पानीपत: आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरटीआई के जरिए प्राप्त सूचना के आधार पर बड़ा खुलासा किया है. एक RTI के जवाब में बताया गया है कि पिछले 9 सालों में लोकायुक्त की ओर से कुल 463 शिकायत केसों में कार्रवाई के लिए सरकार को सिफारिशें भेजी गई, लेकिन सिर्फ 113 केसों में ही कार्रवाई की रिपोर्ट सरकार ने भेजी है.
दरअसल, पीपी कपूर ने लोकायुक्त कार्यालय में 26 फरवरी को आरटीआई लगाई थी. आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी के मुताबिक 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2019 तक 9 सालों में लोकायुक्त की ओर से कुल 463 शिकायत केसों में कारवाई के लिए सरकार को सिफारिशें भेजी गई, लेकिन भ्रष्टाचार, गबन, धांधली के इन केसों में से सिर्फ 113 केसों में ही कारवाई की रिपोर्ट सरकार ने भेजी. यानि की कुल मिलाकर लोकायुक्त की 75 फीसदी सिफारिशों पर सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया.
पीपी कपूर ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
इन कुल 463 सिफारिशों में से कांग्रेस शासनकाल (1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2015 तक) के 5 सालों में सरकार को भेजी 347 सिफारिशों में से सिर्फ 37 केसों में ही सरकार ने कारवाई करके लोकायुक्त को रिपोर्ट दी. जबकि 310 केसों में यानि 89 प्रतिशत सिफारिशों पर कोई कारवाई नहीं की.
इसी तरह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली बीजेपी सरकार के 4 साल के कार्यकाल (1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2019) में लोकायुक्त ने कुल 116 केसों की जांच के बाद कारवाई के लिए हरियाणा सरकार को समय-समय पर सिफारिशें भेजी, लेकिन खट्टर सरकार ने 76 केसों में कारवाई करके लोकायुक्त को रिपोर्ट दी, जबकि बाकी के 40 केसों यानि 35 प्रतिशत केसों में कारवाई की रिपोर्ट सरकार को नहीं दी.
अंबाला मनरेगा घोटाले की नहीं हुई जांच
आरटीआई में पीपी कपूर ने खुलासा किया है की भ्रष्टाचार के जिन केसों में सरकार ने कार्रवाई नहीं की उनमें करोड़ों रूपये का चर्चित अंबाला मनरेगा घोटाला भी शामिल है. जिसमें लोकायुक्त ने 26 मई 2017 को पांच आईएएस अफसरों को भ्रष्टाचार, गबन, धांधली का दोषी पाते हुए इनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश सरकार को की थी. लोकायुक्त की सिफारिशों पर सरकार की ओर से कोई कारवाई नहीं की गई.
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आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने कहा कि ये आरटीआई प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस के दावों पर गंभीर सवाल है. लोकायुक्त के अधिकांश फैसलों पर कारवाई ना होने से भ्रष्टाचारी बेखौफ हैं. जब लोकायुक्त की सिफारिशों को लागू ही नहीं करना था तो क्यों पब्लिक को धक्के खिलाए जा रहे हैं?