पंचकूला: हरियाणा शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी भाषा सिखाने पर जोर देने के लिए 'आई एम नॉट अफ्रेड ऑफ इंग्लिश' यानी 'मैं अंग्रेजी से नहीं डरता हूं' नाम के एक विशेष अभियान की शुरूआत 2018 में की थी. इस अभियान के तहत राज्य के प्राइमरी स्कूलों में पहली कक्षा से ही छात्रों को अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित करना है. जब ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड स्तर पर जाकर देखा तो इस योजना के कुछ अच्छे परिणाम नजर आए. कुछ प्राइमरी स्कूल के छात्रों से बात की तो छात्र फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हुए नजर आए.
ऐसे दी जाती है बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा
इस पहल का मकसद बच्चों को अंग्रेजी लिखना, बोलना और पढ़ना सिखाना है. इस अभियान की शुरुआत करने के लिए 1,000 वाक्यों और मुहावरों की एक पुस्तिका तैयार की गई. इसमें प्राथमिक स्तर की पढ़ाई के लिए सभी पांच श्रेणियां बनाई गईं. हर श्रेणी में 200 वाक्य रखे गए और हर बच्चे को रोजाना एक वाक्य सिखाने का लक्ष्य रखा गया. बच्चों को ये वाक्य सिखाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में एक जेबीटी टीचर और एक ब्लॉक रिसोर्स पर्सन को प्रशिक्षित किया गया.
छात्रों में अंग्रेजी का डर भगाने की योजना
इस बारे में जानकारी देते हुए हरियाणा एलीमेंट्री विभाग के डायरेक्टर प्रदीप कुमार ने बताया कि प्राइमरी स्तर से ही बच्चों के अंदर से अंग्रेजी का भय खत्म करने लिए हरियाणा सरकार ने इस योजना की शुरूआत की थी. इस योजना के तहत प्राइमरी स्तर से ही बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई कराई जा रही है. जिससे की उनके अंदर से बचपन से ही अंग्रेजी का भय खत्म हो जाए. उन्होंने बताया कि डिजिटल शिक्षा, छात्रों के बोलने और सुनने के कौशल को सुधारने के लिए राज्य में चयनित मॉडल संस्कृति स्कूलों में भाषा प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं. साथ ही उनका विस्तार किया जा रहा है. शिक्षा विभाग की ओर से इस अभियान की शुरुआत 418 स्कूलों में की गई थी. जिनको और आगे बढ़ाया जा रहा है.
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जब इस बारे में छात्रों को पढ़ा रही जेबीटी टीचर सुधेश बेरवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की ये पहल काफी सरात्मक है. हमारे छात्र जब किसी प्रतियोगिता में जाते थे तो डरते थे, लेकिन अब उनके अंदर ये डर खत्म होता जा रहा है. जब बच्चे 1 क्लास से ही अंग्रेजी पढ़ रहे हैं तो उनके अंदर प्राकृतिक तौर पर ही आत्म विश्वास बढ़ रहा है. अब ये बच्चे किसी के आगे डरते नहीं हैं.