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पानीपत में 9 महीने के बच्चे की मौत, बेटे की सलामती के लिए मां ने रखा था अहोई अष्टमी का व्रत

देसराज कॉलोनी पानीपत में 9 महीने का बच्चा बेड से मुंह के बल जमीन पर गिर गया. जिससे की बच्चे की मौत (9 month child death in panipat) हो गई.

9 month child death in panipat
9 month child death in panipat
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Published : Oct 17, 2022, 8:22 PM IST

पानीपत: देशभर में आज अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया गया. इस दिन मां अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत (ahoi ashtami fast) रखकर अहोई माता की पूजा करती हैं, लेकिन पानीपत की देसराज कॉलोनी में एक मां का ये व्रत काम नहीं आया. दरअसल देसराज कॉलोनी पानीपत में 9 महीने का बच्चा बेड से मुंह के बल जमीन पर गिर गया. जिससे की बच्चे की मौत (9 month child death in panipat) हो गई.

बच्चे के गिरने की आवाज सुनकर रसोई में काम कर रही मां कमरे में दौड़ी चली आई. यहां उसने देखा कि जमीन पर उसका जिगर का टुकड़ा गिरा हुआ है. जो कोई हरकत नहीं कर रहा. आनन-फानन में परिजन बच्चे को सिविल अस्पताल पानीपत (panipat civil hospital) लेकर गए. जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. रोती-बिलखती मां छाया ने बताया कि वो देसराज कॉलोनी की रहने वाली है. उसकी शादी को करीब 3 साल हो चुके हैं.

काफी मन्नतों के बाद उसे पहली संतान बेटे के रूप में हुई. जिसका नाम निशांत था. बेटे की उम्र 9 माह थी. अहोई अष्टमी के दिन छाया ने अपने बच्चे की लंबी उम्र और उसकी सलामती के लिए व्रत रखा था. शाम करीब 4 बजे उसका बेटा सो गया. जिसे छाया बेड पर लिटाकर अहोई माता की पूजा की तैयारी करने लगी. जब छाया रसोई में प्रसाद बना रही थी तो उसे कुछ गिरने की आवाज आई. आवाज सुनते ही छाया बेडरूम की तरफ भागी.

छाया ने बताया कि नीचे गिरने के बाद ना तो उसके बेटे की आवाज निकली और ना ही वो होश में आया. हादसे के बाद अपने जिगर के टुकड़े को लेकर छाया अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी. सबसे पहले वो देवी मूर्ति कॉलोनी स्थित बच्चों के एक निजी अस्पताल ले गई. जहां डॉक्टरों को बच्चे में किसी तरह की गुंजाइश (child death in panipat) नजर नहीं आई, तो उन्होंने सिविल अस्पताल ले जाने के बारे में कहा. मां दौड़ती हुई बच्चे को सिविल अस्पताल ले गई.

जहां डॉक्टरों ने करीब आधा घंटे तक बच्चे को CPR दिया. मगर, बच्चे के सांस लौट कर नहीं आए. जब यहां के डॉक्टरों ने भी परिजनों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो मां अपने बच्चे को गोद में उठाकर फिर से वहां से तीसरे अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी. वहां से चौथे अस्पताल ले गई. मगर, हर जगह छाया को निराशा ही हाथ लगी. सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में बच्चे का इलाज माइनर OT में चला. जहां मां बार-बार OT के अंदर जा रही थी.

ये भी पढ़ें- यमुनानगर में कार ने एक्टिवा में मारी टक्कर, कई फीट ऊपर उड़े स्कूटी सवार, देखें वीडियो

डॉक्टर बार-बार उसे बाहर भेज रहे थे. जब आधे घंटे बाद इलाज कर रही महिला डॉक्टर बाहर आई, तो छाया डॉक्टर से बच्चे का हाल पूछने लगी. डॉक्टर की चुप्पी देखकर मां अपना आपा खो बैठी. छाया महिला डॉक्टर के गले लग कर खूब रोई. डॉक्टरों ने भी उसे लगे से लगाए रखा. रोती-बिलखती मां सिर्फ एक बात कहती रही कि एक बार मेरे बच्चे के सांस वापस ला दो.

पानीपत: देशभर में आज अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया गया. इस दिन मां अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत (ahoi ashtami fast) रखकर अहोई माता की पूजा करती हैं, लेकिन पानीपत की देसराज कॉलोनी में एक मां का ये व्रत काम नहीं आया. दरअसल देसराज कॉलोनी पानीपत में 9 महीने का बच्चा बेड से मुंह के बल जमीन पर गिर गया. जिससे की बच्चे की मौत (9 month child death in panipat) हो गई.

बच्चे के गिरने की आवाज सुनकर रसोई में काम कर रही मां कमरे में दौड़ी चली आई. यहां उसने देखा कि जमीन पर उसका जिगर का टुकड़ा गिरा हुआ है. जो कोई हरकत नहीं कर रहा. आनन-फानन में परिजन बच्चे को सिविल अस्पताल पानीपत (panipat civil hospital) लेकर गए. जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. रोती-बिलखती मां छाया ने बताया कि वो देसराज कॉलोनी की रहने वाली है. उसकी शादी को करीब 3 साल हो चुके हैं.

काफी मन्नतों के बाद उसे पहली संतान बेटे के रूप में हुई. जिसका नाम निशांत था. बेटे की उम्र 9 माह थी. अहोई अष्टमी के दिन छाया ने अपने बच्चे की लंबी उम्र और उसकी सलामती के लिए व्रत रखा था. शाम करीब 4 बजे उसका बेटा सो गया. जिसे छाया बेड पर लिटाकर अहोई माता की पूजा की तैयारी करने लगी. जब छाया रसोई में प्रसाद बना रही थी तो उसे कुछ गिरने की आवाज आई. आवाज सुनते ही छाया बेडरूम की तरफ भागी.

छाया ने बताया कि नीचे गिरने के बाद ना तो उसके बेटे की आवाज निकली और ना ही वो होश में आया. हादसे के बाद अपने जिगर के टुकड़े को लेकर छाया अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी. सबसे पहले वो देवी मूर्ति कॉलोनी स्थित बच्चों के एक निजी अस्पताल ले गई. जहां डॉक्टरों को बच्चे में किसी तरह की गुंजाइश (child death in panipat) नजर नहीं आई, तो उन्होंने सिविल अस्पताल ले जाने के बारे में कहा. मां दौड़ती हुई बच्चे को सिविल अस्पताल ले गई.

जहां डॉक्टरों ने करीब आधा घंटे तक बच्चे को CPR दिया. मगर, बच्चे के सांस लौट कर नहीं आए. जब यहां के डॉक्टरों ने भी परिजनों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो मां अपने बच्चे को गोद में उठाकर फिर से वहां से तीसरे अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी. वहां से चौथे अस्पताल ले गई. मगर, हर जगह छाया को निराशा ही हाथ लगी. सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में बच्चे का इलाज माइनर OT में चला. जहां मां बार-बार OT के अंदर जा रही थी.

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डॉक्टर बार-बार उसे बाहर भेज रहे थे. जब आधे घंटे बाद इलाज कर रही महिला डॉक्टर बाहर आई, तो छाया डॉक्टर से बच्चे का हाल पूछने लगी. डॉक्टर की चुप्पी देखकर मां अपना आपा खो बैठी. छाया महिला डॉक्टर के गले लग कर खूब रोई. डॉक्टरों ने भी उसे लगे से लगाए रखा. रोती-बिलखती मां सिर्फ एक बात कहती रही कि एक बार मेरे बच्चे के सांस वापस ला दो.

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