहे दिव्यांग खिलाड़ी मनीष.

हौसले ने दौड़ना सिखाया: जिंदगी ने मनीष की बहुत सी परीक्षाएं लीं, लेकिन उसने भी ठान लिया है कि वो हाथ कट जाने के बाद भी अपने हौसलों को नहीं टूटने देगा और न ही उसकी आंखें सपना देखना छोड़ेंगी. मनीष का कहना है कि अभी हाथ ही कटे हैं, पैर तो सलामत है. बस फिर क्या था मनीष ने भी अपने इसी हौसले के साथ दौड़ना शुरू कर दिया. उसने 1500 मीटर की दौड़ लगानी शुरू कर दी है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. मनीष साल 2020 से ही पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में लगातार मेहनत का पसीना बहा रहा है.

पैरालंपिक में गोल्ड लाना सपना: वहीं, एथलीट कोच महिपाल भी पूरी मेहनत से मनीष की तैयारियां करवा रहे हैं. इसी साल मनीष ने नेशनल प्रतियोगिता के लिए अपना ट्रायल भी दिया है जिसमें उसने चौथा स्थान हासिल किया है. आने वाली नेशनल प्रतियोगिताओं के ट्रायल में 2024 में मनीष फिर से पार्टिसिपेट करेगा. मनीष का कहना है कि वह इस बार प्रथम आकर अपने आपको नेशनल लेवल पर जरूर काबीज करेगा. एक दिन वह पैरालंपिक में 15 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर इंडिया को रिप्रेजेंट करेगा और गोल्ड के लिए कड़ी मेहनत करेगा.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के 113 हाई स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अपग्रेड, CM ने बजट अभिभाषण में की थी घोषणा, जानें अपने जिले की स्थिति

सफर जरा मुश्किल है: मनीष ने बताया कि उसके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. उसे शिवाजी स्टेडियम में आने के लिए भी रोजाना 50 से ₹60 का किराया भर कर आना पड़ता है. दूसरा महंगी डाइट की भी उसे जरूरत होती है. जिसके लिए वह असमर्थ है. मनीष के हौसले को देखते हुए कोच भी उसकी संभव मदद करते हैं. कोई ऐसा शख्स या कोई समाजसेवी इस खिलाड़ी की मदद जरूर करें. क्योंकि बड़े सपने ऐसे ही नहीं पूरे होते इस खिलाड़ी को मदद की दरकार है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.