पंचकूला: देश में भले ही अनलॉक का चौथा चरण लागू हो गया हो, लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन की मार से अभी तक ज्यादातर इंडस्ट्रियां उबर नहीं पाई हैं. हर इंडस्ट्री की तरह पब्लिकेशन इंडस्ट्री पर भी कोविड-19 का खासा असर देखने को मिला है. इसकी सबसे बड़ी वजह है लोगों में कोरोना को लेकर डर.
दरअसल पहले लोग बुक स्टोरी पर जाकर मनपसंद किताबें खरीदते थे. लेकिन अब कोरोना महामारी के डर से अब लोग सीधा बुक स्टोर पर जाकर किताबें खरीदने से परहेज कर रहे हैं. जिसकी वजह से बुक स्टोर पर किताबों की बिक्री में कमी आई है.
50 से 60 प्रतिशत तक रह गई किताबों की सेल
पहले के मुकाबले बुक स्टोर पर किताबों की सेल अब 50 से 60 प्रतिशत तक रह गई है. इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि अब बच्चे ऑनलाइन क्लासें ले रहे हैं. ज्यादार जानकारी अब उन्हें घर बैठे ही इंटरनेट पर मिल जाती है. जिसकी वजह से भी किताबों की ऑफलाइन सेल पर असर पड़ा है. बुक स्टोर संचालकों के लिए राहत की बात ये है कि अब उन्होंने किताबों की होम डिलीवरी करनी शुरू कर दी है. मतलब ये कि अब ऑफलाइन की जगह ऑनलाइन तरीके से किताबों की बिक्री बढ़ी है.
आर्थिक मंदी से जूझ रहे बुक सेलर्स
पहले बुक सेलर महीने में 5 से 10 हजार रुपये कमा लेते थे. लेकिन अब किताबों की बिक्री नहीं होने की वजह से वो आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. बुक सेलर का कहना है कि जबतक शिक्षण संस्थान नहीं खुलते. तबतक उन्हें शायद ही कोई राहत मिले. एक तो कोरोना संक्रमण का डर दूसरा शिक्षण संस्थान का ना खुलना और तीसरा ऑनलाइन क्लास. इन तीनों की वजह से किताबों की बिक्री में कमी आई है. अब लोग बुक स्टोर पर जाकर किताब खरीदने की जगह घर पर बैठकर ऑनलान पढ़ना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
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छात्रों से ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जब से ऑनलाइन क्लास शुरू हुई है तब से किताबों की तरफ रुझान कम हुआ है. मतलब ये कि पब्लिशिंग इंडस्ट्री पर भी कोरोना वायरस की वजह से बुरा प्रभाव पड़ा है. एक दिन में जहां बुक सेलर्स को 5 से 10 हजार रुपये तक की कमाई होती थी वो अब 2 से ढाई हजार रुपये तक सिमट गई है. इसकी एक बड़ी वजह है लोगों का ऑनलाइन की तरफ रुझान होना. लॉकडाउन के बाद से ज्यादातर लोग ऑनलाइन आर्टिकल या बुक पढ़ना पसंद कर रहे है. जिसकी वजह से बुक स्टोर और पब्लिशिंग इंडस्ट्री को काफी नुकसान हो रहा है.