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पलवल: श्यामनगर में समाजसेवी करा रहे रोजाना 600 प्रवासी मजदूरों को भोजन

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Published : May 24, 2020, 11:21 PM IST

लॉकडाउन के चलते पैदल ही अपने घर को निकले प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाने के लिए जिले की कुछ महिलाएं रसोई चला रही हैं. ये महिलाएं प्रतिदिन प्रवासी मजदूरों के लिए खाना बनाती हैं और पैकिंग कर मजदूरों को बांट देती हैं.

shyam nagar women are feeding 600 migrant laborers daily in palwal
रोजाना 600 प्रवासी मजदूरों को खाना खिला रही हैं पलवल की ये घरेलू महिलाएं

पलवल: श्यामनगर कॉलोनी में कुछ महिलाएं भूख से बेहाल प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाने के लिए रसोई चला रही हैं. ये महिलाएं प्रतिदिन करीब चार से पांच घंटे मेहनत करके प्रवासी मजदूरों के लिए खाना बनाती हैं और खाने की पैकिंग करती हैं. उसके बाद खाने को प्रवासी मजदूरों को बांटने के लिए समाजसेवियों को दे देती हैं. महिलाओं ने बताया कि वो प्रतिदिन 600 पैकेट भोजन बनाती हैं.

इस संबंध में घरेलू महिला प्रियंका ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन बनाना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने कहा कि हमारे छोटे से प्रयास से गरीबों तक रोटी का निवाला पहुंचता है. ये देखकर हमें बहुत खुशी होती है.

रोजाना 600 प्रवासी मजदूरों को खाना खिला रही हैं पलवल की ये घरेलू महिलाएं

वहीं घरेलू महिला प्रीती ने बताया कि हमलोग चार से पांच घंटे काम करके प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन बनाते हैं. उन्होंने कहा कि पहले हमलोग मजदूरों को सूखा राशन देते थे. लेकिन हमने देखा कि लोग पैदल ही पलायन कर रहे हैं. इसके बाद सभी लोगों ने मिलकर प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन बनाना शुरू कर दिया.

वहीं समाजसेवी दिनेश ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, वो लोग गरीबों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से गरीब और मजदूर लोगों को खाना नहीं मिल रहा है. जिसके चलते वो भूखों पलायन कर रहे हैं. समाजसेवी दिनेश ने कहा कि उनका प्रयास है कि कोई भी भूखा ना सोए. इसलिए वो रसोई में खाना तैयार कर लोगों की मदद कर रहे हैं.

बता दें कि लॉकडाउन के बाद से दिल्ली और हरियाणा के झुग्गीयों में रहकर काम करने वाले मजदूर काम नहीं मिलने के चलते पलायन कर रहा है. कारखानों के बंद होने से कंपनी में मजदूरी करने वाले लोग बेरोजगार हो गए हैं. जिसकी वजह से वो पलायन करने को मजबूर हैं. .

इसे भी पढ़ें: रोहतक के सांपला गांव में फायर फाइटर मिला कोरोना पॉजिटिव, दिल्ली में करता था काम

पलवल: श्यामनगर कॉलोनी में कुछ महिलाएं भूख से बेहाल प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाने के लिए रसोई चला रही हैं. ये महिलाएं प्रतिदिन करीब चार से पांच घंटे मेहनत करके प्रवासी मजदूरों के लिए खाना बनाती हैं और खाने की पैकिंग करती हैं. उसके बाद खाने को प्रवासी मजदूरों को बांटने के लिए समाजसेवियों को दे देती हैं. महिलाओं ने बताया कि वो प्रतिदिन 600 पैकेट भोजन बनाती हैं.

इस संबंध में घरेलू महिला प्रियंका ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन बनाना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने कहा कि हमारे छोटे से प्रयास से गरीबों तक रोटी का निवाला पहुंचता है. ये देखकर हमें बहुत खुशी होती है.

रोजाना 600 प्रवासी मजदूरों को खाना खिला रही हैं पलवल की ये घरेलू महिलाएं

वहीं घरेलू महिला प्रीती ने बताया कि हमलोग चार से पांच घंटे काम करके प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन बनाते हैं. उन्होंने कहा कि पहले हमलोग मजदूरों को सूखा राशन देते थे. लेकिन हमने देखा कि लोग पैदल ही पलायन कर रहे हैं. इसके बाद सभी लोगों ने मिलकर प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन बनाना शुरू कर दिया.

वहीं समाजसेवी दिनेश ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, वो लोग गरीबों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से गरीब और मजदूर लोगों को खाना नहीं मिल रहा है. जिसके चलते वो भूखों पलायन कर रहे हैं. समाजसेवी दिनेश ने कहा कि उनका प्रयास है कि कोई भी भूखा ना सोए. इसलिए वो रसोई में खाना तैयार कर लोगों की मदद कर रहे हैं.

बता दें कि लॉकडाउन के बाद से दिल्ली और हरियाणा के झुग्गीयों में रहकर काम करने वाले मजदूर काम नहीं मिलने के चलते पलायन कर रहा है. कारखानों के बंद होने से कंपनी में मजदूरी करने वाले लोग बेरोजगार हो गए हैं. जिसकी वजह से वो पलायन करने को मजबूर हैं. .

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