पानीपत: 22 जनवरी 2015 को पानीपत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं. जहां 2015 में इस अभियान की शुरुआत से पहले पानीपत जिले का सेक्स रेशों 716 था तो वहीं 2016 में ये बढ़कर 813 पर पहुंच गया और धीरे-धीरे मात्र 5 वर्षों में पानीपत का लिंगानुपात 952 तक पहुंच गया है और पूरे प्रदेश का लिंगानुपात 923 तक पहुंच चुका है.
लिंगानुपात के आंकड़ों में पानीपत ने मारी बाजी
पानीपत जिले की बात की जाए तो 2020 के लिंगानुपात के आंकड़ों में प्रदेश में सबसे अव्वल रहा है. जिसके बाद सिविल अस्पताल के डॉक्टर्स भी इन आंकड़ों से खुश नजर आए. डॉक्टर्स का मानना है की ये पानीपत जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धी है और इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ कई अन्य विभागों का योगदान रहा है.
आम नागरिकों से जब लिंगानुपात को लेकर बात की गई तो उनका कहना था कि समय बदल चुका है और आज बेटा बेटी एक समान है और आज की बेटियां किसी से भी कम नहीं. वहीं स्वास्थ विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि अब लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी है और सरकार द्वारा भी महिलाओं को बेटियों के प्रति जागरुक करने के विभिन्न तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहें है जो धीरे-धीरे ये मुहिम अब रंग लाने लगी है.
समाजसेवी सविता आर्य ने बताया कि अब लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी है जिसकी वजह से अब बेटी के जन्म पर लोग दुख नहीं मनाते है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम की वजह से ही पानीपत प्रदेश में पहले स्थान पर आया है.
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हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के शुभारंभ के समय लिंगानुपात 871 था यानी 1000 लड़कों पर 871 लड़कियां जो वर्ष 2019 में बढ़कर एक 1000 लड़कों पर 923 लड़कियां हो गया. अब उम्मीद लगाई जा रही है की जिस तरह से पानीपत पहले और सिरसा दूसरे स्थान पर आया है उसी तरह बाकी जिलों में भी लिंगानुपात में सुधार देखने को मिले.