पंचकूला: रंजीत सिंह हत्या मामले (Ranjit Singh murder case) में पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट (Special CBI Court Panchkula) ने राम रहीम को उम्रकैद की सजा (Life imprisonment to Ram Rahim) सुनाई है. इसके साथ की कोर्ट ने राम रहीम पर 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. 31 लाख रुपये में से आधी राशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी. राम रहीम के अलावा चार और दोषियों कृष्ण, सबदिल, जसवीर और अवतार को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
चारों दोषी 50-50 हजार रुपये कोर्ट में हर्जाने के तौर पर भरेंगे और 50-50 हजार रुपये चारों दोषियों को पीड़ित परिवार को देने होंगे. यानी चार दोषियों को 1-1 लाख रुपये देने होंगे. सीबीआई कोर्ट के जज सुशील गर्ग की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. पंचकूला सीबीआई कोर्ट (Special CBI Court Panchkula) के फैसले पर रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने संतोष जताया है. जगसीर सिंह ने कहा कि उन्होंने राम रहीम के लिए कोर्ट से सजा-ए-मौत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने जो भी फैसला दिया है. उससे वो और उनका परिवार संतुष्ट है.
इससे पहले पंचकूला सीबीआई कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद मामले में फैसला 26 अगस्त तक सुरक्षित रखा था. लेकिन इससे तीन दिन पहले रंजीत सिंह के बेटे ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के सुरक्षित रखे फैसले पर रोक लगा दी थी.
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हाई कोर्ट में दी याचिका में रंजीत के बेटे ने आरोप लगाया कि मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई कोर्ट के जज सुशील गर्ग पर पहले भी किसी दूसरे मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. दूसरा ये कि सुनवाई के दौरान पंचकूला सीबीआई कोर्ट में कुछ वकील ऐसे आते थे, जिनके राम रहीम से अच्छे संबंध हैं. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए रंजीत के बेटे जगसीर ने आशंका जताई थी कि पंचकूला सीबीआई कोर्ट में मामले की सुनवाई प्रभावित हो सकती है.
लिहाजा रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर पंचकूला सीबीआई कोर्ट के जज से मामला ट्रांसफर करने की मांग की थी. उन्होंने अपनी मांग में लिखा था कि इस मामले को किसी दूसरे जज के पास भेजा जाए, ताकि हमें इंसाफ मिल सके. इस मामले में नया मोड़ तब आया जब पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में जस्टिस अरविंद सांगवान ने इस केस से खुद को अलग कर लिया, ये वही जज थे जिन्होंने रंजीत मर्डर केस में पंचकूला सीबीआई की विशेष अदालत (Panchkula CBI Court) के फैसला देने पर रोक लगाई थी.
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दरअसल रंजीत के पिता ने अरविंद सांगवान को उनकी हत्या का केस सौंपा था. उस वक्त अरविंद सांगवान वकील हुआ करते थे. नियम के मुताबिक वकील रहते हुए जो केस उनके पास आता है. जज रहते हुए उन्हें वो केस छोड़ना पड़ता है. इसलिए अरविंद सांगवान इस केस से अलग हो गए थे. इसके बाद मामला सीधे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास गया, हाई कोर्ट की में सुनवाई के बाद ये तय हुआ कि ये केस सीबीआई कोर्ट के जज सुशील गर्ग के ही पास रहेगा, क्योंकि आरोपों में ये बात कहीं भी साबित नहीं हुई कि उनकी वजह से मामले में सुनवाई प्रभावित हो सकती है.
दरअसल 10 जुलाई, 2002 को डेरे की प्रबंध समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र निवासी रंजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी. डेरा प्रमुख राम रहीम को शक था कि रंजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी. इसी शक के आधार पर राम रहीम ने रंजीत की हत्या करवाई. पुलिस जांच से असंतुष्ट रंजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी. 2007 में कोर्ट ने राम रहीम पर आरोप तय किए थे.
रंजीत हत्या मामले में गुरमीत राम रहीम के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह ने राम रहीम पर हत्या के आरोप लगाए थे. खट्टा सिंह ने कोर्ट में बयान दिया था कि डेरा प्रमुख को लगता था कि साध्वियों के यौन शोषण के पत्र जगह-जगह भेजने के पीछे डेरा मैनेजर रंजीत सिंह का ही हाथ था. खट्टा सिंह ने कहा था, 'रंजीत ने साध्वियों की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी, इसलिए गुरमीत राम रहीम ने मेरे सामने 16 जून 2002 को सिरसा डेरे में उसको मारने के आदेश दिए थे, जिसके बाद रंजीत सिंह की 10 जुलाई 2003 को हत्या की गई थी.' फिलहाल गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में 2 साध्वियों के यौन शोषण के मामले में 20 साल की सजा और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहा है.