पानीपत: जवाहर लाल युनिवर्सिटी का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. जेएनयू छात्रों के हमले के विरोध में अब जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो गए है. इसी बीच हरियाणा पानीपत में जनवादी संगठन के नेताओं ने हमले की निंदा की और केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जनवादी संगठन के नेता पीपी कपूर ने कहा पिछले 2 महीने से फीस वृद्धि के खिलाफ जारी शांतिपूर्ण आंदोलन पर फासीवादी ताकतों ने सुनियोजित तरीके से हमला कर दिया है.
जेएनयू हमले के विरोध में जनवादी का प्रदर्शन
ये हमला षड्यंत्र के तहत पुलिस फोर्स की मौजूदगी में हुए जिसकी जनवादी इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता है. सोमवार को पानीपत में जनवादी संगठन ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का पुतला फूंका और हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग की. उन्होंने कहा कि ये आजादी और लोकतंत्र के मूल्यों पर करारा हमला है. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि जेएनयू के छात्रों पर हमला करने वाले आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाये.
हमले में घायल हुए थे 40 छात्र
आपको बता दें कि देश के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जेएनयू में रविवार शाम को नकाबपोश बदमाशों ने घुसकर हमला कर दिया था. जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष हमले में बुरी तरह घायल हो गईं थी और इसके साथ-साथ 40 से ज्यादा छात्र और शिक्षक भी हमले में घायल हो गए थे. घायलों में 30 छात्र जबकि 12 शिक्षक शामिल थे.
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नकाबपोश गुंडों ने किया था हमला
20 छात्रों को एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था. दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसी भी घायल छात्र की हालत गंभीर नहीं है और सभी खतरे से बाहर हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शाम करीब 6:30 बजे लगभग 50 की संख्या में नकाबपोश गुंडे जेएनयू कैंपस में में घुस आए और छात्रों पर हमला करना शुरू कर दिया. इन लोगों ने कैंपस में मौजूद कारों को भी निशाना बनाया और हॉस्टल में भी तोड़फोड़ की थी.
छात्रों पर की थी पत्थरबाजी
छात्रों ने बताया कि हमलावरों ने हॉस्टल पर पत्थरबाजी की और यूनिवर्सिटी की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया. जेएनयू मामले की जांच वेस्टर्न रेंज की ज्वाइंट कमिश्नर शालिनी सिंह को सौंपी गई है.
एबीवीपी ने ये दी थी दलील
वहीं इस मामले में एबीवीपी ने अपने ऊपर हमले के लगे आरोप के विरोध में चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया था. एबीवीपी के छात्रों ने कहा कि जेएनयू में आए दिन मारपीट होती है. जिसका जिम्मेदार एबीवीपी को माना जाता है, जबकि एबीवीपी कभी भी हिंसा नहीं करती है.