पंचकुला: पंचकुला में परंपरागत खेती को छोड़ कर किसान आधुनिक खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है. सरकारी योजना का भी उन्हें लाभ मिल रहा है.
मशरूम की खेती से लाभ: पंचकुला के मोरनी क्षेत्र के किसान अब मशरूम की खेती पर जोर दे रहे हैं. पहले वे मक्का, गेहूं, सरसों, टमाटर जैसे फसलों की खेती करते थे. ज्यादातर जंगली जानवर इनकी फसलों को बर्बाद कर देते थे जिससे उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ता था. लेकिन मशरूम की खेती में जंगली जानवरों का डर नहीं रहता है जिससे फसल के उत्पादन पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है और उन्हें अच्छी आमदनी भी हो जाती है. मशरूम की खेती के लिए ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती है. किसान छोटे से कमरे में भी मशरूम की खेती कर लेते हैं.
मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त वातावरण: पंचकुला के मोरनी का वातावरण मशरूम की खेती के लिए अनुकूल है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इसका उत्पादन अधिक होता है. मशरूम की खेती दिसंबर के पहले हफ्ते से लेकर मार्च के अंत तक होती है. मोरनी के रहने वाले युद्ध सिंह परमार कौशिक नाम के कि सान का कहना है कि जब से उन्होंने मशरूम की खेती करना शुरू किया है तब से अच्छा मुनाफा हो जा रहा है.
सरकारी योजना से फायदा: मोरनी के पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हरियाणा सरकार की योजनाओं से वहां के किसानों को ज्यादा लाभ हो रहा है. सरकार उन्हें खेती करने के लिए अनुदान भी देती है. बेरोजगार युवा भी सरकारी अनुदान के जरिए मशरूम की खेती के प्रोत्साहित हो रहे हैं. सरकारी योजना के कारण जो युवा बेरोजगार थे उन्हें रोजगार का साधन मिल गया है.
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