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नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी बोली को किया प्रमोट, बोले- अंग्रेजी भाषा नहीं जीने का आधार, मातृभाषा से बढ़ता है आत्मविश्वास - अप स्टेज ऐप हरियाणवी बोली

Neeraj Chopra Promoted Haryanvi Dialect: ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी बोली को प्रमोट करने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए उन्होंने अप स्टेज ऐप को चुना है.

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नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी बोली को किया प्रमोट
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 26, 2023, 7:41 PM IST

पानीपत: ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी बोली को प्रमोट करने के लिए अप स्टेज ऐप में शेयर किया है. हरियाणवी और राजस्थानी बोली में एपिसोड या सीरीज दिखाने वाली अप स्टेज ऐप वाली बात उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर बताई. नीरज चोपड़ा कहा कि उन्होंने इस ऐप में धन नहीं बल्कि, मन लगाया है. नीरज चोपड़ा ने कहा कि आजकल हमारा युद्ध कहीं ना कहीं अपनी हरियाणवी बोली से दूर होता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि हरियाणवी बोली को प्रमोट करने के लिए स्टेज अप एक बड़ा अच्छा माध्यम है. पत्रकारों ने जब सवाल पूछा कि अब क्या नीरज चोपड़ा खेलों के साथ-साथ किसी वेब सीरीज में या किसी हरियाणवी नाटक में दिखाई देंगे. तो जवाब में नीरज चोपड़ा ने कहा कि उनका फोकस सिर्फ आने वाले पेरिस ओलंपिक पर ही है. वो इस समय पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारी कर रहे हैं.

नीरज ने कहा कि इस ऐप में शेयर करने का उनका सिर्फ एक ही मकसद है कि वो सिर्फ हरियाणवी बोली को प्रमोट कर सकें. ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने कहा कि हमें अपनी बोली में अपनापन नजर आता है. हमें किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरी इंग्लिश कमजोर है और जब भी किसी इंटरव्यू में मैं बात करता हूं तो हरियाणवी बोली कहीं ना कहीं उनके मुंह से निकल ही आती है.

उन्होंने प्रसिद्ध खिलाड़ी मैसी का उदाहरण देते हुए कहा कि मेसी विश्व का एक बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन वो आज भी अपनी बोली में ही बात करता है. इसलिए व्यक्ति को कभी अपनी बोली और कल्चर को नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि सामने वाले को आपकी बात समझ आ रही है ये विषय नहीं है, बल्कि मैं अपनी बोली को कितने कॉन्फिडेंस के साथ बोलता हूं ये जरूरी है.

नीरज चोपड़ा ने कहा कि आजकल का युवा इंग्लिश लैंग्वेज को बोलने की सोचता है, लेकिन अंग्रेजी लैंग्वेज स्किल के लिए है. ये जीने का आधार नहीं है. मैं गांव से निकला था तो हरियाणवी बोलता था. अब समय के साथ हिंदी और अंग्रेजी बोलना सीख ली है. हरियाणवी बोलने के लिए क्रांति लाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हरियाणा के कल्चर की देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धाक है.

ये भी पढ़ें- क्षेत्रीय बोलियों के संवर्धन और विकास के एम्बेसडर बने नीरज चोपड़ा, बोले- मातृ बोली को सम्मान देना जरूरी

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ये भी पढ़ें: Neeraj Chopra: नीरज चोपड़ा को एक नहीं चार माताओं ने पाला, पिता ने बताया परिवार का लाडला अभी क्यों भाग रहा शादी से कोसों दूर

पानीपत: ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी बोली को प्रमोट करने के लिए अप स्टेज ऐप में शेयर किया है. हरियाणवी और राजस्थानी बोली में एपिसोड या सीरीज दिखाने वाली अप स्टेज ऐप वाली बात उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर बताई. नीरज चोपड़ा कहा कि उन्होंने इस ऐप में धन नहीं बल्कि, मन लगाया है. नीरज चोपड़ा ने कहा कि आजकल हमारा युद्ध कहीं ना कहीं अपनी हरियाणवी बोली से दूर होता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि हरियाणवी बोली को प्रमोट करने के लिए स्टेज अप एक बड़ा अच्छा माध्यम है. पत्रकारों ने जब सवाल पूछा कि अब क्या नीरज चोपड़ा खेलों के साथ-साथ किसी वेब सीरीज में या किसी हरियाणवी नाटक में दिखाई देंगे. तो जवाब में नीरज चोपड़ा ने कहा कि उनका फोकस सिर्फ आने वाले पेरिस ओलंपिक पर ही है. वो इस समय पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारी कर रहे हैं.

नीरज ने कहा कि इस ऐप में शेयर करने का उनका सिर्फ एक ही मकसद है कि वो सिर्फ हरियाणवी बोली को प्रमोट कर सकें. ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने कहा कि हमें अपनी बोली में अपनापन नजर आता है. हमें किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरी इंग्लिश कमजोर है और जब भी किसी इंटरव्यू में मैं बात करता हूं तो हरियाणवी बोली कहीं ना कहीं उनके मुंह से निकल ही आती है.

उन्होंने प्रसिद्ध खिलाड़ी मैसी का उदाहरण देते हुए कहा कि मेसी विश्व का एक बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन वो आज भी अपनी बोली में ही बात करता है. इसलिए व्यक्ति को कभी अपनी बोली और कल्चर को नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि सामने वाले को आपकी बात समझ आ रही है ये विषय नहीं है, बल्कि मैं अपनी बोली को कितने कॉन्फिडेंस के साथ बोलता हूं ये जरूरी है.

नीरज चोपड़ा ने कहा कि आजकल का युवा इंग्लिश लैंग्वेज को बोलने की सोचता है, लेकिन अंग्रेजी लैंग्वेज स्किल के लिए है. ये जीने का आधार नहीं है. मैं गांव से निकला था तो हरियाणवी बोलता था. अब समय के साथ हिंदी और अंग्रेजी बोलना सीख ली है. हरियाणवी बोलने के लिए क्रांति लाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हरियाणा के कल्चर की देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धाक है.

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