पंचकूला: कोरोना महामारी के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए. हालत ये है कि आज हर वर्ग मंदी की मार से जूझ रहा है. जिसका असर अनाथालयों पर दिखाई दे रहा है. कोरोना महामारी से पहले लोग दिल खोलकर अनाथालयों में दान करते थे, अब लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोगों की नौकरियां चली गई. हालात ये कि दान देने की स्थिति तो दूर की बात लोगों को घर का खर्च चलाने के भी पैसे नहीं बचे हैं.
बाल अनाथालयों पर आर्थिक संकट
जिसकी वजह से अनाथालयों में दान देने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई है. हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मानद महा सचिव कृष्ण ढुल ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि कोरोना की वजह से सरकार ने भी अनाथालयों को मिलने वाले बजट में कटौती कर दी है.
हरियाणा में पंचकूला, रेवाड़ी, यमुनानगर, झज्जर, कैथल, फरीदाबाद और करनाल में कुल मिलाकर 7 अनाथालय हैं. जिनके लिए हरियाणा सरकार ने 15 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया है.
- साल 2018-19 में सरकार ने करीब 12 करोड़ की ग्रांट दी.
- जबकि डोनेशन में 50 लाख 78 हजार 796 रुपये मिले.
- साल 2020-21 की तो सरकार की तरफ से अभी तक 5 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली है.
- जबकि डोनेशन के तौर पर अभी तक 39 लाख 18 हजार 700 की राशि मिली है.
जो पहले के मुकाबले काफी कम है. यमुनानगर चाइल वेलफेयर ऑफिसर सुखमिंदर सिंह ने कहा कि सहायता राशि नहीं मिलने से इस वक्त उन्हें काफी परेशानी हो रही है.
हरियाणा में 7 अनाथालय हैं, जिनमें करीब 400 बच्चे रह रहे हैं. इन सभी बच्चों के लिए दूध, कॉपी-किताबें, कपड़े, राशन, फूड सप्लीमेंट, दवाईयों की जरूरत होती है. सहायता राशि नहीं मिलने की वजह से इन बच्चों को काफी परेशानी हो रही है.
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फिलहाल देश में अनलॉक का चौथा चरण जारी है. उद्योग धंधे और व्यापार पटरी पर लौट रहे हैं. लोग भी वापस रोजगार पर लौटने लगे हैं. ऐसे में उम्मीद है कि फिर से दान करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. सरकार को भी चाहिए कि वो अनाथालयों के बजट में कटौती ना करें. ताकि इन बच्चों के भविष्य पर को आंच ना आए.