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नीरज चोपड़ा के गांव में ओलंपियन बनना चाहता है हर युवा, नहीं है कोई स्टेडियम

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) पूरे देश के युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं. युवा अपना करियर खेलों की तरफ देख रहे हैं. ऐसे में नीरज के गांव के युवाओं का जोश तो चरम पर है, लेकिन उनके गांव में लड़के-लड़कियां खेल भी नहीं सकती, ऐसा क्यों है जानने के लिए पढ़ें ये खबर-

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ओलंपिक गोल्ड विनर नीरज चोपड़ा के गांव में जोश
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Published : Aug 10, 2021, 1:19 PM IST

Updated : Aug 10, 2021, 2:36 PM IST

पानीपत: आज पूरे देश की जुबां पर भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Javelin Throw Athlete Neeraj Chopra) का नाम है. पानीपत के नीरज चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आज हर माता-पिता यही सपना है कि उनके बच्चे भी नीरज जैसे ही बनें. आज युवा नीरज चोपड़ा को अपना रोल मॉडल मान बैठे हैं. नीरज चोपड़ा के खंड़रा गांव (Khandra Village, Panipat) के युवा तो उन्हें अपना हीरो मान बैठे हैं. 10-12 साल के बच्चों में कुछ कर गुजरने की चाह है, लेकिन वो चाह कर भी कुछ कर नहीं सकते, क्योंकि नीरज के गांव के स्टेडियम (Neeraj chopra Village Stadium) की क्या हालत है, इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है.

नीरज चोपड़ा जिसकी वजह से 13 साल के बाद देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल (Neeraj Chopra Olympic Gold Medal) मिला. उसके गांव के बदहाल स्टेडियम में कोई भी सुविधा नहीं है. यहां स्टेडियम के नाम पर 5 एकड़ के जमीन पर जंगली घास उगी हुई है. कोई ट्रैक नहीं, कोई मैदान नहीं, चार दिवारी भी नहीं, बस झाड़-झाड़ियों से अटा पड़ा जमीन का टुकड़ा है. खंडरा गांव के युवाओं को प्रैक्टिस करने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम (Shiva ji Stadium, Panipat) जाना पड़ता है. ऐसे में ज्यादातर बच्चे स्टेडियम तक पहुंच ही नहीं पाते.

नीरज चोपड़ा के गांव में ओलंपियन बनना चाहता है युवा, नहीं है कोई स्टेडियम- देखिए वीडियो

ये पढ़ें- आलंपिक से वापस आने के बाद नीरज चोपड़ा का पहला बयान, ऐसे जाहिर की मेडल जीतने की खुशी
बता दें कि नीरज चोपड़ा ने इससे पहले भी कई बार अपने गांव का नाम रौशन किया है. नीरज एशियन और कॉमन वेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीत चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नीरज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था तो गांव को चार करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक नहीं मिला. वहीं इस बार ओलंपिक में नीरज की जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पंचकूला में एक और स्टेडियम बनाने की बात की है, लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि उनके गांव के स्टेडियम को बनाया जाए, जो कि सभी सुविधाओं से लैस हो.

ये भी पढ़ें: तस्वीरों में...टोक्यो से लौटे भारतीय एथलीटों का कुछ यूं हुआ स्वागत

नीरज चोपड़ा आज पूरे देश के स्टार बन चुके हैं, लेकिन उनके गांव के स्टेडियम के हालात देखकर एहसास होता है कि किन मुश्किलों से उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. सरकार आज नीरज चोपड़ा को तो सम्मानित कर रही है, लेकिन प्रशासन और सरकार की नजरअंदाजी ना जाने कितने भावी 'नीरज चोपड़ा' के सपनों को तोड़ देती है.

ये पढ़ें- ओलंपिक मेडल जीतने के बाद ईटीवी भारत पर बजरंग पूनिया EXCLUSIVE

पानीपत: आज पूरे देश की जुबां पर भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Javelin Throw Athlete Neeraj Chopra) का नाम है. पानीपत के नीरज चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आज हर माता-पिता यही सपना है कि उनके बच्चे भी नीरज जैसे ही बनें. आज युवा नीरज चोपड़ा को अपना रोल मॉडल मान बैठे हैं. नीरज चोपड़ा के खंड़रा गांव (Khandra Village, Panipat) के युवा तो उन्हें अपना हीरो मान बैठे हैं. 10-12 साल के बच्चों में कुछ कर गुजरने की चाह है, लेकिन वो चाह कर भी कुछ कर नहीं सकते, क्योंकि नीरज के गांव के स्टेडियम (Neeraj chopra Village Stadium) की क्या हालत है, इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है.

नीरज चोपड़ा जिसकी वजह से 13 साल के बाद देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल (Neeraj Chopra Olympic Gold Medal) मिला. उसके गांव के बदहाल स्टेडियम में कोई भी सुविधा नहीं है. यहां स्टेडियम के नाम पर 5 एकड़ के जमीन पर जंगली घास उगी हुई है. कोई ट्रैक नहीं, कोई मैदान नहीं, चार दिवारी भी नहीं, बस झाड़-झाड़ियों से अटा पड़ा जमीन का टुकड़ा है. खंडरा गांव के युवाओं को प्रैक्टिस करने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम (Shiva ji Stadium, Panipat) जाना पड़ता है. ऐसे में ज्यादातर बच्चे स्टेडियम तक पहुंच ही नहीं पाते.

नीरज चोपड़ा के गांव में ओलंपियन बनना चाहता है युवा, नहीं है कोई स्टेडियम- देखिए वीडियो

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बता दें कि नीरज चोपड़ा ने इससे पहले भी कई बार अपने गांव का नाम रौशन किया है. नीरज एशियन और कॉमन वेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीत चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नीरज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था तो गांव को चार करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक नहीं मिला. वहीं इस बार ओलंपिक में नीरज की जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पंचकूला में एक और स्टेडियम बनाने की बात की है, लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि उनके गांव के स्टेडियम को बनाया जाए, जो कि सभी सुविधाओं से लैस हो.

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नीरज चोपड़ा आज पूरे देश के स्टार बन चुके हैं, लेकिन उनके गांव के स्टेडियम के हालात देखकर एहसास होता है कि किन मुश्किलों से उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. सरकार आज नीरज चोपड़ा को तो सम्मानित कर रही है, लेकिन प्रशासन और सरकार की नजरअंदाजी ना जाने कितने भावी 'नीरज चोपड़ा' के सपनों को तोड़ देती है.

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Last Updated : Aug 10, 2021, 2:36 PM IST
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