पानीपत: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala Former CM Haryana) जेबीटी घोटाला स्कैम में सजा पूरी कर राजनीति में सक्रीय हो चुके हैं. जिनके लिए ओपी चौटाला ने तिहाड़ जेल में सजा काटी अब उन अध्यापकों पर भी कार्रवाई होगी. दरअसल जेबीटी भर्ती घोटाले (Jbt Recruitment Scam) में मौलिक शिक्षा निदेशक ने 60 अध्यापकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए हैं. जिसके बाद पानीपत के भी 2 अध्यापकों पर भी कानूनी तलवार लटक गई है.
पानीपत में एक अध्यापक अनिल कुमार उरलाना के प्राइमरी स्कूल में तैनात हैं, तो दूसरी महिला टीचर सरिता पुठर गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में तैनात हैं. इन दोनों का नाम इन 60 टीचरों में शामिल है. दरअसल JBT शिक्षक भर्ती घोटाले में शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 60 शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई (Legal action against 60 teachers) करने की तैयारी कर ली है. जिसमें मौलिक शिक्षा निदेशक की ओर से सभी जिला मौलिक शिक्षाधिकारियों को पत्र जारी कर कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.
विभाग के निदेशक ने 3 सितंबर को सभी शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिले के शिक्षकों की रिपोर्ट लेने के लिए पंचकूला बुलाया है. शिक्षा विभाग के इस आदेश से प्रदेश के 60 शिक्षकों की सांसें अटकी हुई हैं.
साल 2008 और 2009 में कुल 756 शिक्षकों की भर्ती की गई थी. अब तक की जांच में 60 शिक्षकों की भर्ती संदिग्ध मिली है. जांच कमेटी का कहना है कि 60 शिक्षकों की फिजिकल वैरिफिकेशन संदिग्ध है. प्रदेश के मौलिक शिक्षा निदेशक की ओर से 31 अगस्त को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया गया है. इस पत्र के साथ जिलेवार शिक्षकों के नाम के साथ अन्य डिटेल दी गई हैं.
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सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिले के शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी है. पानीपत के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बृजमोहन गोयल ने बताया कि JBT शिक्षक भर्ती मामले में निदेशालय से पत्र प्राप्त हुआ है. इसमें जिले के दो शिक्षकों के नाम शामिल हैं. 3 सितंबर को निदेशालय से शिक्षकों की रिपोर्ट प्राप्त करनी है. निदेशालय के आदेशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक हरियाणा में इनेलो की सरकार बनने के बाद साल 1999-2000 में जेबीटी टीचर की भर्ती निकाली गई. चौटाला सरकार ने भर्ती का अधिकार एसएससी से लेकर अपने पास रख लिया और इसके लिए जिला स्तर पर समितियां गठित कर दीं. चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) टीचर्स की नियुक्ति में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया.
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नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई. इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए. जेबीटी भर्ती घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया था.
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मामले के मुताबिक परीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों की जो सूची बनी उनमें संजीव कुमार के उम्मीदवार भी थे. जब नतीजे घोषित करने की बारी आई तो अजय चौटाला व शेर सिंह बडशामी ने कुमार को धमकाते हुए उनके उम्मीदवारों के नाम सूची से काटकर नई सूची बनवाई और नतीजे घोषित करने को कहा. यहीं से घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया. संजीव कुमार ने साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. सीबीआई ने वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेबीटी मामले की जांच शुरू की थी. जांच एजेंसी ने 2008 में कुल 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.