पंचकूला: जिला पंचकूला में अवैध रूप से चल रहे हुक्का बारों की जानकारी नहीं देने के आरोप में राज्य जन सूचना आयोग ने सहायक स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर और ड्रग्स कंट्रोल विभाग को चेतावनी देते हुए लताड़ लगाई है. बता दें कि एनएसयूआई आरटीआई सेल के राष्ट्रीय कन्वीनर दीपांशु बंसल ने डेढ़ साल पहले आरटीआई लगा कर ये जानकारी मांगी थी, जिन्हें आज तक स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर और ड्रग्स कंट्रोल विभाग की तरफ से नहीं दी गई थी.
दरअसल सहायक ड्रग्स कंट्रोलर ने 2 महीने के बाद सूचना को आगे भेजा था, जबकि नियमानुसार 7 दिनों में करना होता है. आयोग ने ड्रग्स विभाग को एक महीने के अंदर बिना किसी विलम्ब के सही और पूरी सूचना के आदेश दिए हैं. वहीं राज्य सूचना आयोग ने दीपांशु बंसल को कहा है कि यदि उन्हें लगता है की विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली सूचना में कोई त्रुटि, कमी और गलती है, तो उसे बिंदुनुसार अंकित कर विभाग को सूचना देने के लिए रिप्लाई करें, उसके बाद आयोग को 2 हफ्तों में सूचना उपलब्ध करवानी होगी.
दीपांशु बंसल ने क्या जानकारी मांगी थी?
आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि यदि विभाग आयोग के आदेशों की पालना नहीं करता है. तो दोषियों के विरुद्ध दण्डनात्मक कार्रवाई करते हुए आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत कार्रवाई की जाएगी. जिसमें 25 हजार तक का जुर्माना और सम्बंधित अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का प्रावधान है. दीपांशु बंसल ने 24 अप्रैल 2019 को ड्रग्स विभाग से जिला पंचकूला में चल रहे हुक्का बार को विभाग की तरफ से दिए गए अनापत्ति पत्रों, परमिशन, परमिट और नॉन परमिटिड फ्लेवर्ज समेत दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है जैसे अनेकों बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी.
सीएम से लेकर हाई कोर्ट तक उठा चुके है आवाज
दीपांशु ने कहा कि जहां राज्य सरकार ने पूर्ण रूप से विभिन्न कानूनों के अंतर्गत बैन होने का दावा किया है. जिसको लेकर कोर्ट ने बैन रहने के आदेश दिए हुए हैं. इसके साथ ही जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, डीजीपी, ड्रग्स कंट्रोल विभाग समेत सूबे के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को भी अवगत करवा चुके हैं. वही हाईकोर्ट के आदेशों के बाद स्थानीय प्रशासन में डीसीपी, ड्रग्स विभाग, डीसी आदि को अवैध रूप से चल रहे हुक्का बारों की लिस्ट, फोटो समेत अवगत करवा चुके हैं.
'स्थानीय प्रशासन के समर्थन से चलते हैं अवैध बार'
हालांकि दीपांशु बंसल का कहना है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन, ड्रग्स विभाग और प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से नशा कारोबारियों को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. इस मामले को लेकर राज्य सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. जिसकी वजह से युवाओं को माननीय हाईकोर्ट और सरकार के आदेशों के बावजूद बेधड़क चलाया जा रहा है.
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