पानीपत: हल्का समालखा के पूर्व विधायक धर्म सिंह छौक्कर की अवैध कॉलोनी की कोठी को साईं एन्कलेव कॉलोनी बताकर स्वीकृत कराने के केस में फर्जीवाड़ा मिला है. इस पर कार्रवाई करते हुए लोकायुक्त ने पानीपत के वर्तमान डीसी सुमेधा कटारिया और पूर्व डीसी चन्द्रशेखर खरे, तत्कालीन एसडीएम गौरव कुमार, नगरपालिका अभियंता मदन मोहन गर्ग को नोटिस जारी जवाब तलब किया है. इस केस की सुनवाई 30 जुलाई को होगी.
नोटिस में सवाल
लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने अधिकारियों को नोटिस में पूछा कि पहले न्यू दुर्गा कॉलोनी का केस अस्वीकृत हो गया था तो फिर इसी अवैध कॉलोनी में स्थित पूर्व विधायक की कोठी को साईं एन्कलेव कॉलोनी बताकर स्वीकृत कराने की सिफारिश क्यों की गई?
डीटीपी की जांच
गत 8 मई को केस की सुनवाई के दौरान शहरी निकाय विभाग निदेशालय के डीटीपी मंजीत सिंह ने लोकायुक्त को बताया कि जिला प्रशासन और नगरपालिका के अधिकारियों ने सरकार को गुमराह करके रिपोर्ट भेजी थी. भ्रामक रिपोर्टें भेजने वाले अन्य तत्कालीन डीसी पानीपत और तत्कालीन उपमंडल अधिकारी (नागरिक) समालखा और नगरपालिका समालखा के कर्मचारियों के नाम लोकायुक्त को शीघ्र बताए जाएंगे.
आरटीआई एक्टिविस्ट का खुलासा
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेसी विधायक धर्म सिंह छौक्कर ने वर्ष 2013 में न्यू दुर्गा कॉलोनी नामक अवैध कॉलोनी में अपनी कोठी का निर्माण शुरू कर दिया. नगरपालिका ने 20 एकड़ रकबा की न्यू दुर्गा कॉलोनी को स्वीकृत कराने का केस सरकार को भेजा. लेकिन शर्तें पूरी ना करने के कारण न्यू दुर्गा कॉलोनी का केस रिजैक्ट कर दिया गया.
कैसे न्यू दुर्गा कॉलोनी से बना साईं एंक्लेव
अवैध कॉलोनी में निर्माणाधीन पूर्व विधायक की कोठी को बचाने के लिए पालिका कर्मचारियों और जिला प्रशासन के तत्कालीन उच्चाधिकारियों ने फ्रॉड पूर्वक मात्र पौना एकड भूमि में स्थित पूर्व विधायक की कोठी को साईं एन्कलेव कॉलोनी का फर्जी नाम देकर स्वीकृत कराने के लिए सरकार को 7 अगस्त 2014 को सरकार को केस भेज दिया.
तत्कालीन डीसी अजीत बाला जोशी ने तत्कालीन एसडीएम समालखा विवेक चौधरी की अध्यक्षता में डीटीपी, तहसीलदार, नगरपालिका अभियंता, जेई और भवन निरीक्षक की कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी थी. इस कमेटी द्वारा पूर्व विधायक की कोठी को साईं एंक्लेव कॉलोनी बताते हुए इसे स्वीकृत करने की रिपोर्ट दी गई थी.
2018 में पास हुई रिपोर्ट
वर्ष 2014 में चुनावी आचार संहिता लगने के कारण साईं एन्कलेव कॉलोनी का केस अधर में लटक गया, उसके बाद इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर नगरपालिका के अधिकारी और जिला उपायुक्त समय-समय पर सरकार को इस कथित कॉलोनी को स्वीकृत करने की सिफारिशें आंख मूंदकर भेजते रहे. इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर आखिरकार 28 नवम्बर 2018 को सरकार ने अवैध कॉलोनी को स्वीकृत कर दिया.
इस फर्जीवाड़े के विरूद्ध 19 अगस्त 2014 को लोकायुक्त हरियाणा को शिकायत की थी. एसडीएम समालखा गौरव कुमार द्वारा 01/02/2019 को की गई जांच में कपूर द्वारा लगाए गए सभी आरोप सिद्ध पाए गए और फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. रिपोर्ट शहरी स्थानीय निकाय विभाग में पहुंचने पर हडकंप मच गया, क्योंकि सरकार जिला उपायुक्तों द्वारा भेजी गई रिपोर्टों को सत्य मानकर साईं एन्कलेव कॉलोनी को 28 नवम्बर 2018 में स्वीकृत कर चुकी थी.
8 मई 2019 को शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों ने लोकायुक्त को बताया कि जिला प्रशासन और नगरपालिका अधिकारियों द्वारा भेजी गई रिपोर्टों के आधार पर साईं एन्कलेव कॉलोनी को स्वीकृत किया गया. इन तमाम अधिकारियों ने गलत रिपोर्टे भेजकर सरकार को गुमराह किया.