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लॉक डाउन में ट्रांस्पोर्टर्स को लगा बड़ा झटका, प्रवासी ड्राइवर भूखे रहने को मजबूर

लॉक डाउन में एसेंशियल सर्विसेज को छोड़ कर सभी वाहनों को सड़क पर चलने पर रोक लगा दी गई. ऐसे में ट्रांस्पोर्टर्स को बड़ा झटका लगा है. उन्हें रोजाना करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं ट्रक ड्राइवर्स और दूर किसी राज्य में मौजूद उनका परिवार भी भूखे मरने पर मजबूर हो चुका है, देखें रिपोर्ट

ground report on problems of transport services and truck driver during lock down
लॉक डाउन में ट्रांस्पोर्टर्स को लगा बड़ा झटका
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Published : Apr 8, 2020, 8:56 PM IST

Updated : Apr 8, 2020, 9:11 PM IST

पानीपत: उद्योगिक नगरी होने के कारण पानीपत में ट्रांसपोर्ट का काम बहुत ज्यादा है. यहां पर देश विदेश से आयात निर्यात का बहुत प्रभाव पड़ता है. ट्रांसपोर्ट के माध्यम से माल पूरे देश मे सप्लाई होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते पानीपत का ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है, इसी वजह से ईटीवी भारत हरियाणा ने लॉकडाउन के दौरान पानीपत के ट्रांसपोर्टर्स की परेशानियों को उन्ही से जानने की कोशिश की.

पानीपत जिले में ही करीब आठ से 10 हजार गाड़ियां हैं. जो कि शहर में खड़ी हैं या फिर देश के अलग-अलग कोनों में गए ड्राइवर वहीं पर खड़ी करके गाड़ियों को वहां से निकल रहे हैं. इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट बिजनेस है उसमें 8 से 10 गाड़ियां होने के चलते पानीपत में करीब 50 हजार लोग ट्रांसपोर्ट से अपनी रोजी-रोटी चलाते थे. वह अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं.

लॉक डाउन में ट्रांस्पोर्टर्स को कितना पड़ा असर, रिपोर्ट देखें.

ट्रांस्पोर्टस लगा रहे हैं राहत की गुहार

पानीपत ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान ने बताया कि नेशनल परमिट के सभी टैक्स भर दिए हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनका टैक्स माफ करें, जो किस्ते पेंडिंग है. उनको भी माफ करें ताकि जो ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है और ट्रांसपोर्टर हैं वह जिंदा रहे. वही ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पानीपत में करीब 50 हजार परिवार ऐसे हैं जो कि ट्रांसपोर्ट पर ही आश्रित हैं. 10 हजार के करीब गाड़ियां होने के चलते एक गाड़ी पर करीब 3 आदमी काम करते हैं, जिसमें ड्राइवर, कंडक्टर लेबर आश्रित होता है.

प्रवासी ड्राइवरों को हो रही हैं परेशानी

कोरोना महामारी के चलते ट्रांसपोर्ट का व्यापार बिल्कुल बंद होने की कगार पर पहुंच गया है. इसके साथ ही ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि करोना में जान बच जाए बस यही दुआ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो भी ड्राइवर है वह बाहर से आए हुए व्यक्ति हैं. अप्रवासी होने के कारण उनके राशन कार्ड नहीं है और उनको राशन कार्ड से कोई लेना-देना नहीं है जिसके चलते उन्हें राशन भी नहीं मिलता और उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं होती उनका राशन नहीं आता. उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी ट्रांसपोर्टर्स की तरफ से करवाई जा रही है.

ड्राइवर आज के समय में बहुत ही दुखी हो चुके हैं. ड्राइवर तो रास्ते में अपनी गाड़ियों को छोड़कर वहां से भाग रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन के चलते उनके पास पैसे नहीं है और जो होटल है वो भी बंद पड़े हैं. उन्हें खाने-पीने की चीजें भी नहीं मिल रही. भूखे मरने की स्थिति है. पानीपत में ट्रांस्पोर्ट एरिया में बैठे ड्राइवर सुरेश का कहना है कि पिछले 10 दिन से ज्यादा वक्त हो चुका है और वो पानीपत में ही रुके हुए हैं और उन्हें पता भी नहीं है कि वह अपने घर कब पहुंचेंगे. जिसके चलते उन्हें बहुत दिक्कत आ रही है.

इसके साथ ही ड्राइवरों कहना है कि जो ड्राइवर अपने मालिक के पास पहुंच गए हैं. उनकी व्यवस्था उनके ट्रांसपोर्टर खाने पीने की व्यवस्था करवा रहे हैं. इसके अलावा वो कहीं भी नहीं जा सकते. परिवार से सिर्फ फोन पर बात होती है, पानीपत में फंसे एक नेपाली ड्राइवर अपने परिवार का गुजारा करने वाला एकमात्र सहारा है. उनके घर में 5 सदस्य हैं जिनका पेट उनकी कमाई से ही पलता है. ये ड्राइवर बहुत परेशान हैं क्योंकि अब इन्हें चिंता सता रही है कि लॉक डाउन आगे बढ़ा तो उनका परिवार गुजर-बसर कैसे करेगा.

वहीं ट्रांस्पोर्टस ने भी अलग-अलग राज्यों के पुलिस कप्तानों से अपील की है कि कई राज्यों में ट्रकों को माल समेत सड़क पर छोड़ लेबर और ड्राइवर्स पैदल ही अपने घर की तरफ चले गए हैं. ऐसे में उनके ट्रकों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए, ताकि इस मंदी के दौर में उन्हें और घाटा ना सहन करना पड़े.

ये पढे़ं- विदेशी जमाती बने हरियाणा में कोरोना के 'सुपर स्प्रेडर', मेवात बना केन्द्र, पढ़िए ईटीवी भारत की पड़ताल

पानीपत: उद्योगिक नगरी होने के कारण पानीपत में ट्रांसपोर्ट का काम बहुत ज्यादा है. यहां पर देश विदेश से आयात निर्यात का बहुत प्रभाव पड़ता है. ट्रांसपोर्ट के माध्यम से माल पूरे देश मे सप्लाई होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते पानीपत का ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है, इसी वजह से ईटीवी भारत हरियाणा ने लॉकडाउन के दौरान पानीपत के ट्रांसपोर्टर्स की परेशानियों को उन्ही से जानने की कोशिश की.

पानीपत जिले में ही करीब आठ से 10 हजार गाड़ियां हैं. जो कि शहर में खड़ी हैं या फिर देश के अलग-अलग कोनों में गए ड्राइवर वहीं पर खड़ी करके गाड़ियों को वहां से निकल रहे हैं. इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट बिजनेस है उसमें 8 से 10 गाड़ियां होने के चलते पानीपत में करीब 50 हजार लोग ट्रांसपोर्ट से अपनी रोजी-रोटी चलाते थे. वह अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं.

लॉक डाउन में ट्रांस्पोर्टर्स को कितना पड़ा असर, रिपोर्ट देखें.

ट्रांस्पोर्टस लगा रहे हैं राहत की गुहार

पानीपत ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान ने बताया कि नेशनल परमिट के सभी टैक्स भर दिए हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनका टैक्स माफ करें, जो किस्ते पेंडिंग है. उनको भी माफ करें ताकि जो ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है और ट्रांसपोर्टर हैं वह जिंदा रहे. वही ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पानीपत में करीब 50 हजार परिवार ऐसे हैं जो कि ट्रांसपोर्ट पर ही आश्रित हैं. 10 हजार के करीब गाड़ियां होने के चलते एक गाड़ी पर करीब 3 आदमी काम करते हैं, जिसमें ड्राइवर, कंडक्टर लेबर आश्रित होता है.

प्रवासी ड्राइवरों को हो रही हैं परेशानी

कोरोना महामारी के चलते ट्रांसपोर्ट का व्यापार बिल्कुल बंद होने की कगार पर पहुंच गया है. इसके साथ ही ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि करोना में जान बच जाए बस यही दुआ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो भी ड्राइवर है वह बाहर से आए हुए व्यक्ति हैं. अप्रवासी होने के कारण उनके राशन कार्ड नहीं है और उनको राशन कार्ड से कोई लेना-देना नहीं है जिसके चलते उन्हें राशन भी नहीं मिलता और उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं होती उनका राशन नहीं आता. उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी ट्रांसपोर्टर्स की तरफ से करवाई जा रही है.

ड्राइवर आज के समय में बहुत ही दुखी हो चुके हैं. ड्राइवर तो रास्ते में अपनी गाड़ियों को छोड़कर वहां से भाग रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन के चलते उनके पास पैसे नहीं है और जो होटल है वो भी बंद पड़े हैं. उन्हें खाने-पीने की चीजें भी नहीं मिल रही. भूखे मरने की स्थिति है. पानीपत में ट्रांस्पोर्ट एरिया में बैठे ड्राइवर सुरेश का कहना है कि पिछले 10 दिन से ज्यादा वक्त हो चुका है और वो पानीपत में ही रुके हुए हैं और उन्हें पता भी नहीं है कि वह अपने घर कब पहुंचेंगे. जिसके चलते उन्हें बहुत दिक्कत आ रही है.

इसके साथ ही ड्राइवरों कहना है कि जो ड्राइवर अपने मालिक के पास पहुंच गए हैं. उनकी व्यवस्था उनके ट्रांसपोर्टर खाने पीने की व्यवस्था करवा रहे हैं. इसके अलावा वो कहीं भी नहीं जा सकते. परिवार से सिर्फ फोन पर बात होती है, पानीपत में फंसे एक नेपाली ड्राइवर अपने परिवार का गुजारा करने वाला एकमात्र सहारा है. उनके घर में 5 सदस्य हैं जिनका पेट उनकी कमाई से ही पलता है. ये ड्राइवर बहुत परेशान हैं क्योंकि अब इन्हें चिंता सता रही है कि लॉक डाउन आगे बढ़ा तो उनका परिवार गुजर-बसर कैसे करेगा.

वहीं ट्रांस्पोर्टस ने भी अलग-अलग राज्यों के पुलिस कप्तानों से अपील की है कि कई राज्यों में ट्रकों को माल समेत सड़क पर छोड़ लेबर और ड्राइवर्स पैदल ही अपने घर की तरफ चले गए हैं. ऐसे में उनके ट्रकों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए, ताकि इस मंदी के दौर में उन्हें और घाटा ना सहन करना पड़े.

ये पढे़ं- विदेशी जमाती बने हरियाणा में कोरोना के 'सुपर स्प्रेडर', मेवात बना केन्द्र, पढ़िए ईटीवी भारत की पड़ताल

Last Updated : Apr 8, 2020, 9:11 PM IST
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