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दिवाली से पहले कुम्हार परेशान, मिट्टी की कीमतों में बढ़ोतरी से बढ़े करवे और दीए के दाम

दीपावली पर दीए बनाकर शहर को रौशन करने वाले कारीगरों की आर्थिक स्थिति पहले ही तंगहाल है. वहीं, मिट्टी की कीमत बढ़ने से दीए की लागत बढ़ गई है. जिसने मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों की चिंता बढ़ा दी है. 2 साल पहले 1500 से 2000 रुपए तक मिलने वाली मिट्टी की ट्रॉली अब 5 हजार रुपए मिल रही (Potters facing Problem in Palwal) है.

Potters facing financial problems in Palwal.
मिट्टी के दीए और करवे हुए महंगे.
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Published : Oct 12, 2022, 11:00 AM IST

Updated : Oct 12, 2022, 12:40 PM IST

पलवल: देश और प्रदेश में लोग महंगाई से त्रस्त है. इस साल महंगाई के कारण फेस्टिवल सीजन फीका हो सकता है. दीयों से जगमगाने वाला त्योहार दीपावली में लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल मिट्टी की ट्रॉली महंगी होने से अब दीयों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. वहीं, सरकार द्वारा कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन और दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दीए और करवे बनाने के लिए गांवो में 5-5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है. जिससे सरकार की योजनाएं और दावे जमीनी स्तर पर खोखले नजर आ रहे (Potters facing Problem in Palwal) हैं.

जिससे कुम्हारों को दीपावली के अवसर पर महंगाई की मार सताने लगी है. मिट्टी महंगी होने से कुम्हारों को दीयों और करवे की सही कीमत मिलने की भी उम्मीद नहीं है. बावजूद इसके कुम्हार दीपावली पर लोगों का घर रोशन करने के लिए दीए बनाने में जुटे हुए हैं. कुम्हार पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं, लेकिन कोरोना के बाद सरकार द्वारा मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने पर कुछ राहत मिली थी. कोरोना महामारी के दौरान मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ गई थी और कुम्हारों का धंधा भी चल रहा था, लेकिन बर्तन बनाने में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी की कीमत लगातार बढ़ने से एक बार फिर से कुम्हारों को चिंता सताने लगी (Low sale of lamps in Palwal) है.

पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.

कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी के दाम इतने बढ़ गए हैं कि मिट्टी के बर्तन, दीए और करवे बनाने में लागत अधिक आ रही है और बिक्री कम हो रही है. 2 साल पहले तक जहां मिट्टी की ट्रॉली 1500 से 2000 रुपए में मिलती थी. वह ट्रॉली कोरोना के दौरान सरकार द्वारा मिट्टी के बर्तन को बढ़ावा देने की घोषणा के साथ ही 3000 रुपए तक बिकने लगी. अब दीपावली के समय में मिट्टी की ट्रॉली 5 हजार रुपए में आ रही है. जिससे कुम्हारों को दीए, करवे और कुल्हड़ बनाना महंगा पड़ रहा है. दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे ही मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है, लेकिन इस बार मांग के अनुरूप दीए नहीं बिक रहे (Potters facing financial problems in Palwa) हैं.

Price increased of Diye in Palwal
पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.

वहीं, 13 अक्टूबर को करवाचौथ होने के बाद भी करवे कम बिक रहे (Karwa Chauth 2022) हैं. जिससे कुम्हार काफी चिंतित हैं. कुम्हारों ने अधिक संख्या में दीए व करवे बनाकर रख लिए हैं. कुम्हार द्वारा 80 रुपए में 100 दीए बेचे जा रहे हैं. जबकि करवा 20 रुपए का है. जिसके चलते उनके दीए बहुत कम ग्राहक खरीद रहे हैं. कुम्हारों का कहना है कि पहले त्योहार सीजन में वह मिट्टी से बने उत्पादों से अच्छे खासे पैसे कमा लेते थे, लेकिन अबकी बार उन्हें लगता है कि उनका त्योहार फीका रहने वाला है. वहीं, सरकार ने 5 साल पहले कुम्हारों को बढ़ावा देने के लिए गांव में पांच-पांच एकड़ जमीन ग्राम पंचायतों से मिट्टी उठाने के लिए दिलाने की घोषणा की थी, ताकि चीनी बर्तनों पर रोक लग सके.

Price increased of Diye in Palwal
पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.

कुम्हारों का कहना है कि सरकार की यह घोषणा भी अन्य घोषणाओं की तरह कागजों में सिमट कर रह गई है. आज कुम्हारों को मिट्टी उठाने के लिए 5 एकड़ तो दूर 1 एकड़ जमीन तक नहीं मिली है. कुम्हार अशोक कुमार का कहना है कि बर्तन, दीए, करवे और मिट्टी के बर्तन बनाने का उनका पुश्तैनी काम है. पहले दीपावली के दौरान मिट्टी के दीए और करवे खूब बिकते थे, लेकिन अब महंगाई इतनी है कि दीए और करवे कम बिक रहे (Price increased of Diye in Palwal) हैं.

Price increased of Diye in Palwal
पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.
ये भी पढ़ें: Dussehra 2022: महंगाई ने रावण को किया परिवार से अलग, फतेहाबाद में केवल रावण दहन, नहीं बने मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले

पलवल: देश और प्रदेश में लोग महंगाई से त्रस्त है. इस साल महंगाई के कारण फेस्टिवल सीजन फीका हो सकता है. दीयों से जगमगाने वाला त्योहार दीपावली में लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल मिट्टी की ट्रॉली महंगी होने से अब दीयों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. वहीं, सरकार द्वारा कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन और दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दीए और करवे बनाने के लिए गांवो में 5-5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है. जिससे सरकार की योजनाएं और दावे जमीनी स्तर पर खोखले नजर आ रहे (Potters facing Problem in Palwal) हैं.

जिससे कुम्हारों को दीपावली के अवसर पर महंगाई की मार सताने लगी है. मिट्टी महंगी होने से कुम्हारों को दीयों और करवे की सही कीमत मिलने की भी उम्मीद नहीं है. बावजूद इसके कुम्हार दीपावली पर लोगों का घर रोशन करने के लिए दीए बनाने में जुटे हुए हैं. कुम्हार पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं, लेकिन कोरोना के बाद सरकार द्वारा मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने पर कुछ राहत मिली थी. कोरोना महामारी के दौरान मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ गई थी और कुम्हारों का धंधा भी चल रहा था, लेकिन बर्तन बनाने में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी की कीमत लगातार बढ़ने से एक बार फिर से कुम्हारों को चिंता सताने लगी (Low sale of lamps in Palwal) है.

पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.

कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी के दाम इतने बढ़ गए हैं कि मिट्टी के बर्तन, दीए और करवे बनाने में लागत अधिक आ रही है और बिक्री कम हो रही है. 2 साल पहले तक जहां मिट्टी की ट्रॉली 1500 से 2000 रुपए में मिलती थी. वह ट्रॉली कोरोना के दौरान सरकार द्वारा मिट्टी के बर्तन को बढ़ावा देने की घोषणा के साथ ही 3000 रुपए तक बिकने लगी. अब दीपावली के समय में मिट्टी की ट्रॉली 5 हजार रुपए में आ रही है. जिससे कुम्हारों को दीए, करवे और कुल्हड़ बनाना महंगा पड़ रहा है. दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे ही मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है, लेकिन इस बार मांग के अनुरूप दीए नहीं बिक रहे (Potters facing financial problems in Palwa) हैं.

Price increased of Diye in Palwal
पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.

वहीं, 13 अक्टूबर को करवाचौथ होने के बाद भी करवे कम बिक रहे (Karwa Chauth 2022) हैं. जिससे कुम्हार काफी चिंतित हैं. कुम्हारों ने अधिक संख्या में दीए व करवे बनाकर रख लिए हैं. कुम्हार द्वारा 80 रुपए में 100 दीए बेचे जा रहे हैं. जबकि करवा 20 रुपए का है. जिसके चलते उनके दीए बहुत कम ग्राहक खरीद रहे हैं. कुम्हारों का कहना है कि पहले त्योहार सीजन में वह मिट्टी से बने उत्पादों से अच्छे खासे पैसे कमा लेते थे, लेकिन अबकी बार उन्हें लगता है कि उनका त्योहार फीका रहने वाला है. वहीं, सरकार ने 5 साल पहले कुम्हारों को बढ़ावा देने के लिए गांव में पांच-पांच एकड़ जमीन ग्राम पंचायतों से मिट्टी उठाने के लिए दिलाने की घोषणा की थी, ताकि चीनी बर्तनों पर रोक लग सके.

Price increased of Diye in Palwal
पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.

कुम्हारों का कहना है कि सरकार की यह घोषणा भी अन्य घोषणाओं की तरह कागजों में सिमट कर रह गई है. आज कुम्हारों को मिट्टी उठाने के लिए 5 एकड़ तो दूर 1 एकड़ जमीन तक नहीं मिली है. कुम्हार अशोक कुमार का कहना है कि बर्तन, दीए, करवे और मिट्टी के बर्तन बनाने का उनका पुश्तैनी काम है. पहले दीपावली के दौरान मिट्टी के दीए और करवे खूब बिकते थे, लेकिन अब महंगाई इतनी है कि दीए और करवे कम बिक रहे (Price increased of Diye in Palwal) हैं.

Price increased of Diye in Palwal
पलवल में मिट्टी के दीए और करवे की बढ़ी कीमतें.
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Last Updated : Oct 12, 2022, 12:40 PM IST
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