पानीपत: 21वीं सदी में इंसानों की सबसे जरूरी चीजों की अगर लिस्ट बनाई जाए, तो उसमें मोबाइल जरूर शामिल होगा. मोबाइल ने इंसानी सभ्यता के एक पूरे दौर को ही बदल दिया है. पहले जहां लोगों को संदेश भेजने के लिए डाक का उपयोग करना पड़ता था. अब उसकी जरूरत ही नहीं रह गई. अब तो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा है. बच्चों की पढाई से लेकर ऑफिशियल वर्क तक हर चीज मोबाइल के जरिए हो रहा है.
लेकिन कहते हैं ना कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत' यानी अति हमेशा नुकसानदायक होता है.अब मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल की कीमत मनुष्य अपनी सेहत से चुका रहा है. मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से लोगों में मिर्गी, तनाव जैसी भयंकर बीमारियां घर कर गई हैं.
क्या कहना है छात्रों का?
मोबाइल उपयोग पर कॉलेज में पढ़ने वाली रुपल ने बताया कि मोबाइल फोन आज के समय की जरूरत बन गया है. इसके बहुत से फायदे हैं. ऑनलाइन पढ़ाई से लेकर दूर रिश्तेदारी में अपने सगे संबंधियों से बात करना मोबइल के जरिए ही संभव हो पाया है. वहीं छात्र अभिषेक का कहना है कि सोशल मीडिया के समय में मोबाइल से दूर नहीं रहा जा सकता. इससे अनेक जानकारियां मिलती हैं.
हालांकि छात्रा रजनी का इन लोगों से विचार थोड़ा अलग रहा. रजनी ने कहा कि किसी भी चीज का ज्यादा प्रयोग नुकसानदायक होता है. मोबाइल से निकलने वाले घातक रेडिएशन से लोगों को काफी नई नई बिमारियां हो रही हैं. इसलिए हमें इसके ज्यादा प्रयोग से बचना चाहिए.
पानीपत में बढ़ रहे मिर्गी के मरीज
पानीपत सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. मोना नागपाल ने बताया कि मोबाइल फोन व टीवी का ज्यादा इस्तेमाल करने से मिर्गी के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है. वैसे तो मिर्गी व दौरे के अनेक कारण हैं, लेकिन आज के दौर में मोबाइल का ज्यादा प्रयोग मिर्गी की बिमारी को बढ़ा रहा है.
पानीपत की 15 फीसदी आबादी को आ चुका है मिर्गी का दौरा
डॉ. मोना ने बताया कि पूरे भारत में इस समय मिर्गी की बीमारी से करीब एक करोड़ लोग ग्रस्त हैं. वहीं पानीपत में उनकी ओपीडी में रोजाना 7-8 मिर्गी मरीज आते है. उन्होंने बताया कि पानीपत की 15 फीसदी आबादी ऐसी है जिसे जीवन में एक बार मिर्गी के दौरे जरूर पड़े हैं.
बीमारी बढ़ने के क्या हैं कारण?
डॉक्टर मोना ने बताया कि मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टेलीविजन की स्क्रीन को अधिक देर तक देखना, नींद पूरी नहीं होना मिर्गी आने के मुख्य कारण हैं. उन्होंने बताया कि मिर्गी का इलाज संभव है, लेकिन अगर मरीज दोबारा बताए गए सुझावों को अमल में नहीं लाता. तो दोबारा मरीज मिर्गी के ग्रस्त हो सकता है.
एक तरफ जहां मोबाइल से हम ढेरों काम घर बैठे कर ले रहे हैं. वहीं इसके ज्यादा इस्तेमाल से हमारे जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन से हमारा दिमाग लगातार कमजोर हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में एक करोड़ मरीज मिर्गी की बीमारी से ग्रस्त है और इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. इसलिए हमें मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए.
ये भी पढ़ें: पूर्व पार्षद के परिजनों से मिले भूपेंद्र हुड्डा, बोले- दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई