पानीपत: कहते हैं नर सेवा ही नारायण सेवा है. इसी नर सेवा को करने के लिए पानीपत दशहरा कमेटी ने गरीब लोगों की मदद के लिए एक ऐसा बैंक बनाया है जो लोगों को सूखा राशन मुहैया करवा रहा है. साथ ही जरूरतमंद लोगों को वस्त्र भी उपलब्ध करवा रहा है. इस बैंक का नाम अन्नपूर्णा वस्त्र एवं अनाज बैंक है. इसमें जरूरतमंदों को भी पासबुक से राशन दिया जाता है और दानियों की भी पासबुक बनाकर दान लिया जाता है.
पानीपत में अन्नपूर्णा वस्त्र एवं अनाज बैंक: दशहरा कमेटी और अन्नपूर्णा बैंक के प्रधान रमेश माटा ने बताया की उन्होंने एक टीवी समाचार के माध्यम से देखा था कि वाराणसी में जरूरतमंद लोगों के लिए एक सूखे राशन का बैंक बनाया गया है जो गरीब लोगों को राशन मुहैया करवाता है. उन्होंने भी अपने सहयोगियों के साथ इस वाराणसी में चल रहे बैंक का दौरा किया और पानीपत में भी ऐसे ही राशन बैंक की शुरुआत कर दी.
क्या है अन्नपूर्णा वस्त्र एवं अनाज बैंक का उद्देश्य?: प्रधान रमेश माटा बताते हैं कि पासबुक बनाने का उनका एक मकसद यह है कि लोगों को यह ना लगे कि उन्हें कोई राशन देकर उन पर एहसान कर रहा है. उनको ऐसा लगे कि वह अपने बैंक में हर महीने राशन सुख ले रहे हैं. वहीं, दानियों की पासबुक बनाने का मकसद यह है कि जो लोग इस बैंक में सहयोग (रकम) देते हैं, उसकी एंट्री की जाती है ताकि उसे देखकर युवा भी समाज सेवा सीख सकें.
बैंक से सुविधा पाने के लिए क्या है प्रक्रिया: अन्नपूर्णा राशन एवं वस्त्र बैंक पानीपत- 25 सेक्टर के रघुनाथ मंदिर के बेसमेंट में चल रहा है. जहां 480 जरूरतमंदों का खाता खोलकर उन्हें पासबुक दी गई है और उन्हें हर महा राशन मुहैया करवाया जाता है यह बैंक प्रत्येक रविवार 10 बजे से 2 बजे तक खुलता है. इस बैंक में खाता खुलवाने के लिए जो भी आवेदन आते हैं. प्रधान रमेश माटा बताते हैं कि पहले यह एप्लीकेशन दी जाती है. उसके बाद उनकी सर्वे टीम उनके घर जाकर सर्वे करती है.
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बैंक से 480 लोग प्राप्त कर रहे राशन: अगर टीम को आवेदन करने वाला जरूरतमंद लगता है तो उसकी पासबुक बनाकर उसे राशन देना शुरू कर दिया जाता है. अगर जरूरतमंद की स्थिति कुछ दिनों बाद सुधर जाती है तो उसकी पासबुक सर्वे टीम द्वारा बंद कर दी जाती है. 480 लोग यहां से राशन प्राप्त करते हैं और इसके अलावा 81 मेंबर इस राशन बैंक में दान देते हैं.
वस्त्र बैंक के प्रधान की लोगों से अपील: प्रधान रमेश माटा ने लोगों से भी यही अपील की है कि वह अपने घरों में पड़ा पुराने कपड़े या प्रयोग में ना आने वाले कपड़े घर में संभाल कर ना रखें और ना ही फेंके. उन कपड़ों को उनके बैंक में जमा करा दें ताकि किसी जरूरतमंद तक वह कपड़ा पहुंचे और वह उसे पहन सकें.
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