पानीपत: गर्मी के मौसम में तरबूज हर जगह आसानी से देखने को मिल जाते हैं और आपने तरबूज बहुत खाए भी होंगे लेकिन क्या कभी आपने ऐसा तरबूज खाया है जो बाहर से पीला हो और अंदर से लाल, या बाहर से हरा हो और अंदर से पीला. ऐसे रंग बिरंगे तरबूज आपको मिलेंगे हरियाणा के पानीपत में.
हरियाणा के पानीपत में आपको ताइवान की नस्ल के तरबूजों का स्वाद चखने को मिलेगा. जिले के गांव सिवाह के किसान राम प्रताप के तरबूज के लोग इतने दीवाने हैं कि शाम होते ही उनके पास खरीदारों की लाइन लग जाती है. इन दिनों ताइवान की नस्ल के इस तरबूज की डिमांड भी बढ़ती जा रही है. किसान राम प्रताप ने इन तरबूजों की वैरायटी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ये तीन किस्म के हैं और तीनों नस्लों की बाजार में कीमत भी अलग-अलग मिलती है.
50 रुपये प्रति किलो तक मिलता है दाम
सामान्य तरबूज की तरह देखने वाले तरबूज की कीमत 30 रुपये प्रति किलो और अंदर से लाल बाहर से पीला दिखने वाले तरबूज की कीमत 40 रुपये प्रति किलो और अंदर से पीला और बाहर से हरा दिखने वाले तरबूज की कीमत मार्केट में 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उन्हें मिल जाती है.
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किसान रामप्रताप ने बताया कि उन्होंने 2019 में ताइवान की नस्ल के बीज ट्रायल के तौर पर अपने खेत में लगाए थे और उनका ये ट्रायल सफल हुआ. वहीं इजरायल से आए एक डेलीगेशन ने रामप्रताप की खेती से खुश होकर उन्हें सम्मानित भी किया हुआ है. रामप्रताप ने बताया कि इन तरबूजों की खेती करने के लिए वो 1 लाख प्रति किलो के हिसाब से इसका बीज खरीद कर लाए थे और फिर उन्होंने 1 एकड़ जमीन में इसकी खेती की जिसके बाद उन्हें 4 लाख प्रति एकड़ तक का मुनाफा हुआ.
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बता दें कि रामप्रताप अपने खेत में फल और सब्जियों को ऑर्गेनिक तरीके से उगाते हैं और उनके पास लोग दूर-दूर से सब्जियां खरीदने के लिए आते हैं. वो बाजार की मंडियों में कभी भी अपने फल, सब्जियों को बेचने नहीं जाते बल्कि लोग खुद ही उनके पास आकर फल और सब्जियां खरीदते हैं.
तरबूजों के बाद पपीतों का ट्रायल
वहीं तरबूजों के अलावा अब ताइवान से हरियाणा में ट्रायल के लिए पपीते के 100 पौधे आए हैं, जिनमें से 35 पौधे रामप्रकाश ने अपने खेतों में लगाए हैं. उन्होंने बताया कि इन पौधों पर लगने वाले पपीते की सबसे बड़ी खास बात तो ये है कि ये पीले चमकीले रंग के हैं और सामान्य पपीते हरे रंग के होते हैं जो कि बहुत सुंदर लगते हैं. किसान राम प्रताप का कहना है कि अगर ये ट्रायल सफल हुआ तो फलों की खेती में एक और नया अध्याय जुड़ेगा.