पानीपत: इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) पानीपत में रबड़ और एथेनॉल प्लांट लगाने के बाद अब 3 हजार करोड़ रुपए की लागत से ग्रीन जेट फ्यूल प्लांट लगाने की तैयारी चल रही है. भारत में पहला ऐसा फ्यूल बनेगा जो एल्कोहल टू जेट (Alcohol-To-Jet) टेक्नॉलजी का होगा. यह कम प्रदूषण वाला जेट ईंधन होता है. जिसमें गन्ना, मक्का, खाने के तेल के बीज और लकड़ी मिल के वेस्ट के साथ पेट्रोलियम प्रोडक्ट को मिलाकर तैयार किया जाता है.
एल्कोहल-टू-जेट ईंधन की खासियत ये है कि इसमें कम कार्बन उत्सर्जन होता है. इसके तहत देश में पहली बार एविएशन क्षेत्र की एक ऐसी कंपनी बनेगी जो ग्रीन एविएशन ईंधन का उत्पादन करेगी. इसके लिए इंडियन ऑयल, अमेरिकी कंपनी लैंजा जेट इंक (LanzaJet Inc) मिलकर एक प्लांट लगाएगी. इस प्लांट में भारतीय एयरलाइंस कंपनियों की भी हिस्सेदारी होगी. नए प्लांट में एल्कोहल टू जेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर एयरलाइंस के लिए ग्रीन ईंधन बनाया जाएगा. इसके लिए पानीपत में 3 हजार करोड़ रुपये का प्लांट लगाने की तैयारी है.
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ग्रीन जेट फ्यूल का ये प्लांट इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी में लगाया जायेगा. प्लांट में 50 प्रतिशत शेयर इंडियन ऑयल का होगा और 25 प्रतिशत शेयर अमेरिका की कंपनी लैंजाजेट इंक का होगा. बाकी 25 प्रतिशत शेयर एयरलाइंस कंपनी के समूह का होगा. प्लांट में एक साल में 85 हजार मीट्रिक टन फ्यूल उत्पादन की तैयारी है. उम्मीद है कि यहां 2025 से पहले फ्यूल तैयार किया जा सकेगा.
दरअसल यूरोपीय देशों में 2025 से सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) प्रयोग करने वाले जहाज लैंड हो सकेंगे. ऐसे में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) बनाने के लिए इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी आगे आई है. जल्द ही प्लांट का काम शुरू किया जाएगा. रिफाइनरी के अंदर ही यह प्लांट लगाया जाएगा. इसके लिए रिफाइनरी को बाहर जमीन नहीं लेनी पड़ेगी.
पानीपत रिफाइनरी एथनॉल ऑयल पहले से ही बना रही है. अब एथनॉल में पांच प्रतिशत अलग से कैमिकल मिलाया जाएगा. इससे सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) बनाया जाएगा. रिफाइनरी के एक अधिकारी ने बताया कि इसको जहाज के ऑयल में प्रयोग किया जाएगा. इससे कार्बन में 40 से 50 प्रतिशत की कमी आएगी. अधिकारियों के अनुसार, देश में एयरक्राफ्ट ऑयल की मांग बढ़ रही है, इसको देखते हुए इंडियन ऑयल कंपनी आगे आई है. इसमें इंडियन ऑयल 15 सौ करोड़ और अमेरिका की कंपनी 750 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. एयरलाइंस का निवेश अभी स्पष्ट नहीं हुआ है.
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