पानीपत: नगर निगम में करोड़ों रुपये के कूड़ा घोटाले की एडीसी द्वारा की जा रही जांच में नगर निगम अधिकारी आरोपों का ठोस जवाब नहीं दे पाए. जांच अधिकारी एडीसी ने नगर निगम को सबूत पेश करने का एक मौका और दिया है.
बता दें कि नगर निगम में करोड़ों रुपये के कूड़ा घोटाले की एडीसी मनोज कुमार ने लघु सचिवालय में जांच की. जांच के दौरान नगर निगम अधिकारी आरोपों बारे ठोस जवाब नहीं दे पाए, जबकि शिकायतकर्ता ने घोटाले के दस्तावेजी सबूत दिए. सुनवाई के दौरान एडीसी ने निगम अधिकारियों को अगली डेट पर तमाम रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दिए हैं.
एडीसी मनोज कुमार ने नगर निगम अधिकारियों से 4जुलाई 2019 की सदन की बैठक में जेबीएम कंपनी का ठेका रद्द करने के पारित प्रस्ताव को सरकार को भेजने का सबूत मांगा. इस पर निगम अधिकारियों ने बताया कि ठेका रद्द करने का प्रस्ताव रजिस्टर्ड डाक से सरकार को भेजा था, वो सरकार को मिला या नहीं इसकी सूचना उनके पास नहीं है.
इसी तरह ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग और बिलों की अप्रूवल करने वाली प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट(पीएमयू)की बैठकों की कॉपी मांगी तो नगर निगम अधिकारी कोई सबूत नहीं दे पाए. दूसरी ओर शिकायतकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने अपने आरोपों के समर्थन में एडीसी मनोज कुमार को आरटीआई में एकत्रित सबूत दिए.
ये भी पढ़िए: पानीपत: कूड़ा घोटाला मामले में पीपी कपूर ने लघु सचिवालय में किया प्रदर्शन
कपूर ने जेबीएम कंपनी द्वारा हर महीने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के बदले लोगों से वसूले जा रहे शुल्क की पर्चियां सबूत के रूप में दी. इन पर्चियों पर जेबीएम कंपनी और पूजा कॉन्सुलेशन कंपनी का नाम लिखे होने से साबित होता है कि जेबीएम ने आगे ये ठेका पूजा कॉन्सुलेशन कंपनी को दिया है.
पीपी कपूर ने किया था घोटाले का खुलासा
पीपी कपूर का दावा है कि फरवरी 2018 से जुलाई 2020 तक पानीपत शहर में 3 लाख 64 हजार 673 टन कूड़ा उठाने के एवज में 36 करोड़ 46 लाख 72 हजार 864 रुपये का भुगतान किया गया. नगरपालिका समालखा ने एक मार्च 2018 से 30 जून 2020 तक 2 लाख 06 हजार 90 टन कूड़ा उठाने के बदले 2 करोड़ 11 लाख 26 हजार 141 रुपये पेमेंट की. सबसे गंभीर बात ये है कि सफाई कार्य का निरीक्षण और बिलों का वैरीफिकेशन किए बिना कंपनी को भुगतान कर दिया गया. कंपनी को ठेका 22 वर्षों के लिए दिया गया है.