पलवल: हरियाणा के पलवल में किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया है. किसानों को बेहतर आय के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती अब एक नया माध्यम मिल गया है. जिला बागवानी अधिकारी डॉ.अब्दुल रज्जाक ने बताया कि बागवानी विभाग की जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए चार एकड़ का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से किसानों को प्रति एकड़ 1 लाख 20 हजार रुपये की सब्सिडी प्रदान की जा रही है. बागवानी अधिकारी ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से किसान अपनी आय में दोगुना बढ़ोत्तरी कर सकते (dragon fruit farming in palwal) हैं.
भारत में बढ़ी ड्रैगन फ्रूट की खेती की लोकप्रियता: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने बताया कि भारत में इसकी खेती बहुत ही कम समय में लोकप्रियता हासिल कर चुकी है. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट के नाम से ऐसा लगता है कि जैसे ये एक विदेशी फल है. यह फल रसीला और औषधीय गुणों से भरपूर है. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट किसानों को ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसल है. भारत के कई राज्यों के प्रगतिशील किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर चुके हैं. पलवल जिले के किसानों ने भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती से अच्छा मुनाफा: ड्रैगन फ्रूट की मांग और भाव के कारण जिले के किसान भी इसे व्यवसाय के रूप मे अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. ड्रैगन फ्रूट के पौधे और बीज के लिए दोनों ही प्रकार से इसकी खेती की जाती है. इसके पौधों को कलम से लगाना बेहतर होता है. कलम के रूप में लगाने पर पौधा दो साल बाद पैदावार देना शुरू कर देता है, जबकि बीज से लगाने पर 4 से 5 साल तक लग जाते हैं. बागवानी अधिकारी ने बताया कि जब भी कलम या बीज खरीदें, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित या विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें. बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने बताया कि इस ड्रैगन की फसल में केवल एक बार पूंजी लगाने की आवश्यकता होती है.
ड्रैगन फ्रूट से हो सकती है 25 वर्षों तक आमदनी: पारंपरिक खेती के मुकाबले इससे 25 वर्षों तक आमदनी ले सकते (dragon fruit farming Earning in Palwal) हैं. लागत की बात करें तो इसके पौधे कैक्टस की तरह होते हैं. इसके फलन के लिए पौधों को सहारे की जरुरत पड़ती है. इसके स्ट्रक्चर को खड़ा करने के लिए प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रुपए खर्च होते हैं. एक एकड़ में 500 पिलर लगाए जाते हैं, जिनकी हाइट 8 फुट होती है, जोकि दो फुट जमीन के अंदर और 6 फिट जमीन के बाहर होती है. एक पिलर पर चार प्लांट लगाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि 10 फीट की दूरी पर खंभा खड़ाकर उसके सहारे पौधे लगाए जाते हैं. प्रति एकड़ करीब दो हजार पौधे की आवश्यकता होती है. एक बार मोटी रकम खर्च के बाद उसी स्ट्रक्चर पर यह 25 वर्षों तक उपज देता है.
कम पानी में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती: प्रगतिशील किसान जमील अहमद ने बताया कि घरोड़ा करनाल में ड्रैगन फ्रूट की खेती को करते हुए देखा था. वहीं प्रेरणा लेकर अपने गांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र से ड्रैगन फ्रूट के पौधे मगाएं थे. ड्रैगन फ्रूट की खेती अन्य फसलों की खेती से बेहतर है. इस फल की खेती करने में ज्यादा पानी की अवश्यकता नहीं होती है. कम पानी में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती आसानी से की जा सकती है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती में दो बार सिंचाई की जरूरत: सर्दियों के मौसम में इसके पौधे को महीने में दो बार सिंचाई की जरूरत होती है जबकि गर्मियों में 8 से 12 दिन में सिंचाई की जरूरत होती है. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए जैविक खाद सबसे अच्छा होता है. इसमें 10 से 15 किलो गोबर की खाद और 50 से 70 ग्राम एनपीके की मात्रा को मिट्टी में मिलाकर पौधे की रोपाई से पहले तैयार किए गए गड्ढों में भरकर सिंचाई करें. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्में है, सफेद गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल, लाल गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल, सफेद गूदा वाला पीले रंग का फल होता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काफी कारगर है. बाजार में ड्रैगन फ्रूट की लगातार मांग बढ़ रही है.