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पलवल: गर्मी से बचने के लिए किसानों ने बनाई झोपड़ियां, 'मांगें नहीं मानी तो बनाएंगे पक्के घर'

कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली से लगती सीमाओं पर डटे हैं. सर्दी का मौसम अब खत्म हो रहा है. ऐसे में किसानों ने गर्मी के मौसम से बचने के लिए झोपड़ियों को बनाना शुरू कर दिया है.

farmers built huts Palwal
farmers built huts Palwal
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Published : Mar 14, 2021, 4:31 PM IST

Updated : Mar 14, 2021, 5:07 PM IST

पलवल: नेशनल हाइवे-19 पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का धरना लगातार जारी है. धरना स्थल पर अब किसानों ने टेंट और तम्बुओं को हटाकर झोपड़ियां डालकर लम्बी लड़ाई के संकेत दे दिए हैं. धरना स्थल पर किसान चौपाई, तुक व रागनियों के माध्यम से तीनों कृषि कानूनों के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

पलवल में किसानों के धरना स्थल पर टैंट और तम्बुओं की जगह झोपड़ियों को डालना शुरू कर दिया है. किसानों का कहना है जबतक कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते, तब तक वो यहां से नहीं हिलेंगे. लिहाजा गर्मी से बचने के लिए किसानों ने झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी है.

गर्मी से बचने के लिए किसानों ने बनाई झोपड़ियां

झोपड़ियों में पंखे और कूलर लगाए जा रहे हैं ताकि गर्मी से बचाव किया जा सके. किसानों ने नेशनल हाइवे के फुटपाथ पर टमाटर उगाए हैं. फूलों के पौधे भी किसानों ने फुटपाथ पर लगाए हैं. जिससे नेशनल हाइवे-19 की सुंदरता भी बढ़ रही है. समय-समय पर धरना स्थल पर चौपाई व रागनी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैंं जिससे किसानों का मनोरंजन तो होता ही है, साथ ही चौपईयों और रागनियों के माध्यम कृषि कानून का विरोध किया जाता है.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री के घेराव के मामले में अकाली दल के 8 विधायकों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत

किसान नेताओं का कहना है उन्हें भोजन के लिए धरणा स्थल से ही ताज़ी-ताजी सब्जियां उपलब्ध होंगी साथ ही झोपड़ियों से किसानों का गर्मी से बचाव होगा. रात के समय कूलर व पंखे की हवा में किसान चैन से सो सकेंगे. जल्द ही किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो धरना स्थल पर पक्के मकान बनाने का काम भी शुरू किया जाएगा, ताकि बारिश और आंधी-तूफ़ान से किसान अपना बचाव कर सकें. किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारी रोजाना सुबह 10 से 1 बजे तक गांवों की चौपाल और सामूहिक जगहों पर सभाएं कर लोगों को कृषि कानूनों के नुकसान बताते हैं.

पलवल: नेशनल हाइवे-19 पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का धरना लगातार जारी है. धरना स्थल पर अब किसानों ने टेंट और तम्बुओं को हटाकर झोपड़ियां डालकर लम्बी लड़ाई के संकेत दे दिए हैं. धरना स्थल पर किसान चौपाई, तुक व रागनियों के माध्यम से तीनों कृषि कानूनों के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

पलवल में किसानों के धरना स्थल पर टैंट और तम्बुओं की जगह झोपड़ियों को डालना शुरू कर दिया है. किसानों का कहना है जबतक कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते, तब तक वो यहां से नहीं हिलेंगे. लिहाजा गर्मी से बचने के लिए किसानों ने झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी है.

गर्मी से बचने के लिए किसानों ने बनाई झोपड़ियां

झोपड़ियों में पंखे और कूलर लगाए जा रहे हैं ताकि गर्मी से बचाव किया जा सके. किसानों ने नेशनल हाइवे के फुटपाथ पर टमाटर उगाए हैं. फूलों के पौधे भी किसानों ने फुटपाथ पर लगाए हैं. जिससे नेशनल हाइवे-19 की सुंदरता भी बढ़ रही है. समय-समय पर धरना स्थल पर चौपाई व रागनी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैंं जिससे किसानों का मनोरंजन तो होता ही है, साथ ही चौपईयों और रागनियों के माध्यम कृषि कानून का विरोध किया जाता है.

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किसान नेताओं का कहना है उन्हें भोजन के लिए धरणा स्थल से ही ताज़ी-ताजी सब्जियां उपलब्ध होंगी साथ ही झोपड़ियों से किसानों का गर्मी से बचाव होगा. रात के समय कूलर व पंखे की हवा में किसान चैन से सो सकेंगे. जल्द ही किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो धरना स्थल पर पक्के मकान बनाने का काम भी शुरू किया जाएगा, ताकि बारिश और आंधी-तूफ़ान से किसान अपना बचाव कर सकें. किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारी रोजाना सुबह 10 से 1 बजे तक गांवों की चौपाल और सामूहिक जगहों पर सभाएं कर लोगों को कृषि कानूनों के नुकसान बताते हैं.

Last Updated : Mar 14, 2021, 5:07 PM IST
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