पंचकूला: लॉकडाउन के दौरान देशभर के मंदिर बंद रहे. अनलॉक-वन में जब इन्हें खोला गया तो बहुत कुछ बदल सा गया. सोशल डिस्टेंसिंग, थर्मल स्क्रिनिंग और सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूरी हो गया. इस सभी सुरक्षा मानकों के बावजूद लोग मंदिरों में ना के बराबर आ रहे हैं. जिसका असर मंदिरों में आने वाले दान पर भी पड़ा है. बात करें पंचकूला की तो जिले का माता मनसा देवी मंदिर हो या फिर सेक्टर-11 का प्रसिद्ध गीता मंदिर हर किसी मंदिर में दान ना के बराबर हो रहा है.
मंदिरों के दान में आई गिरावट
इसकी सबसे बड़ी वजह है आर्थिक संकट, लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों का रोजगार चला गया. मंदिर में दान तो दूर की बात उनके पास घर का खर्च चलाने के लिए रुपये नहीं बचे.
पंचकूला सेक्टर-11 के प्रसिद्ध गीता मंदिर में लॉकडाउन से पहले एक महीने में डेढ़ से 2 लाख रुपये तक का दान आता था. अब ये महज 4 से पांच हजार रुपये ही रह गया है. दान राशि में आई गिरावट का असर मंदिर के कामकाज पर भी पड़ा है. क्योंकि बिजली का बिल हो या फिर सफाई कर्मचारियों की सैलरी वो सब रुटीन की तरह है. अब सैनिटाइजर और मास्क की वजह से मंदिर का खर्च और ज्यादा बढ़ गया है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंदिर के प्रधान ने बताया कि जो उनकी जमा पूंजी थी. उन्हीं के सहारे वो काम चला रहे हैं.
कोरोना के डर से नहीं आ रहे लोग
अक्टूबर 2019 में गीता मंदिर में मरम्मत का काम शुरू हुआ, लेकिन लॉकडाउन की वजह से अभी तक ये काम पूरा नहीं हो पाया है. क्योंकि मंदिर में दान अब ना के बराबर हो रहा है. इस मंदिर में हर मंगलवार करीब ढाई हजार लोग भगवान के दर्शन के लिए आते थे. अब केवल 10 से 15 लोग ही मंदिर आ रहे हैं. वहीं दान की गिरावट पर गीता मंदिर के पुजारी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वो चंदा मांगने लोगों के बीच जाएंगे.
पंचकूला का माना मनसा देवी मंदिर हो, गीता मंदिर हो या फिर श्री राम मंदिर, हर मंदिर का यही हाल है. दान की कमी का असर मंदिर के कामकाज पर पड़ रहा है. अभी तक तो जिले के मंदिरों में धन जुटाने के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गई है. मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि जल्द ही लोगों को कोरोना से छुटकारा मिलेगा और सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा.