पानीपत: हरियाणा में पंचायत का अहम रोल है.अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें महिलाएं पहले अपनी शिकायत लेकर पंचायत के पास गई. पर उनको सही न्याय नहीं मिला. इसके बाद वे पुलिस के सामने गईं.पानीपत में एक साल में करीब 70 ऐसे केस सामने आए हैं. इसकी वजह पंचायत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं होना बताया जा रहा है.
केस01: एक महिला वकील की शादी दो साल पहले राजस्थान में हुई थी. अब वो एक साल से अपने परिवार से अलग रह रही है.उसका पांच महिने का बच्चा है.वो अपनी शिकायत कई बार पंचायत में कर चुकी है.उसके केस को पंचायत में शामिल नहीं किया जाता है.अब वह मदद के लिए पुलिस के पास गई है.
केस02: इस केस में महिला की शादी तीन साल पहले करनाल के एक युवक के साथ हुई थी. शादी के बाद एक बच्चा भी परिवार में आया.इसके बाद पति-पत्नि के विचार नहीं मिले और घर में झगड़ा शुरू हो गया. कई बार इसको लेकर पंचायत हुई पर महिला को पंचायत में बोलने की अनुमति नहीं दी गई. जबकि पति ने अपना पूरा पक्ष पंचायत के सामने रखा. पत्नि का कहना है कि पति उसे नहीं रखना चाहता है बल्कि बेटे को रखना चाहता है.
केस03:पानीपत की ही एक महिला ने शिकायत दी है कि 2021 में उसकी सोनीपत के सरकारी कर्मचारी से शादी हुई थी.शादी के बाद उनका कोई बच्चा नहीं हुआ.मामले को लेकर पंचायत हुई. पंचायत में फैसला लिया गया कि दोनों के बीच में तलाक होगा.महिला को तलाक के बाद सात लाख रुपए दिए जाएंगे. महिला इस फैसले से खुश नहीं थी. महिला को पंचायत में बोलने तक की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद वह न्याय के लिए प्रोटेक्शन ऑफिसर के पास गई. फिर वहां उसने अपनी शिकायत दर्ज कराई.
क्या कहती हैं महिला ऑफिसर: पानीपत जिले में 2022-23 का डेटा देखा जाए तो थाने में घरेलू हिंसा से जुड़े 385 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 70 से ज्यादा मामलों में पंचायत अपना फैसला दे चुकी है. पानीपत प्रोटेक्शन अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया,'पीड़ित महिलाओं के द्वारा दी गई शिकायतों पर हम कार्रवाई करते हैं. महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं. पर उनको ही पंचायत में नहीं सुना जाता है. महिलाओं का पक्ष जानने के लिए पंचायत अपनी रूचि कम ही दिखाती है. केवल पुरूषों का पक्ष सुना जाता है. इसके अलावा पंचायत में सभी पुरूष होते हैं. पंचायत में महिला सदस्य भी कम हैं. इस वजह से पीड़ित महिलाएं अपना पक्ष नहीं रख पाती हैं.' दरअसल ये पंचायत का विरोध नहीं है. बल्कि पंचायत को महिलाओं का पक्ष जानने और उन्हें पंचायत में बिठाने को लेकर विचार विमर्श करने की जरूरत महिला ऑफिसर बताती हैं.