पानीपत: कहने को तो हरियाणा में साक्षरता दर (Haryana Literacy Rate) 76 प्रतिशत से ज्यादा है. जो बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान से कहीं बेहतर है. पढ़ाई के क्षेत्र में हरियाणा तेजी से आगे बढ़ रहा है. लेकिन यहां ऐसा गांव भी हैं जहां साक्षरता दर ना के बराबर है. हम बात कर रहे हैं पानीपत में यमुना की तलहटी पर बसे गांव पत्थर गढ़ (Patthargarh Village Panipat) की. मुस्लिम बाहुल्य इस गांव की कुल आबादी कीरब 12 सौ है.
हैरानी की बात ये है कि इस गांव के एक भी शख्स पास आज तक सरकारी नौकरी नहीं (Not a single person has government job) है. इसके पीछे की कई बड़ी वजहे हैं. सबसे पहली ये कि गांव के लोग अपने बच्चों को पढ़ाने में ज्यादा विश्वास नहीं रखते. जैसे ही बच्चे बालिग होते हैं वो उन्हें मजदूरी पर लगा देते हैं, ताकि उनका घर खर्च अच्छे से चल सके. यही वजह है कि इस गांव में बच्चे आठवीं या दसवीं तक ही पढ़े हुए हैं. सरकारी तो दूर यहां के युवाओं के पास प्राइवेट नौकरी भी नहीं है.
मुस्लिम आबादी के इस गांव में दो मदरसे, एक सरकारी स्कूल और एक प्राइवेट स्कूल है, इसके बाद भी बच्चे एक लिमिट तक ही पढ़ाई करते हैं. जब स्कूल के बच्चों से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम पढ़ना चाहते हैं और कुछ बनना चाहते हैं.
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गांव के एक युवा ने हाल ही में इंजीनियरिंग की परीक्षा में पास कर नौकरी हासिल की थी, लेकिन वो इस गांव को छोड़ कर बाहर चला गया. अब धीरे-धीरे लोगों को शिक्षा की अहमियत समझ आने लगी है. गांव में बने सरकारी स्कूल के अध्यापक ने बताया कि यहां के निवासी अधिकांश गरीब हैं. जो अपने बच्चों को बालिक होते ही मजदूरी पर लगा देते हैं उनका विश्वास ये रहता है कि काम करने से कुछ पैसे आएंगे और समुदाय विशेष भी एक कारण है. इस समुदाय के लोग अपने बच्चों को पढ़ाने में विश्वास नहीं रखते.