पानीपत: टेक्नोलॉजी और मशीनें हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है. जिसकी वजह से काम पहले के मुकाबले आसान भी हुआ है, शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर चिकित्सा का. हर जगह टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाता है, लेकिन पानीपत के सरकारी अस्पताल (panipat government hospital) में स्थिति थोड़ी अलग है. यहां आधुनिक मशीनें होने के बाद भी पुराने तरीके से आखों का ऑपरेशन किया जाता है.
जिसमें मरीज की टांकों वाली सर्जरी करनी पड़ती है, जबकि अस्पताल में बिना टांकों के ऑपरेशन करने वाली फेको मशीन (phaco machine in pnaipat) कई साल से धूल फांक रही है. क्योंकि यहां के डॉक्टर्स को इस मशीन की ट्रेनिंग नहीं दी गई है. अब रखरखाव के अभाव में इस मशीन की हालत खस्ता हो गई है. आंखो के ऑपरेशन करने वाली इस फेको मशीन से 7 साल पहले महज तीन सर्जरी (eyes operation in panipat) ही की गई थीं.
इस मशीन से उच्च तकनीक के जरिये बिना टांकों की सर्जरी होती है, इसके लिए तत्कालीन सर्जन डॉक्टर आशुतोष को राजस्थान में ट्रेनिंग भी दिलाई गई थी. ट्रेनिंग पर लाखों रुपये खर्च भी आया था. डॉक्टर आशुतोष ने मशीन से महज 3 सर्जरी की थी, लेकिन उनके जाने के बाद फिर किसी डॉक्टरों को ट्रेनिंग नहीं दी गई. जिसकी वजह से मरीजों को टांके वाली सर्जनी करनी पड़ती है. मशीन से आंखों के ऑपरेशन के लिए बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती है.
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आंख में महज 3 एमएम का बारीक कट लगा कर मशीन के माध्यम से मोतिया को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है. मशीन के जरिये ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. इसे माइक्रो फेको तकनीक कहते हैं. इस प्रक्रिया में कोई इंजेक्शन नहीं लगाया जाता, दवा की कुछ बूंद डाली जाती हैं. ऑपरेशन का सबसे बड़ा लाभ ये है कि बिना दर्द हुए इस ऑपरेशन के बाद मरीज को आंखों पर पट्टी भी बांधनी नहीं पड़ती. जब इस बारे में अस्पताल के पीएमओ संजीव ग्रोवर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मशीन को दोबारा ठीक कराकर फेको सर्जरी के प्रयास शुरू किए थे. इस संबंध में डिप्टी सिविल सर्जन को निर्देश भी दिए गए थे.