पानीपत: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 साल पहले पानीपत की धरती से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान (beti padhao beti bachao campaign in panipat) की शुरुआत की थी. 2014 में हरियाणा के लिंगानुपात के आंकड़ों को सबसे निम्न श्रेणी में गिना जाता था, लेकिन आज प्रदेश में लिंगानुपात के आंकड़ों में काफी सुधार हुआ है. पानीपत हर बार लिंग अनुपात के आंकड़ों में हिचकोले खा रहा है.
देश के प्रधानमंत्री ने बड़े जोर-शोर से इस अभियान की शुरुआत की थी. लोगों की सोच कुछ हद तक इस अभियान के बाद सुधर भी गई, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो बेटियों को अपने ऊपर बोझ समझते हैं. उन्हें अपनाने तक भी अपने इंकार कर देते हैं. पानीपत में बीते 7 सालों में लगभग 35 के करीब मामले ऐसे आए हैं जहां मां ने बच्ची को जन्म लेने से पहले मार दिया, कुछ लोगों ने जन्म देने के बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया और कई जन्म देने वाली माताओं ने उन्हें जिंदा ही लावारिस फेंक दिया.
इस मामले में जब बच्चों से बात की गई तो बच्चियों का कहना था. अब हरियाणा प्रदेश में धीरे-धीरे लोगों की सोच बदलने लगी है. बेटे बेटियों को समान दर्जा मिलने लगा है, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो बेटी को बोझ समझते हैं. जब तक ऐसे लोगों की सोच में बदलाव नहीं होगा तो बेटियां सुरक्षित नहीं हो पाएंगी. यही वजह है कि 2021 के बाद लिंग अनुपात एक बार बड़कर फिर नीचे आ गया है. अगर हम बात पानीपत जिले की करें तो पता चलता है कि पानीपत में हालात सुधरे तो थे, लेकिन फिर बेटियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ने लगीं. जिस वजह से प्रदेश में पानीपत की लिंगानुपात की रैंकिग (Sex Ratio in panipat) गिरने लगी.
साल | लिंगानुपात | स्थान |
2015 | 837 | 10 |
2016 | 912 | 15 |
2017 | 945 | 1 |
2018 | 900 | 17 |
2019 | 939 | 3 |
2020 | 945 | 2 |
2021 | 918 | 9 |
पानीपत जिले की स्थिति को विस्तार से देखने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने सबसे पहले पानीपत जिले से इस योजना की शुरुआत की तो देश को उम्मीद थी कि पानीपत में इसका सबसे ज्यादा असर होगा. वहीं पिछले साल 1000 लड़कों पर लड़कियों का जन्मदर देखा जाए तो पहले से काफी बेहतर परिणाम नजर आते हैं.
महीना | लिंगानुपात (प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या) |
जनवरी | 948 |
फरवरी | 967 |
मार्च | 976 |
अप्रैल | 953 |
मई | 976 |
जून | 937 |
जुलाई | 933 |
अगस्त | 926 |
सितंबर | 930 |
अक्टूबर | 922 |
नवंबर | 918 |
दिसंबर | 920 |
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ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि लिंगानुपात के मामले में हरियाणा (Sex Ratio in Haryana) की स्थिति पूरे देश में सबसे ज्यादा खराब है, लेकिन लड़कों के मुकाबले हमेशा से कम ही है. चलिए नजर डालते हैं हरियाणा में लड़कियों के लिंगानुपात के अनुसार टॉप 10 जिलों पर-
जिला | लिंगानुपात | स्थान |
रोहतक | 945 | 1 |
पंचकूला | 930 | 2 |
सिरसा | 929 | 3 |
नूंह | 926 | 4 |
हिसार | 925 | 5 |
जींद | 923 | 6 |
कुरुक्षेत्र | 921 | 7 |
चरखीदादरी | 919 | 8 |
पानीपत | 918 | 9 |
यमुनानगर | 914 | 10 |
लड़कियों का कहना है कि अभिभावकों के बाद बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा प्रशासन के पास है. बेटियां सुरक्षित तो तब होंगी जब उन्हें जन्म देने वाले ही उनकी सुरक्षा का जिम्मा उठाएंगे. आज भी बच्चियां जन्म देने के बाद मार दी जाती हैं. कुछ प्रतिशत लोगों के कारण पूरे समाज को ताना सुनना पड़ता है.
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