पानीपत: शहर के पानीपत सिविल अस्पताल (Panipat Government Hospital ) में एक बार फिर व्यवस्थाएं चरमरा गई है. चार दिन पहले निरीक्षण करने आई एनक्वास टीम के दौरे को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया था. अस्पताल की व्यवस्थाओं से निरीक्षण टीम (Panipat Hospital transformed for nqas certificate) संतुष्ट नजर आई और अस्पताल को 50 लाख रुपए और सर्टिफिकेट दिया. निरीक्षण पूरा होने के बाद अस्पताल की व्यवस्थाएं बिगड़ गई हैं.
निरीक्षण टीम ने दौरे के 2 दिन बाद हरियाणा के पानीपत जिले के सरकारी अस्पताल को प्रथम स्थान दिया. पानीपत अस्पताल को 50 लाख और प्रदेश के अन्य जिलों को 3-3 लाख रुपए दिए गए. टीम के जाने के तीसरे दिन ही व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई. निरीक्षण के दौरान की गई व्यवस्थाओं और मरीजों को दी गई सुविधाओं को वापस हटा दिया गया है. अस्पताल में एक बार फिर कछुए की चाल से काम होने शुरू हो गए. मरीजों के लिए इमरजेंसी के बाहर लगाए गए स्ट्रेचर भी वापस हटा लिए गए. विकलांग और मरीजों के लिए लगाई गई व्हील चेयर भी गायब हो गई. अस्पताल में सफाई करने वाले कर्मचारी भी अब नदारद हैं. निरीक्षण के दौरान अस्पताल प्रशासन के निर्देश पर दिन में पांच बार सफाई होती थी. अब सिर्फ दो समय ही होती है. गौवंश व आवारा जानवरों को परिसर में घुसने से रोकने के लिए दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई लेकिन अब आवारा जानवर बे रोक टोक परिसर में घूम रहे हैं.
निरीक्षण टीम के लिए की गई व्यवस्थाएं: अस्पताल (panipat civil hospital) का निरीक्षण करने 4 दिन पहले आई एनक्वास टीम को चाक चौबंद व्यवस्था दिखाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने छोटी और बड़ी सभी चीजों को दुरुस्त कर दिया. उस दौरान ईएनटी, प्रसूति विभाग, स्किन विभाग व ओपीडी सहित पूरे अस्पताल की व्यवस्था को देखकर लगता था कि यह सरकारी अस्पताल नहीं बल्कि निजी अस्पताल है. अस्पताल के हालात देखकर यही लगता है कि यहां की गई व्यवस्थाएं निरीक्षण टीम को दिखाने के लिए ही की गई थी. यहां तक की एनक्वास के निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों को मरीजों के प्रति अपना व्यवहार शालीन बनाए रखने तक के निर्देश दिए गए थे. गंभीर मरीजों को व्हील चेयर व स्ट्रेचर उपलब्ध कराने को कहा गया था.
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ऐसे बदल गए अस्पताल के हालात: निरीक्षण टीम को दिखाने के लिए इमरजेंसी के मिनी ओटी में सिर्फ डॉक्टर व स्टाफ नर्सों की एंट्री के निर्देश दिए गए. अब ओटी में किसी के भी आने जाने को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. इमरजेंसी में हेल्प डेस्क बनाई गई थी लेकिन अब डेस्क है लेकिन वहां पर स्टाफ मौजूद नहीं है. इतना ही नहीं अस्पताल में तैनात सुरक्षाकर्मी भी गायब हो गए हैं. ओपीडी के बाहर लगाए डिजिटल बोर्ड भी अब बंद हो गए हैं.