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Panipat News Junior Boxer Parmeet Deswal Success Story: कार्टून देखकर बन गया बॉक्सर, दो गोल्ड जीतने के बाद अब बनाया बड़ा टारगेट, हरियाणा के परमित देशवॉल की सक्सेस स्टोरी

Panipat News Junior Boxer Parmeet Deswal Success Story पानीपत के छोटे से गांव थीराना में पांच साल की उम्र में परमीत देशवाल ने कार्टून देखकर बॉक्सर बनने का सपना देखा था. अब इस दिशा में वह पहली सीढ़ी चढ़ चुका है. दो गोल्ड जीतने के बाद परमीत राज्य स्तर पर पहुंच गया है. कैसी ही परमीत देशवाल की सक्सेस स्टोरी. आइए जानते हैं. (Haryana Boxing Association) Haryana Boxing Association

Panipat News Junior Boxer Parmeet Deswal Success Story
जूनियर बॉक्सर परमीत की सक्सेस स्टोरी
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 11, 2023, 6:32 PM IST

Updated : Sep 11, 2023, 7:12 PM IST

जूनियर बॉक्सर परमीत की सक्सेस स्टोरी

पानीपत:हरियाणा में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी है. कुछ सफलता पा चुके हैं तो कुछ अपनी सक्सेस स्टोरी बना रहे हैं. ऐसे ही खिलाड़ियों को ई-टीवी भारत आपके सामने ला रहा है. पानीपत के गांव थीराना में आठ साल पहले एक बच्चे ने कार्टून देखकर बॉक्सर बनने का सपना संजोया था.अपने सपने को पूरा करने के लिए उसने अपने कदम बढ़ा दिए हैं.इस खिलाड़ी का नाम है परमीत देशवाल. परमीत ने दो गोल्ड जीते हैं. अब वह राज्य स्तर पर खेलने जा रहा है.

जूनियर बॉक्सर परमीत की सक्सेस स्टोरी: कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाते हैं.ये कहावत परमीत देशवाल पर एकदम सटीक बैठती हैं. परमीत जूनियर बॉक्सिंग का एक उभरता हुआ खिलाड़ी है. अभी तक उसने जिला स्तरीय टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते हैं. परमीत की स्टोरी बताते हुए उसके पापा विनोद कुमार बताते हैं,'जब बच्चा पांच साल का था. तब वह एक कार्टून देखा करता था. उसका किरदार बॉक्सिंग ग्लब्स पहनकर रिंग में लड़ रहा था. उसे देखकर परमीत मेरे पास आया. बोला कि उसे भी ताकवर बनना है. बॉक्सिंग करनी है.' इसके बाद परमीत के पिता ने उसका दाखिला पानीपत की बॉक्सिंग एकेडमी में करवा दिया.पिता ने भी बच्चे की इच्छा को पूरा करना, अपना सपना बना लिया.इसके बाद बच्चे की कोचिंग के लिए परिवार वाले भी गांव छोड़कर शहर आ गए ताकि परमीत की प्रैक्टिस में कोई दिक्कत ना हो.

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परमीत को कब मिली पहली सफलता: एकेडमी में प्रवेश के बाद परमीत को कई साल तक प्रैक्टिस करनी पड़ी. उसके कोच सुनील कुमार बताते हैं.' जब बच्चा नया आया था तब बहुत हैल्दी था. कई साल के अभ्यास के बाद उसे सफलता मिली. परमीत ने जिला स्तरीय ओपन और स्कूल प्रतियोगिता में ईनाम जीता है. सबको पछाड़कर गोल्ड लेकर आया. परमीत की ताकत और फुर्ती बहुत अच्छी है. ये राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी अच्छा करेगा.'

कैसे कर रहा तैयारी: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए परमीत ने बताया,' मैं सुबह चार बजे उठ जाता हूं. इसके बाद रिंग पर सुबह आ जाता हूं. प्रैक्टिस के बाद स्कूल जाता हूं. फिर स्कूल से आकर वापस शाम पांच बजे रिंग पर आता हूं.कोच साहब लगातार सिखा रहे हैं. मैं जल्दी ही स्टेट लेवल पर जीतूंगा.' पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में परमीत को प्रैक्टिस करते आठ साल हो चुकें हैं.अभी उसकी उम्र 13 साल है.उसके बॉक्सिंग कोच सुनील बताते हैं कि बॉक्सिंग सीखने की लगन और अभ्यास बताता है कि लड़का आगे भी अच्छा करेगा. ये खिलाड़ी कुछ बड़ा कर सकता है। आज 13साल की उम्र के खिलाड़ियों में सबसे तेज और पावरफुल पंच परमीत का है. परमीट का विरोधी खिलाड़ी थोड़ी ही देर में अपने घुटने टेक देता है.

जूनियर बॉक्सर परमीत की सक्सेस स्टोरी

पानीपत:हरियाणा में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी है. कुछ सफलता पा चुके हैं तो कुछ अपनी सक्सेस स्टोरी बना रहे हैं. ऐसे ही खिलाड़ियों को ई-टीवी भारत आपके सामने ला रहा है. पानीपत के गांव थीराना में आठ साल पहले एक बच्चे ने कार्टून देखकर बॉक्सर बनने का सपना संजोया था.अपने सपने को पूरा करने के लिए उसने अपने कदम बढ़ा दिए हैं.इस खिलाड़ी का नाम है परमीत देशवाल. परमीत ने दो गोल्ड जीते हैं. अब वह राज्य स्तर पर खेलने जा रहा है.

जूनियर बॉक्सर परमीत की सक्सेस स्टोरी: कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाते हैं.ये कहावत परमीत देशवाल पर एकदम सटीक बैठती हैं. परमीत जूनियर बॉक्सिंग का एक उभरता हुआ खिलाड़ी है. अभी तक उसने जिला स्तरीय टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते हैं. परमीत की स्टोरी बताते हुए उसके पापा विनोद कुमार बताते हैं,'जब बच्चा पांच साल का था. तब वह एक कार्टून देखा करता था. उसका किरदार बॉक्सिंग ग्लब्स पहनकर रिंग में लड़ रहा था. उसे देखकर परमीत मेरे पास आया. बोला कि उसे भी ताकवर बनना है. बॉक्सिंग करनी है.' इसके बाद परमीत के पिता ने उसका दाखिला पानीपत की बॉक्सिंग एकेडमी में करवा दिया.पिता ने भी बच्चे की इच्छा को पूरा करना, अपना सपना बना लिया.इसके बाद बच्चे की कोचिंग के लिए परिवार वाले भी गांव छोड़कर शहर आ गए ताकि परमीत की प्रैक्टिस में कोई दिक्कत ना हो.

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परमीत को कब मिली पहली सफलता: एकेडमी में प्रवेश के बाद परमीत को कई साल तक प्रैक्टिस करनी पड़ी. उसके कोच सुनील कुमार बताते हैं.' जब बच्चा नया आया था तब बहुत हैल्दी था. कई साल के अभ्यास के बाद उसे सफलता मिली. परमीत ने जिला स्तरीय ओपन और स्कूल प्रतियोगिता में ईनाम जीता है. सबको पछाड़कर गोल्ड लेकर आया. परमीत की ताकत और फुर्ती बहुत अच्छी है. ये राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी अच्छा करेगा.'

कैसे कर रहा तैयारी: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए परमीत ने बताया,' मैं सुबह चार बजे उठ जाता हूं. इसके बाद रिंग पर सुबह आ जाता हूं. प्रैक्टिस के बाद स्कूल जाता हूं. फिर स्कूल से आकर वापस शाम पांच बजे रिंग पर आता हूं.कोच साहब लगातार सिखा रहे हैं. मैं जल्दी ही स्टेट लेवल पर जीतूंगा.' पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में परमीत को प्रैक्टिस करते आठ साल हो चुकें हैं.अभी उसकी उम्र 13 साल है.उसके बॉक्सिंग कोच सुनील बताते हैं कि बॉक्सिंग सीखने की लगन और अभ्यास बताता है कि लड़का आगे भी अच्छा करेगा. ये खिलाड़ी कुछ बड़ा कर सकता है। आज 13साल की उम्र के खिलाड़ियों में सबसे तेज और पावरफुल पंच परमीत का है. परमीट का विरोधी खिलाड़ी थोड़ी ही देर में अपने घुटने टेक देता है.

Last Updated : Sep 11, 2023, 7:12 PM IST
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