पानीपत: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने एनसीआर में कोयला संचालित सभी प्रकार के उद्योगों को 12 दिसंबर तक बंद कर दिया है. जिसके विरोध में पानीपत के व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का एलान कर दिया है. पर्यावरण को उद्योगों से कितना नुकसान हो रहा है उद्यमी इसकी रिपोर्ट तकनीकी एक्सपर्ट से तैयार कराएंगे. इसी रिपोर्ट के आधार पर वो सुप्रीम कोर्ट में सीपीसीबी के खिलाफ लड़ेंगे.
यहां पर उद्यमी पीएनजी का भी मुद्दा उठाएंगे, क्योंकि पीएनजी की सप्लाई लेने से उत्पादन की कीमत तीन गुना तक बढ़ जाती है. अब 500 डाइंग यूनिट पूरी तरह से बंद हैं. प्रिटिंग, कंबल, बेडसीट व एक्सपोर्ट भी पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. एक्सपोर्टर नए साल के मिले ऑर्डर को तैयार करने में जुटे हैं. एक्सपोर्टर का मत है कि अगर समय पर ऑर्डर नहीं मिले तो करोड़ों का नुकसान होगा. पानीपत को हर रोज 300 करोड़ का नुकसान हो रहा है. ये फैसला पानीपत में व्यापारियों की बैठक (Businessmen meeting in Panipat) में हुआ.
आज फिर व्यापारियों ने एक छत के नीचे 36 एसोसिएशन को बुलाने का आह्वान किया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोयले से संचालित सभी उद्योगों को 12 दिसंबर तक बंद (coal-fired industries closed) करने के निर्देश दे दिए हैं. इससे पानीपत के 2 हजार उद्योग प्रभावित हो रहे हैं, एक लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं. एक दिन में पानीपत को 300 करोड़ रुपये के नुकसान की संभावना है. अद्यमियों को विदेशों से मिले करोड़ों रुपये के ऑर्डर कैंसल होने का भय बना हुआ है.
बुधवार को शहर के 500 डाइंग हाउस बंद रहे. एक्सपोर्ट का कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हुआ. डाइंग यूनिट से जुड़े 2 हजार उद्योग भी प्रभावित रहे. बुधवार को शहर का एक्यूआई 111 दर्ज किया गया. एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान सुरेश वर्मा ने कहा कि हम काफी मुश्किल से विदेशी बायरों का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब हुए हैं. हमें अच्छे ऑर्डर भी मिले हैं. अगर समय पर बायर के पास माल नहीं पहुंचा तो वो हमारे ऑर्डर कैंसल कर देंगे. चीन को दोबारा ऑर्डर मिलने शुरू हो जाएंगे. सीपीसीबी को ये ध्यान में रखना चाहिए.
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पानीपत में 2 हजार उद्योग कोयले पर चलते हैं. सिर्फ 47 उद्योगों में ही पीएनजी की सप्लाई है. सीपीसीबी की टीमें फील्ड में उद्योगों की मॉनिटरिंग भी कर रही है. उद्यमियों का कहना है कि पानीपत का एक्यूआई बहुत ज्यादा नहीं है. इसलिए पानीपत को 24 घंटे उद्योग चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए. कोरोना, लॉकडाउन व किसान आंदोलन में टेक्सटाइल नगरी को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. अब उद्यमियों को विदेशों को अच्छे ऑर्डर मिले हैं. कंबल का पीक सीजन चल रहा है. उद्यमियों बायर के ऑर्डर पूरा करने में जुटे हैं. पानीपत का एक्सपोर्ट भी तीन हजार करोड़ रुपये बढ़ा है. अब अच्छे ऑर्डर मिलने से उद्योग को संजीवनी मिली थी. अब सीपीसीबी के आदेशों से उद्योगों को बड़ा नुकसान होने का भय है.