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7 साल पहले पानीपत की धरती से पीएम ने देखा था बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सपना, जानें कितना हुआ साकार

आज से 7 साल पहले हरियाणा पानीपत से पीएम नरेंद्र मोदी ने बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान (Beti padhao beti bachao campaign in panipat) की शुरुआत करते हैं, लेकिन आज भी हालात बहुत ज्यादा बेहतर नहीं है. पढ़ें ये रिपोर्ट

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7 साल पहले पानीपत की धरती से पीएम ने देखा था बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सपना
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Published : Jan 22, 2022, 4:39 PM IST

पानीपत: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 साल पहले पानीपत की धरती से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान (beti padhao beti bachao campaign in panipat) की शुरुआत की थी. 2014 में हरियाणा के लिंगानुपात के आंकड़ों को सबसे निम्न श्रेणी में गिना जाता था, लेकिन आज प्रदेश में लिंगानुपात के आंकड़ों में काफी सुधार हुआ है. पानीपत हर बार लिंग अनुपात के आंकड़ों में हिचकोले खा रहा है.

देश के प्रधानमंत्री ने बड़े जोर-शोर से इस अभियान की शुरुआत की थी. लोगों की सोच कुछ हद तक इस अभियान के बाद सुधर भी गई, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो बेटियों को अपने ऊपर बोझ समझते हैं. उन्हें अपनाने तक भी अपने इंकार कर देते हैं. पानीपत में बीते 7 सालों में लगभग 35 के करीब मामले ऐसे आए हैं जहां मां ने बच्ची को जन्म लेने से पहले मार दिया, कुछ लोगों ने जन्म देने के बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया और कई जन्म देने वाली माताओं ने उन्हें जिंदा ही लावारिस फेंक दिया.

7 साल पहले पानीपत की धरती से पीएम ने देखा था बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सपना, देखिए वीडियो

इस मामले में जब बच्चों से बात की गई तो बच्चियों का कहना था. अब हरियाणा प्रदेश में धीरे-धीरे लोगों की सोच बदलने लगी है. बेटे बेटियों को समान दर्जा मिलने लगा है, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो बेटी को बोझ समझते हैं. जब तक ऐसे लोगों की सोच में बदलाव नहीं होगा तो बेटियां सुरक्षित नहीं हो पाएंगी. यही वजह है कि 2021 के बाद लिंग अनुपात एक बार बड़कर फिर नीचे आ गया है. अगर हम बात पानीपत जिले की करें तो पता चलता है कि पानीपत में हालात सुधरे तो थे, लेकिन फिर बेटियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ने लगीं. जिस वजह से प्रदेश में पानीपत की लिंगानुपात की रैंकिग (Sex Ratio in panipat) गिरने लगी.

साललिंगानुपातस्थान
201583710
201691215
20179451
201890017
20199393
20209452
20219189

पानीपत जिले की स्थिति को विस्तार से देखने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने सबसे पहले पानीपत जिले से इस योजना की शुरुआत की तो देश को उम्मीद थी कि पानीपत में इसका सबसे ज्यादा असर होगा. वहीं पिछले साल 1000 लड़कों पर लड़कियों का जन्मदर देखा जाए तो पहले से काफी बेहतर परिणाम नजर आते हैं.

महीनालिंगानुपात (प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या)
जनवरी948
फरवरी967
मार्च976
अप्रैल953
मई976
जून937
जुलाई933
अगस्त926
सितंबर930
अक्टूबर922
नवंबर918
दिसंबर920

ये पढ़ें- PM मोदी ने विभिन्न जिलों के डीएम से बातचीत की, नूंह जिले की इस बात को लेकर जमकर की तारीफ

ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि लिंगानुपात के मामले में हरियाणा (Sex Ratio in Haryana) की स्थिति पूरे देश में सबसे ज्यादा खराब है, लेकिन लड़कों के मुकाबले हमेशा से कम ही है. चलिए नजर डालते हैं हरियाणा में लड़कियों के लिंगानुपात के अनुसार टॉप 10 जिलों पर-

जिला लिंगानुपात स्थान
रोहतक9451
पंचकूला9302
सिरसा9293
नूंह9264
हिसार9255
जींद9236
कुरुक्षेत्र9217
चरखीदादरी9198
पानीपत9189
यमुनानगर91410

लड़कियों का कहना है कि अभिभावकों के बाद बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा प्रशासन के पास है. बेटियां सुरक्षित तो तब होंगी जब उन्हें जन्म देने वाले ही उनकी सुरक्षा का जिम्मा उठाएंगे. आज भी बच्चियां जन्म देने के बाद मार दी जाती हैं. कुछ प्रतिशत लोगों के कारण पूरे समाज को ताना सुनना पड़ता है.

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पानीपत: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 साल पहले पानीपत की धरती से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान (beti padhao beti bachao campaign in panipat) की शुरुआत की थी. 2014 में हरियाणा के लिंगानुपात के आंकड़ों को सबसे निम्न श्रेणी में गिना जाता था, लेकिन आज प्रदेश में लिंगानुपात के आंकड़ों में काफी सुधार हुआ है. पानीपत हर बार लिंग अनुपात के आंकड़ों में हिचकोले खा रहा है.

देश के प्रधानमंत्री ने बड़े जोर-शोर से इस अभियान की शुरुआत की थी. लोगों की सोच कुछ हद तक इस अभियान के बाद सुधर भी गई, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो बेटियों को अपने ऊपर बोझ समझते हैं. उन्हें अपनाने तक भी अपने इंकार कर देते हैं. पानीपत में बीते 7 सालों में लगभग 35 के करीब मामले ऐसे आए हैं जहां मां ने बच्ची को जन्म लेने से पहले मार दिया, कुछ लोगों ने जन्म देने के बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया और कई जन्म देने वाली माताओं ने उन्हें जिंदा ही लावारिस फेंक दिया.

7 साल पहले पानीपत की धरती से पीएम ने देखा था बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सपना, देखिए वीडियो

इस मामले में जब बच्चों से बात की गई तो बच्चियों का कहना था. अब हरियाणा प्रदेश में धीरे-धीरे लोगों की सोच बदलने लगी है. बेटे बेटियों को समान दर्जा मिलने लगा है, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो बेटी को बोझ समझते हैं. जब तक ऐसे लोगों की सोच में बदलाव नहीं होगा तो बेटियां सुरक्षित नहीं हो पाएंगी. यही वजह है कि 2021 के बाद लिंग अनुपात एक बार बड़कर फिर नीचे आ गया है. अगर हम बात पानीपत जिले की करें तो पता चलता है कि पानीपत में हालात सुधरे तो थे, लेकिन फिर बेटियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ने लगीं. जिस वजह से प्रदेश में पानीपत की लिंगानुपात की रैंकिग (Sex Ratio in panipat) गिरने लगी.

साललिंगानुपातस्थान
201583710
201691215
20179451
201890017
20199393
20209452
20219189

पानीपत जिले की स्थिति को विस्तार से देखने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने सबसे पहले पानीपत जिले से इस योजना की शुरुआत की तो देश को उम्मीद थी कि पानीपत में इसका सबसे ज्यादा असर होगा. वहीं पिछले साल 1000 लड़कों पर लड़कियों का जन्मदर देखा जाए तो पहले से काफी बेहतर परिणाम नजर आते हैं.

महीनालिंगानुपात (प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या)
जनवरी948
फरवरी967
मार्च976
अप्रैल953
मई976
जून937
जुलाई933
अगस्त926
सितंबर930
अक्टूबर922
नवंबर918
दिसंबर920

ये पढ़ें- PM मोदी ने विभिन्न जिलों के डीएम से बातचीत की, नूंह जिले की इस बात को लेकर जमकर की तारीफ

ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि लिंगानुपात के मामले में हरियाणा (Sex Ratio in Haryana) की स्थिति पूरे देश में सबसे ज्यादा खराब है, लेकिन लड़कों के मुकाबले हमेशा से कम ही है. चलिए नजर डालते हैं हरियाणा में लड़कियों के लिंगानुपात के अनुसार टॉप 10 जिलों पर-

जिला लिंगानुपात स्थान
रोहतक9451
पंचकूला9302
सिरसा9293
नूंह9264
हिसार9255
जींद9236
कुरुक्षेत्र9217
चरखीदादरी9198
पानीपत9189
यमुनानगर91410

लड़कियों का कहना है कि अभिभावकों के बाद बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा प्रशासन के पास है. बेटियां सुरक्षित तो तब होंगी जब उन्हें जन्म देने वाले ही उनकी सुरक्षा का जिम्मा उठाएंगे. आज भी बच्चियां जन्म देने के बाद मार दी जाती हैं. कुछ प्रतिशत लोगों के कारण पूरे समाज को ताना सुनना पड़ता है.

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