पलवल: अब श्रमिकों का सब्र का बांध टूटने लगा है. प्रवासी मजदूर कुछ भी कर के अपने घर जाना चाहते हैं. सोमवार को पलवल के सरकारी स्कूल ग्राउंड से प्रशासन की तरफ से श्रमिकों को घर भेजने के लिए व्यवस्था की गई, लेकिन घर जाने की चाह में वहां हजारों मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो गई. श्रमिकों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन की तरफ से की गई सोशल डिस्टेंस की व्यवस्था बिगड़ गई.
पलवल में ज्यादातर श्रमिक मानेसर, गुरुग्राम तथा फरीदाबाद होते हुए दिल्ली से आए हैं. जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाना चाहते हैं. इन श्रमिकों के पलवल पहुंचने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने थर्मल स्क्रीनिंग करवाई और फिर हरियाणा रोडवेज की बसों के जरिए उत्तर प्रदेश सीमा में मथुरा जिले के कोसीकलां तक भिजवाया गया.
जमकर उड़ी सोशल डिंस्टेंस की धज्जियां
घर जाने के लिए भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग थे. लाइन में लगे सभी श्रमिक एक-दूसरे से करीब-करीब चिपके हुए थे. आगे जाने की होड़ में धक्का-मुक्की भी हो रही थी. ऐसे में प्रशासन की बदइंतजामी साफ दिखी.
प्रशासन की लापरवाही से समाजसेवी नाराज
प्रशासन की इस लापरवाही पर समाजसेवी दिनेश अग्रवाल ने नाराजगी जाहिर की. उनका कहना है कि मजदूरों ने ही संसद का निर्माण किया है जहां पर आज नियम बनते है. आज सरकार की नाकामी है जो गरीब मजदूर सड़कों पर पैदल चलने के लिए मजबूर हैं.
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