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साल 2020 में पानीपत में दर्ज हुए 640 फायर केस, जानें फायर कंट्रोल सिस्टम कितना जरूरी? - फैक्ट्री आग पानीपत

पानीपत में हर साल आग लगने की वजह से फैक्ट्रियों में जान और माल का नुकसान होता है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रख फैक्ट्री में लगने वाली आग को रोका जा सकता है.

panipat industrial areas fire prone
फैक्ट्रियों में फायर कंट्रोल सिस्टम कितना जरूरी?
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Published : Feb 8, 2021, 1:08 PM IST

पानीपत: पानीपत को औद्योगिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है. जहां छोटी-बड़ी 4 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. इन फैक्ट्रियों से आए दिन आग लगने की खबरें सामने आती रहती हैं. अगर बात साल 2020 की करें तो फायर ब्रिगेड के आंकड़ों के अनुसार 640 फायर केस पानीपत में हुए हैं, जिनमें से अधिकांश फैक्ट्री और कारखानों में हुए हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि इन केसों में किसी की जान नहीं गई है. इन फैक्ट्रियों में आग लगने की मुख्य वजह फायर सिस्टम का दुरुस्त ना होना है.

पानीपत में हैं 4 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां

फायर ऑफिसर रामेश्वर सिंह के मुताबिक जिले में 4000 से ज्यादा छोटी-बड़ी इकाई हैं और वो समय-समय पर जाकर अग्निशामक यंत्रों की जांच करते रहते हैं, लेकिन उनके हाथ में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जिसके चलते फैक्ट्री मालिक पर कोई कानूनी कार्रवाई की जाए.

फैक्ट्रियों में फायर कंट्रोल सिस्टम कितना जरूरी?

2020 में पानीपत में दर्ज हुए 640 फायर केस

उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में फायर पर काबू पाने वाले यंत्रों का दुरुस्त होना अनिवार्य है और फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की भी जानकारी होना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि वो अगर सिस्टम दुरुस्त नहीं होता तो सिर्फ फैक्ट्री मालिक को नोटिस दे सकते हैं. इसके अलावा कोई ठोस कार्रवाई करने के आदेश वो नहीं दे सकते हैं. इसके अलावा वो अधिकारियों को सिर्फ उच्च अधिकारियों को लिखित रूप में शिकायत दे सकते हैं.

panipat industrial areas fire prone
इन बातों का रखें ध्यान

ये भी पढ़िए: ब्यूटिफुल सिटी चंडीगढ़ में पार्कों की कमी! बच्चों को खेलने में होती है परेशानी

वहीं लीडिंग फायरमैन अमित कुमार ने बताया कि उन्हें आग बुझाने में सबसे ज्यादा परेशानी भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में होती है. उन्होंने कहा कि हैंडलूम का हब होने के चलते यहां के बाजार और गलियां बहुत ही संकरी हैं, जिनमें से फायर ब्रिगेड का जाना बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसी परिस्थितियों में फायर ब्रिगेड लेट हो जाए तो बड़ा नुकसान हो जाता है.

ये भी पढ़िए: चंडीगढ़ में पेड़ काटने पर सजा का प्रावधान, अंधाधुंध कटाई पर लगी लगाम

उन्होंने कहा कि सभी फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को आग पर काबू पाने आना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचने से पहले मजदूर आग पर काबू पा सकें.

पानीपत: पानीपत को औद्योगिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है. जहां छोटी-बड़ी 4 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. इन फैक्ट्रियों से आए दिन आग लगने की खबरें सामने आती रहती हैं. अगर बात साल 2020 की करें तो फायर ब्रिगेड के आंकड़ों के अनुसार 640 फायर केस पानीपत में हुए हैं, जिनमें से अधिकांश फैक्ट्री और कारखानों में हुए हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि इन केसों में किसी की जान नहीं गई है. इन फैक्ट्रियों में आग लगने की मुख्य वजह फायर सिस्टम का दुरुस्त ना होना है.

पानीपत में हैं 4 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां

फायर ऑफिसर रामेश्वर सिंह के मुताबिक जिले में 4000 से ज्यादा छोटी-बड़ी इकाई हैं और वो समय-समय पर जाकर अग्निशामक यंत्रों की जांच करते रहते हैं, लेकिन उनके हाथ में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जिसके चलते फैक्ट्री मालिक पर कोई कानूनी कार्रवाई की जाए.

फैक्ट्रियों में फायर कंट्रोल सिस्टम कितना जरूरी?

2020 में पानीपत में दर्ज हुए 640 फायर केस

उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में फायर पर काबू पाने वाले यंत्रों का दुरुस्त होना अनिवार्य है और फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की भी जानकारी होना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि वो अगर सिस्टम दुरुस्त नहीं होता तो सिर्फ फैक्ट्री मालिक को नोटिस दे सकते हैं. इसके अलावा कोई ठोस कार्रवाई करने के आदेश वो नहीं दे सकते हैं. इसके अलावा वो अधिकारियों को सिर्फ उच्च अधिकारियों को लिखित रूप में शिकायत दे सकते हैं.

panipat industrial areas fire prone
इन बातों का रखें ध्यान

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वहीं लीडिंग फायरमैन अमित कुमार ने बताया कि उन्हें आग बुझाने में सबसे ज्यादा परेशानी भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में होती है. उन्होंने कहा कि हैंडलूम का हब होने के चलते यहां के बाजार और गलियां बहुत ही संकरी हैं, जिनमें से फायर ब्रिगेड का जाना बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसी परिस्थितियों में फायर ब्रिगेड लेट हो जाए तो बड़ा नुकसान हो जाता है.

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उन्होंने कहा कि सभी फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को आग पर काबू पाने आना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचने से पहले मजदूर आग पर काबू पा सकें.

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