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14 जनवरी को पानीपत के काला अम्ब युद्ध स्मारक पर मनाया जाएगा शौर्य दिवस, जानें इस ऐतिहासिक स्थल की कहानी - काला अम्ब युद्ध स्मारक

Bravery Day In Panipat: 14 जनवरी को पानीपत में शौर्य दिवस मनाया जाएगा. इस दौरान पानीपत के काला अम्ब युद्ध स्मारक पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. जिसमें महाराष्ट्र के लोग बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे. इस कार्यक्रम में सीएम मनोहर लाल भी मौजूद रहेंगे.

Bravery Day In Panipat
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 13, 2024, 10:30 AM IST

पानीपत: हरियाणा के पानीपत में 14 जनवरी को शौर्य दिवस मनाया जाएगा. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के लोग शामिल रहेंगे. इसके अवाला हरियाणा के सीएम में कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. बता दें कि 14 जनवरी को मराठी लोग पानीपत के काला अम्ब में शौर्य दिवस मानते हैं. बता दें कि इस कला अंब से मराठों की पुरानी कहानी जुड़ी है. दरअसल हरियाणा राज्य पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत गौरवमयी रहा है.

महाभारत की लड़ाई, गीता के उपदेश से लेकर पानीपत की तीन लड़ाई ऐसी ही ना जाने कितने किस्से कहानियां हैं. जिनके बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को पता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं पानीपत के काला अंब की. बताया जाता है कि इस पेड़ को काटने पर इसमें से खून निकलता है. इस काला अंब की कहानी पानीपत के तीन युद्धों से जुड़ी है. पानीपत से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर एक काला अम्ब युद्ध स्मारक बनाई गया है.

इस जगह का नाम काला अम्ब एक आम के पेड़ के कारण पड़ा. बताया जाता है कि 1761 में जब अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच तीसरा युद्ध लड़ा गया, तो वो इसी स्थान पर लड़ा गया था. उस वक्त यहां आम का विशालकाय पेड़ हुआ करता था. इतिहासकारों की मानें तो जब यहां अहमद शाह अब्दाली और मराठों का युद्ध हुआ, तो लगभग 30 हजार मराठा सैनिक इस युद्ध में मारे गए.

इस युद्ध में मारे गए सैनिकों का रक्त आम के पेड़ की जड़ों में इकट्ठा होता चला गया. इस पेड़ की जड़ों में जब इनका खून इकट्ठा हुआ, तो पेड़ पर लगने वाले फल भी काले पड़ गए. इसकी लकड़ियां तक काली हो गई थी. युद्ध के बाद पेड़ धीरे धीरे सूखता चला गया. माना जाता है कि पेड़ में धरती से खून को अवशोषित कर लिया. जिससे इसे काटने पर खून जैसा पदार्थ भी निकलने लगा था.

पेड़ सूख जाने के बाद साथ ही लगते गांव उग्राखेड़ी के कवि पंडित शगुन चंद ने इसे खरीद लिया. इसकी लकड़ियों से दो चौखट और दरवाजे बनवाए. उन्होंने एक दरवाजे को महारानी विक्टोरिया को उपहार में दिया जो आजकल पानीपत के म्यूजियम में रखा गया है और दूसरा दरवाजा करनाल लघु सचिवालय के म्यूजियम में रखा है. इस युद्ध में जितने सैनिक मारे गए. उनकी याद में यहां शौर्य दिवस मनाया जाता है. इस 14 जनवरी को मनाए जाने वाले शौर्य दिवस पर यहां महाराष्ट्र के महामहिम और प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहुंचेंगे.

ये भी पढ़ें- करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जनसंवाद कार्यक्रम, लोगों की समस्याओं का करेंगे समाधान

ये भी पढ़ें- सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं तिल और गुड, खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं

पानीपत: हरियाणा के पानीपत में 14 जनवरी को शौर्य दिवस मनाया जाएगा. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के लोग शामिल रहेंगे. इसके अवाला हरियाणा के सीएम में कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. बता दें कि 14 जनवरी को मराठी लोग पानीपत के काला अम्ब में शौर्य दिवस मानते हैं. बता दें कि इस कला अंब से मराठों की पुरानी कहानी जुड़ी है. दरअसल हरियाणा राज्य पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत गौरवमयी रहा है.

महाभारत की लड़ाई, गीता के उपदेश से लेकर पानीपत की तीन लड़ाई ऐसी ही ना जाने कितने किस्से कहानियां हैं. जिनके बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को पता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं पानीपत के काला अंब की. बताया जाता है कि इस पेड़ को काटने पर इसमें से खून निकलता है. इस काला अंब की कहानी पानीपत के तीन युद्धों से जुड़ी है. पानीपत से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर एक काला अम्ब युद्ध स्मारक बनाई गया है.

इस जगह का नाम काला अम्ब एक आम के पेड़ के कारण पड़ा. बताया जाता है कि 1761 में जब अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच तीसरा युद्ध लड़ा गया, तो वो इसी स्थान पर लड़ा गया था. उस वक्त यहां आम का विशालकाय पेड़ हुआ करता था. इतिहासकारों की मानें तो जब यहां अहमद शाह अब्दाली और मराठों का युद्ध हुआ, तो लगभग 30 हजार मराठा सैनिक इस युद्ध में मारे गए.

इस युद्ध में मारे गए सैनिकों का रक्त आम के पेड़ की जड़ों में इकट्ठा होता चला गया. इस पेड़ की जड़ों में जब इनका खून इकट्ठा हुआ, तो पेड़ पर लगने वाले फल भी काले पड़ गए. इसकी लकड़ियां तक काली हो गई थी. युद्ध के बाद पेड़ धीरे धीरे सूखता चला गया. माना जाता है कि पेड़ में धरती से खून को अवशोषित कर लिया. जिससे इसे काटने पर खून जैसा पदार्थ भी निकलने लगा था.

पेड़ सूख जाने के बाद साथ ही लगते गांव उग्राखेड़ी के कवि पंडित शगुन चंद ने इसे खरीद लिया. इसकी लकड़ियों से दो चौखट और दरवाजे बनवाए. उन्होंने एक दरवाजे को महारानी विक्टोरिया को उपहार में दिया जो आजकल पानीपत के म्यूजियम में रखा गया है और दूसरा दरवाजा करनाल लघु सचिवालय के म्यूजियम में रखा है. इस युद्ध में जितने सैनिक मारे गए. उनकी याद में यहां शौर्य दिवस मनाया जाता है. इस 14 जनवरी को मनाए जाने वाले शौर्य दिवस पर यहां महाराष्ट्र के महामहिम और प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहुंचेंगे.

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